पार्ट 230
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उन अनुमानों के लिए बाहरी झटकों से जोखिम पैदा
हो सकते है जिनमें अधिक आय वाले देशों की मौद्रिक नीति में फेरबदल होने से वित्तीय
बाजार में आने वाले उतार चढ़ाव अधिक धीमी वैश्विक तेल की उंची कीमते और मध्य
पूर्व तथा पूर्वी यूरोप में भौगोलिक तनावों की बजह से निवेशकों के बीच प्रतिकूल
रवैया शामिल है। अपडेट में बताया गया है कि घरेलु मोर्चे पर उक्त जोखिमों में
उर्जा की सप्लाई के लिए चुनौतियां और अल्व अवधी में राजस्व वसूली में ढीलापन
शामिल है। लेनिक विनिमार्ण क्षेत्र की मदद करने वाले सुधारों पर ध्यान देकर काफी
हद तक उक्त जोखिमों केा काफी हद तक दूर किया जा सकता है।
भारत
में विनिमार्ण सकल घरेलु उत्पादन का लगभग 16 प्रतिशत है। यह एक ऐसा स्तर है
जिसमें पिछले दो दशकों में अधिकतर कोई बदलाव नहीं आया है और जो व्यक्ति प्रति व्यक्त्ि
आय मे अंतर को नियंत्रित करने के बाद ब्राजील चीन, इंडोनेशिया, कोरिया और मलेशिया
जेसे देशों में बीस प्रतिशत से अधिक की तुलना में अपेक्षाकृत कम है। अपडेट में कहा
गया है कि सप्लाई चेन मे विलंब और अनिश्चिताएं उत्पाद में बृद्धि और प्रतिस्पार्धात्मक
के मार्ग पर प्रमुख बाधाएं है। एक राज्य से दूसरे राज्य को माल लाने और ले जाने
के नियम संबंधी यानी रेगुलेटरी इंपेडिसमेंट की बजह से ट्रक कें ट्रानजिट टाईम में
एक चौथाई की बृद्धि हेो जाती है और भारतीय निर्माता कंपनिया अपने अंतराष्ट्रीय
प्रतिस्पधियों से काफी पिछड जाती है। राज्य की सीमा पर स्थिति चेक प्वाइंट,
जिनका वुनियादी कार्य विभिन्य राज्यों की व्रिकी और एंट्री टेक्स संबंधी पूर्व
अपेक्षाओं के लिए फायदे कानूनों का परिपॉलन कराना है। तथा अन्य दूसरी बजहों से
होने वाली देरी के कारण ट्रक अपने पूरे ट्रानजिट टाईम के साथ प्रतिशत तक ही चल
पाते है। अपडेट में कहा गया है कि सिप्समेंटयानी माल की ढुलाई आदि संबंधी
प्रक्रिया में और इसके बारे में पहले से
कुछ कह पाने की असमर्थता की बजह से लाजिसटस्क की लागत कही उंचे वफर स्टॉक और
ब्रिकी की हानि में बदल जाती है। और यह लागत अंतराष्ट्रीय मानको यानी बेंचमार्क
की तुलना में भारत में दो से तीन गुना अधिक बैठती है। जीएसटी यानी राष्ट्रीय वसतु
और सेवाकर भारत में लॉजिसट्क नेटवर्क को तर्क संगत बनाने और इससे नये सिरे से व्यवस्थित
करने का अनोखा अवसर मुहैया कराता है। इसकी
मदद से करके लिहाज से वेयर हाउसिंग और वितरण संबंधी निर्णय आसानी से लिए जा सकेगे।
ताकि औपरेशनल और लाजिस्टक संबंधी कुशलता से बसतु की लोकेशन और इसके मूवमेंट यानी
आवागमन को निर्धारित किया जा सके। अगले पांच वर्षो में सीपीएस तीन महत्वपूर्ण
क्षेत्रों एकीकरण , कायाकल्प और समादेश पर ध्यान देगा। इन क्षेत्रों में प्रशासन
सुधार, पर्यावर्णीय स्थिरता और लिंग स्त्री पुरूष समानता आम विषय होगे सरकार और
निजी निवेश के जरिए बुनियादी ढांचा सुधारने पर ध्यान दिया जायेगा। ऊर्जा की कीमत
को तर्क संगत बनाने और बिजली पैदा करने की क्षमता तथा विश्वनीयता, ट्रांसमिशन एवं
वितरण प्रणाली सुधारने के लिए बिजली क्षेत्र में सुधारों की जरूरत हैं।
गतिशील विनिमार्ण क्षेत्र खासतौर से छोटे और
मझोले उपक्रम में श्रम कानून सुधार तथा भूमि एवं वित्त तक पहुंच बढाने की आवश्यकता
है। बेहतर एकीकरण से भारतीय राज्यों के बीच और अधिक संतुलित विकास होगा। जिससे कम
आय बाले राज्यों को अपने तेजी से बढ़ते पड़ोसीओं के साथ एक्राग होने मे मदद
मिलेगी। अनुमान है कि 2031 तक भारत के शहरों
में 60 करोड़ लोग रहने लगे। ग्रामीण-शहरी परिवर्तन खासतौर से शहरीकरण के बारे में
विश्व बैंक समूज की सम्बद्धता से रणनीति की अवधि और उसके बाद परिवर्तन की गति और
तेज होने की संभावना है तथा यह विश्व बैंक समूह की रणनीति में महत्वपूर्ण बदलाव
दर्शित
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