Wednesday 31 January 2018

60 WPM Shorthand Hindi Dictation Part 231 for High Court Steno, SSC, CRPF Exam With matter

60 WPM Shorthand Hindi Dictation Part 231 for High Court Steno, SSC, CRPF  Exam With matter

पार्ट 31

शब्‍द – 580 समय 9 मिनिट 30 सेंकेंड


दण्‍ड का अभिप्राय उस कष्‍ट या पीड़ा से जिसे विधि के प्रावधानों के अनुसार न्‍यायिक निर्णय द्वारा उस व्‍यक्ति को दिया जाता है जिसे अपराधी घोषित किया गया हो। अपराधी के प्रति इस दण्‍डात्‍मक प्रतिक्रिया के लक्ष्‍यों तथा उद्देश्‍यों के निर्धारण के विषय में अनेक प्रकार के विचार दण्‍डशास्‍त्र में प्रचलित है इन्‍हें हम दण्‍ड के सिद्धांत कहते है इनमें निम्‍न चार प्रमुख सिद्धांत है प्रतिकारात्‍मक सिद्धांत अवरोधात्‍मक सिद्धांत निरोधात्‍मक सिंद्धांत सुधारात्‍मक सिद्धांत। प्रतिकारात्‍मक सिद्धांत के अनुसार अपराधी को उसके द्वारा पहुचायी गई क्षति के बदले में अवश्‍य दण्‍डित किया जाना चाहिए। सर्वप्रथम हम मूर्ति की संहिता में यह निरूपण किया गया है कि आंख के बदले आंख और दांत केबदले दांत इस नियम के अनुसार जेसे को तैसा का वि चार प्रचलित हुआ। इस सिद्धांत केअनुसार अपराधी को राज्‍य द्वारा अपनी सामूहिक क्षमता में दिया गया दण्‍ड किसी व्‍यक्ति की ओर से किया गया प्रतिकार या प्रतिशोध का कार्य है। अपराधी का कार्य एक ऐसी विपदा है जिसका वह स्‍वयं भी हिस्‍सेदार है। यह सिद्धांत नैतिक‍ न्‍याय की पूर्ति पर आधारित है। इसके अनुसार अच्‍छे कार्य के लिए पुरूस्‍कार और बुरे कार्य के लिए दण्‍ड मिलना चाहिए। किसी प्रोफेसर के अनुसर मेकेनजी का विचार है कि अपराधी जब यह देखता है कि दण्‍ड उसके अपराधी कृत्‍य का प्राकृतिक फल है तो वह अपराध से घृणा करने लगता है। हीकल का मत है कि प्रतिकार अपराध को उसी अपराधी की ओर मोड़ना है। अपराधी के कार्य स्‍वयं अपना न्‍याय करते है। इस प्रकार राज्‍य द्वारा दिया जाने वाला दण्‍ड अपराध का प्रतिकार अथवा प्रतिशोध है। इस संबंध में सर जेम्‍स स्‍टीफेन ने यह उल्‍लेख किया है कि ‘’दोष के निमित्‍त का अपराध प्रक्रिया का निर्माण हुआ है ‘’जिस प्रकार के अनुराग के निमित्‍य विवाह अर्थात मनुष्‍य के भावी आवेग के लिए कानूनी प्रावधान है संक्षेप में प्रतिकारात्‍मक सिद्धांत की बातें निम्‍न प्रकार है। राज्‍य द्वारा अपराधी को उसकी प्रतिकारात्‍मकता भावना के कारण दण्‍ड दिया जाता है। अपराधी को दण्‍ड प्रदान कर राज्‍य विधि के उल्‍लघंन के प्रति अस्‍वीकृति प्रदान करता है अपराधी को दण्‍ड प्रदान कर राज्‍य विधि के उल्‍लंघन के प्रति अस्‍वीकृति प्रदान करता है अपराधी को यदि दण्‍ड नहीं दिया जाये तो विधि की महत्‍वता समाप्‍त हो जायेगी। अपराधी को दण्‍ड दिये बिना अपराधों की रोकथाम नहीं होगी। प्रतिकारात्‍मक सिद्धांत की अलोचना में निम्‍न आधारों पर की जाती है। यह सिद्धांत प्रतिशोध पर आधारित उन सामाजिक परिस्थितियों की अवहेलना करता है जो अपराध के लिए उत्‍तरदायी हेाती है। यह सिद्धांत सभी प्रकार के अपराधों के लिए उपयागी नहीं है यह अपराधी की मानसिक व भावात्‍मक प्रवित्यिों  पर ध्‍यान नहीं देता। यह सिद्धांत बदले की भावना पर आधारित है इसमे अपराधी को सुधार का अवसर नहीं मिलता। दण्‍ड के अवरोधात्‍मक सिंद्धांत के अनुसार जो लोग दण्‍ड की सामाजिक उपयोगिता में विश्‍वास करते है उनकी मान्‍यता है कि दण्‍ड अन्‍य लोगों को अपराधिक कार्यों को करने से रोकता है दण्‍ड द्वारा अपराधी भविष्‍य में अपराध की पुनरावृत्ति का साहस नहीं करता। दूसरी ओर अन्‍य लोग अपराधिक कृत्‍यों  से हतोत्‍साहित होते है। रूसों के अनुसार कानून की मूल्‍य इस बात से आंकना चाहिए कि उसने कितनी अपराधो को होने से रोका ना कि इस बात से उसने कितने अपराधों को दण्डित किया। मनुष्‍मृति के अनुसार दण्‍ड के भय से संसार न्‍याय प‍थ से ही विचलित नहीं होता। सुखवादी विचारधारा पर आधारित इस सिद्धांत की मान्‍यता है कि मनुष्‍य कोई भी कार्य सुखदुख के आकलन के आधार पर करता है। वह उसे कार्य को करता है जिसमें उसे दुख की अपेक्षा सुख की आशा रहती है।

30 WPM - 35 WPM For High Court LDC, SSC LDC Exam Post 249 Matter Included 👇

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पार्ट – 49
शब्‍द – 337

समय बीत जाने के बाद पुन: माननीय न्‍यायालय जबलपुर में  याचिका दायर की गई जिसमें दो माह में आदेश करने हेतु आदेश किए गए जिससे अपर सचिव पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्रायल भोपाल के द्वारा आदेश क्रमांक 1469-1022 को दिनांक 13/12/2010 के अनुसार आवश्‍यक कार्यवाही हेतु अपर सचिव स्‍थान शिक्षा विभाग मंत्रालय भोपाल मध्‍यप्रदेश को पत्र दिया परंतु उस पर आज  दिनांक तक कोई कार्यवाही नहीं की गई प्रार्थी कई बार शासन एवं कार्यलय के  चक्‍कर काटता रहा फिर भी आदेश नहीं मिला। मजबूर होकर मेरे द्वारा कोर्ट अवमानना याचिका क्रमांक 727-2011 माननीय उच्‍च न्‍यायालय जबलपुर मध्‍यप्रदेश में पुन: दायर की गई जिसमें मान्‍नीय न्‍यायालय द्वारा पूर्व याचिका क्रमांक 15270 से 2010 के परिपेक्ष्‍य में कंटेम्‍पट ऑफ कोटेक के तहत कार्यवाही करते हुए पनिश दा रिसपोंडेंट कर दिनांक 11/04/2017 को पुन: नियुक्ति हेतु आदेश किए गए है। जिसकी फोटोकापी अवलोकनार्थ संलग्‍न है।
         माननीय उच्‍च न्‍यायालय जबलपुर के आदेश के परिपालन में श्रीमान प्रमुख सचिव पंचायत एवं ग्रामीण विकास मध्‍यप्रदेश शासन वल्‍लभ भवन भोपाल ने वर्तमान समय में नियुक्ति के अधिकार श्रीमान मुख्‍य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत सागर को होने से आदेश क्रमांक 577 दिनांक 27/06/2017 द्वारा निर्देश दिए है जिसकी फोटोकापी अवलोकनार्थ संलग्‍न है।
         माननीय उच्‍च न्‍यायालय जबलपुर मध्‍यप्रदेश के द्वारा वर्ष 2006 में ब्‍लॉक बंडा एवं शाहगढ़ के अनेक मेरे साथियों के नियुक्ति हेतु आदेश पारित होने पर श्रीमान मुख्‍य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत बंडा एवं शाहगढ़ द्वारा नियुक्ति आदेश दिए गए है। जो कि फोटोकॉपी संलग्‍न है। चूकि उक्‍त प्रकरण वर्ष 2004 के है तथा पंचायत राज अधिकार नियम 2005 से लागू किए गए है। जिसका इन प्रकरणों पर कोई भी प्रभाव नहीं पड़ा। इस प्रकार मेरे साथी नौकरी कर रहे है तथा प्रार्थी आज दिनांक तक बेरोजगार हैं। प्रार्थी की याचिका में एवं मेरे साथियों द्वारा दायर याचिका के आदेशों में एक समान माननीय न्‍यायालय द्वारा आदेश किए गये है। कृप्‍या एक नजर डालने की कृपा करे फिर भी आज दिनांक तक मेरा नियुक्ति आदेश नहीं दिया जा रहा है।

         वर्तमान समय में कार्यलय सीईओं जिला पंचायत सागर की स्‍थापन सेशन का

60 WPM Shorthand Hindi Dictation Post 230 for SSC, CRPF LDC Typing Exam With Matter

पार्ट 230

कुल शब्‍द 596 समय 9 मिनिट 40 सेंकेंड

उन अनुमानों के लिए बाहरी झटकों से जोखिम पैदा हो सकते है जिनमें अधिक आय वाले देशों की मौद्रिक नीति में फेरबदल होने से वित्‍तीय बाजार में आने वाले उतार चढ़ाव अधि‍क धीमी वैश्‍विक तेल की उंची कीमते और मध्‍य पूर्व तथा पूर्वी यूरोप में भौगोलिक तनावों की बजह से निवेशकों के बीच प्रतिकूल रवैया शामिल है। अपडेट में बताया गया है कि घरेलु मोर्चे पर उक्‍त जोखिमों में उर्जा की सप्‍लाई के लिए चुनौतियां और अल्‍व अवधी में राजस्‍व वसूली में ढीलापन शामिल है। लेनिक विनिमार्ण क्षेत्र की मदद करने वाले सुधारों पर ध्‍यान देकर काफी हद तक उक्‍त जोखिमों केा काफी हद तक दूर किया जा सकता है।
          भारत में विनिमार्ण सकल घरेलु उत्‍पादन का लगभग 16 प्रतिशत है। यह एक ऐसा स्‍तर है जिसमें पिछले दो दशकों में अधिकतर कोई बदलाव नहीं आया है और जो व्‍यक्ति प्रति व्‍यक्त्‍ि आय मे अंतर को नियंत्रित करने के बाद ब्राजील चीन, इंडोनेशिया, कोरिया और मलेशिया जेसे देशों में बीस प्रतिशत से अधिक की तुलना में अपेक्षाकृत कम है। अपडेट में कहा गया है कि सप्‍लाई चेन मे विलंब और अनिश्चिताएं उत्‍पाद में बृद्धि और प्रतिस्‍पार्धात्‍मक के मार्ग पर प्रमुख बाधाएं है। एक राज्‍य से दूसरे राज्‍य को माल लाने और ले जाने के नियम संबंधी यानी रेगुलेटरी इंपेडिसमेंट की बजह से ट्रक कें ट्रानजिट टाईम में एक चौथाई की बृद्धि हेो जाती है और भारतीय निर्माता कंपनिया अपने अंतराष्‍ट्रीय प्रतिस्‍पधियों से काफी पिछड जाती है। राज्‍य की सीमा पर स्थिति चेक प्‍वाइंट, जिनका वुनियादी कार्य विभिन्‍य राज्‍यों की व्रिकी और एंट्री टेक्‍स संबंधी पूर्व अपेक्षाओं के लिए फायदे कानूनों का परिपॉलन कराना है। तथा अन्‍य दूसरी बजहों से होने वाली देरी के कारण ट्रक अपने पूरे ट्रानजिट टाईम के साथ प्रतिशत तक ही चल पाते है। अपडेट में कहा गया है कि सिप्‍समेंटयानी माल की ढुलाई आदि संबंधी प्रक्रिया में और इसके  बारे में पहले से कुछ कह पाने की असमर्थता की बजह से लाजिसटस्‍क की लागत कही उंचे वफर स्‍टॉक और ब्रिकी की हानि में बदल जाती है। और यह लागत अंतराष्‍ट्रीय मानको यानी बेंचमार्क की तुलना में भारत में दो से तीन गुना अधिक बैठती है। जीएसटी यानी राष्‍ट्रीय वसतु और सेवाकर भारत में लॉजिसट्क नेटवर्क को तर्क संगत बनाने और इससे नये सिरे से व्‍यवस्थित करने का अनोखा अवसर मुहैया कराता है।  इसकी मदद से करके लिहाज से वेयर हाउसिंग और वितरण संबंधी निर्णय आसानी से लिए जा सकेगे। ताकि औपरेशनल और लाजिस्‍टक संबंधी कुशलता से बसतु की लोकेशन और इसके मूवमेंट यानी आवागमन को निर्धारित किया जा सके। अगले पांच वर्षो में सीपीएस तीन महत्‍वपूर्ण क्षेत्रों एकीकरण , कायाकल्‍प और समादेश पर ध्‍यान देगा। इन क्षेत्रों में प्रशासन सुधार, पर्यावर्णीय स्थिरता और लिंग स्‍त्री पुरूष समानता आम विषय होगे सरकार और निजी निवेश के जरिए बुनियादी ढांचा सुधारने पर ध्‍यान दिया जायेगा। ऊर्जा की कीमत को तर्क संगत बनाने और बिजली पैदा करने की क्षमता तथा विश्‍वनीयता, ट्रांसमिशन एवं वितरण प्रणाली सुधारने के लिए बिजली क्षेत्र में सुधारों की जरूरत हैं।

गतिशील विनिमार्ण क्षेत्र खासतौर से छोटे और मझोले उपक्रम में श्रम कानून सुधार तथा भूमि एवं वित्‍त तक पहुंच बढाने की आवश्‍यकता है। बेहतर एकीकरण से भारतीय राज्‍यों के बीच और अधिक संतुलित विकास होगा। जिससे कम आय बाले राज्‍यों को अपने तेजी से बढ़ते पड़ोसीओं के साथ एक्राग होने मे मदद मिलेगी।  अनुमान है कि 2031 तक भारत के शहरों में 60 करोड़ लोग रहने लगे। ग्रामीण-शहरी परिवर्तन खासतौर से शहरीकरण के बारे में विश्‍व बैंक समूज की सम्‍बद्धता से रणनीति की अवधि और उसके बाद परिवर्तन की गति और तेज होने की संभावना है तथा यह विश्‍व बैंक समूह की रणनीति में महत्‍वपूर्ण बदलाव दर्शित

45 WPM Hindi Dictation For High Court & SSC Steno LDC Exam Post 254 With Matter Link 👇 ft. Shobhita

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पार्ट 254
कुल शब्‍द 458 समय 10 मिनिट


एनटी रोमियो स्‍कायॉड प्रेम समाज की सीमाओं को तोड़ता है। समाज के ठेकेदार तो इसके खिलाफ रहेगे ही क्‍योंकि प्रेम के कारण ना सिर्फ स्‍त्रीयों बल्कि युवा वर्ग पर भी शासन खत्‍म हो जायेगा इसलिए उनके लिए वो अस्‍वीकार्य है। इस पहल की जब चर्चा शुरू हुई तब सोचा नहीं कि वास्‍तव में यह बनने वाला है। अब जब यह बन गया तो उपर कहीं बैठे सेक्‍सपियर भी इस हंगामे को देखकर सोचते है कि मैंने तो लिखा था कि नाम में क्‍या रखा है तो पर यहां पर तोसारा हंगामा बरसा है काफी लोग इसी तर्क के साथ भिडे हुए है कि रोमियों, जो कि एक महानकथा का नायक था उसे छेड़ छाड़ करने वाला क्‍यों बना रहे है। पता नहीं लोग इतने आश्‍चर्य से क्‍यों भरे हुए है क्‍योंकि वक्‍त यह कहता है कि नाम से अधिक काम पर ध्‍यान देने की जरूरत है। यह स्‍कवॉड स्‍कूलों, गली मुहल्‍लों, पार्को, सिनेमाघरो इत्‍यादि में घूमने वाले मंचले शहजादों की पहचान कर, उनको चेतावनी देने और उनके अभिवाककों को संमझाने का काम करने वाला है। पर यह पता करना कि किसी लड़की के साथ घूमने वाला लड़का उसका दोस्‍त है या फिर छेड़खानी करने वालो सोहदा बेहद मुश्किल होगा कि हमारे भारत  में तो जहां प्रेम की बात आती है वहां पुलिस भी अभिभावक हो जाया करती है । हमारे यहां प्रेम पर रोक लगी हुई है। यहां विवाह होते है प्रेम नहीं। आज भी बहुत से लोगों के लिए प्रेम एक घोर पाप है जिसका मतलब नाक कटाना हेाता है। जिस समाज में बेटी एवं बहन मान मर्यादा का प्रतीक मानी जाती है उसे एक दिन किसी अजनबी आदमी के साथ जीवन भर के लिए बांध दिया जाता है। तो यह तो समाज की मानसिकता जिसमें एक लड़की लड़का बात भी करे तो गलत है। पुलिस बाले यूरोप से तो आयतित किए नहीं जायेगे कि केवल छेड़छाड़ करने वालों को खास सेंसर से पकड़ लेंगे। बूचण खाने बंद होने की खुशी और उतसाह में लोग स्‍वयं ही आग देते है तो निश्‍चय की खुद से बने एनटी रोमियों स्‍क्‍वॉड को हताशा को मिटाने के लिए प्रेमियों को सताएगे। जितना आवश्‍यक छेड छाड़ की रोकथाम है उतना ही आवश्‍यक स्‍वंभू और स्‍वघोषित संस्‍कृति रक्षकों पर लगाम लगाना भी है। बरना पहले भी ऐसे अभियान शुरू किए गये है जिनका नतीजा अच्‍छा नहीं रहा। इससे छेडखानी जैसी घटनाएं थमेगी और लड़किया सार्वजनिक स्‍थानों पर  सुरक्षितमहसूस करेगी। लेकिन फिलहाल ऐसा लग रहा है कि सुरक्षा के नाम पर यह लडकियों पर और उनके चयन के हक पर और अधिक नकल  करने वाला कदम है। ऐसा हम इसलिए कह रहें है क्‍योंकि जो लोग स्त्री के हित के नहीं परंतु उसको काबू करने के लिए कानून बनाते है, वे सबसे पहले उसकी सुरक्षा की ही आड़ लेते है।

65 WPM Hindi Dictation Shorthand for High Court & SSC Steno Exam Part 234 👌 With Matter Link 👇

65 WPM Hindi Dictation Shorthand for High Court & SSC Steno Exam Part 234 👌 With Matter Link 👇

ऐसी स्थिति मे यदि यह भ्रष्‍टाचार देखने को मिलता है तो कोई आश्‍चर्य की बात नहीं है। वेतन कम मिलने के फलस्‍वरूप कार्यलयों में काम करने वाले बाबू और चपराशी रिश्‍वत लेने मे नहीं हिचकताते। रेल्‍वे और सप्‍लाई के कार्यालय में तो बिना रिश्‍वत के काम हीं नही चलता। व्‍यापारिक प्रतिस्‍पर्धा आधुनिक युग में व्‍यापार का बोलबाला है। जितना धन व्‍यापारी वर्ग कमा लेता है कोई बढ़े से बढ़ा अफसर तक नहीं कमा पाता। व्‍यापारिक  क्षेत्र में प्रतिस्‍पर्धा की भावना बहुत अधिक होती है और इसके फलस्‍वरूप व्‍यापारी वर्ग भ्रष्‍ट उपायों को अपनाने में नही हिचकिचाता। सरकारी से करों से बचने के लिए विभिन्‍य व्‍यापारी बढ़े से बढ़े अफसरों की मुट्ठिया गर्म करते है और  कानून की परवाह किए बिना माल इधर से उधर ले जाते है। भारत में काला धन बहुत अधिक मात्रा में है। बोगस फर्म बनाकर व्‍यापारी सरलता से आर्थिक सहायता प्राप्‍त करते है और रिश्‍वते देकर एकएक प्राप्‍त करते है। कर्मचारियों को रिश्‍वत दिए बिना इनका काम नहीं चलता और उनहे एक मर्ज सा हो गया है कि जो काम पैसे देकर हो सकता है उसे तुरंत करवा लेते है।
         राजनीतिक संरचना राजनीतिक क्षेत्र में भ्रष्‍टाचार का उत्‍रादायित्‍व हमारी राजनीतिक संरचना पर भी है। देश में दरबंदी को बहुत अधिक प्रोत्‍साहन दिया जा रहा है। जो व्‍यक्ति जिस दल से चुनकर आता है वह उसी दल को हर संभव लाभ पहुचाने का प्रयास करता है। जिनके वोटों पर वे चुने जाते है उनकी अधिक से अधिक लाभी पहुचाना चाहते है। बहुधा सरकारी मशीनरी का प्रयोग भी पार्टी के कामों के लिए किया जाता है। विज्ञापनबाजी व्‍यापार के क्षेत्र में भ्रष्‍टाचार का एक अन्‍य कारण अत्‍याधिक विज्ञापनबाजी है। अनेक लोगों ऐसी कंपनियों का विज्ञापन देते है जिनमें यदि लोग धन जमा करते तो उनका धन तभी वापस नहीं मिलता। इनके विज्ञापन इतने आकर्षक होते है कि भोली भाली जनता उसमें अपने धन को लगा देती है। और एक दिन कंपनी का मालिक सारा रूपया लेकर भाग जाता है कानून की अज्ञानता भ्रष्‍टाचार का एक अन्‍य कारण यह भी है कि जनता कानूनों को नहीं जानती। भ्रष्‍टाचारी व्‍यक्ति झूठ मूठ की बाते बनाकर भोली जनता को फसा लेता है उदाहरण के लिए जो कोई ग्रामीण कचहरी में जाता है तो वहां के कर्मचारी उससे हर बात पर रूपया एठने का प्रयास करते है। वेचारा ग्रामीण कानून नहीं जानता और मजबूत होकर उसे वहां धन देना पढ़ता है। कारखानों के मालिक श्रमिक कानूनों के बावजूत श्रमिकों को उनका हिस्‍सा नहीं देते  चूंकि श्रमिक श्रम कानून को नहीं जानता इसलिए इस संबंध में यह आवाज भी नहीं उठा पाता। भारत में  बहुत से किसान अब भी सूतखोरों द्वारा बुरी तरह लूटे जाते है।

 कठोर  दण्‍ड का अभाव – सार्वजनिक क्षेत्र में भ्रष्‍टाचार का एक बहुत बढ़ा कारण यह है कि सरकारी विभागों में जो लोग भ्रष्‍टाचार के संबंध में पकड़े जाते है उन्‍हें कठोर दण्‍ड नहीं दिया जाता। इनसे भी बहुत से लोग अनुचित साधनों को अपनाने में लगे रहते है। वे भली भांति जानते है कि यदि उन्‍हें पकड़ा गया तो अधिक से अधिक उनका स्‍थानांतरण हो जायेगा। प्रजातांत्रिक शासन के दोष – प्रजातांत्रिक शासन का एक बहुत बड़ा दोष यह है कि इसमे मतदान के आधार पर चुने गये लोग शासन की बागडोर संभालते है भले ही उनमें शासन को सुचारू रूप से चलाने की योग्‍यता हो या ना हो उनकी योग्‍यता पर अधिक ध्‍यान नहीं दिया जाता चूंकि अयोग्‍य व्‍यक्तियों के हाथ में शासन की बागडोर आ जाती है इसलिए भ्रष्‍टाचार को और अधिक प्रोत्‍साहन मिलता है। दलगत राजनीति के फल स्‍वरूप वह भष्‍टचार और अधिक बढ़ जाता है अपनी सत्‍ता बनाये रखने के लिए सत्‍तारूढ़ दल हर उचित और अनुचित साधन को अपनाता है। भारत मे दलबदल राजनीति को अधिक बढावा मिलता

65 WPM Hindi Dictation for High Court & SSC Steno Exam Part 228 👌 With Matter Link 👇 ft. Shobhita

पार्ट 229
कुल शब्‍द 629 समय 9 मिनिट 30 सेंकेंड

भारत में विश्‍व के कंट्री निर्देशक का कहना है ‘भारत में निम्‍न आय वाले सात राज्‍यों में देश के 60 प्रतिशत गरीब रहते है तथा अब वे राज्‍य औसत से अधिक तेजी से बृद्धि हासिल कर रहे है और इसलिए वहां निवेश वहां प्रभावकारी होना संभावित है भारत के साथ हम साठ साल से काम कर रहे है और इस दौरान देश ने गरीबी से बाहर निकलने के लिए बहुत प्रयास किए है। तथा हम यह जानकर रोमा‍ंचित है कि भारत पहला देश बन गया जहां गरीबी घटाने और समृद्धि में हिस्‍सेदारी बढ़ाने के लिए इन लक्ष्‍यों को हासिल करने के लिए विशिष्‍ट रणनीति है। जीएसटी पर अमल करना और अंतराज्‍यीय चेकपोस्‍ट समाप्‍त करना उन अत्‍यंत महत्‍वपूर्ण सुधारों में से जिनकी भारत के विर्निमार्ण क्षेत्र में जरूरत है। नई दिल्‍ली 27 अक्‍टूबर जैसे आर्थिक सुधार तेजी से पकड़ते जा रहे है। भारत की समृद्धि के दीर्घकालिक संभावनाओं की दिशा में तेजी से आगे बढ़ने की संभावना है। नेशनल गुड्स एंड संर्विसेज टेक्‍स राष्‍टीय वसतु और सेवा कर जेसे कदम जिनमे अंतराज्‍यीय चेक पोस्‍ट समाप्‍त करना भी शामिल है। बदलाव लाने वाले ट्रांसफामेशनल साबित हो सकते है।  और भारतीय निर्माता फर्म की धरेल तथा अंतराष्‍ट्रीय प्रतिस्‍पार्धात्‍मकता में सुधार ला सकते है उक्‍त बात विश्‍व बैंक के नवीनतम इंडिया डेवलपमेंट अपडेट में कही गई है। इसके अनुमानों के अनुसार सड़कों के अवरूद्ध हो जाने, चुगी वसूल करने वाली चौकियों टोल तथा अन्‍य स्‍थानों पर रूकने की बजह से होने वाली देरी  में आधी कमी हो जाने से माल की धुलाई  में लगने वाले समय में करीब बीस से तीस प्रतिशत की ओर लोजिस्‍टक पर आने वाली लागत में इससे भी अधिक तीस से चालीस प्रतिशत की कमी हो सकती है। ऐसा कर देने से ही शुद्ध बिक्री  में तीन से चार प्रतिशत की बढ़ोततरी होने से भारत के मुख्‍य विर्निमाण क्षेत्रों की प्रतिस्‍पर्धात्‍मकता को बढ़ाने में मदद मिल सकती है। और इस प्रकार भारत को उच्‍च समृद्धि के मार्ग पर लौटने और बढ़े पैमाने पर रोजगार के अवसर पैदा करने में मदद मिल सकती है।  भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था और इसकी संभावनाओं के बारे में दो बार तैयार किए जाने वाले अपडेट के अनुसार वित्‍त वर्ष 2015 में भारत की संमृद्धि दर के बढकर 5.6 प्रतिशत तथा वित्‍त वर्ष 2016 और 17 में क्रमश: बढकर 6.4 प्रतिशत तथा 7.0 प्रतिशत हो जाने की आशा है। विश्‍व बैंक के भारत स्थित कंट्री डारेक्‍टर ने कहा है कि ‘’आर्थिक सुधारों के तेजी से पकड़ने के साथ भारत के लिए समृद्धि की दीर्घकालिक संभावनाएं काफी उज्‍जवल है। अपनी पूरी क्षमता अर्जित करने भारत को  घरेलु सुधारों की अपनी कार्य सूची पर आगे बढ़ने और निवेशों कोबढावा देने की जरूरत है। विर्निमाण क्षेत्र के कार्य प्रदर्शन मे सुधार करने को लक्ष्‍क्षित सरकार के प्रयासों से भारतीय युवक युवतियों कें लिए और अधिक रोजगार की दिशा में मार्ग प्रशस्‍त होगा’’ भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था के कुछ एक उल्‍लेखनीय रूझाानों को प्रमुखता देते हुए अपडेट में कहा गया है मजबूत औद्योगिक रिकवरी की बजह से सम्‍बृद्धि में उल्‍लेखनीय बढ़ोत्‍त्‍री हुई है।  केपीटल पूंजी प्रवाह की बापसी हुई है, मुद्रास्‍फीती इन्‍फलेशन के डबल ऑकड़ो से नीचे आने से निवेशक के बढते हुए भरोसे का संकेत मिलना है। विनिमय दर में स्थिरता आई है और द्वितीय क्षेत्र  पर दबाव कम हुआ है। मध्‍यअवधि में समृद्धि के मजबूत होने की आशा है। चालू वित्‍त वर्ष में डब्‍ल्‍यूपीआई यानी ठोक मूल्‍य सूचकांक इन्‍फलेशन के 4.3 परसेंट पर माडरेट होने की आशा है, जो पिछले वर्ष 6.0 प्रतिशत था ज‍बकि वित्‍त वर्ष 2014 में चालू खाते के घाटे के 1.60 प्रतिशत के आंशिक रूप से बढ़कर 2.0 प्रतिशत होने की आशा है क्‍योंकि आयात की मांग बढ़ रही है और पूंजी का इनफलोबढ रहा है। व्‍यय में संयम वर्तते हुए वित्‍तीय समीकन यानी फिस्‍कल कनसोलिडेशन के ज्‍यादा रहेन की आशा है हालांकि मजबूती के लिए राजस्‍व जुटाने की गुजांइश


65 WPM Hindi Dictation for High Court & SSC Steno Exam Part 228 👌 With Matter Link 👇 ft. Shobhita

पार्ट 228
कुल शब्‍द 627 समय 9 मिनिट 30 सेंकेंड


शिक्षा तथा कुशलतओं के स्‍तरों को अधिकाधिक उन्‍नत करना विश्‍व में जिसका तेजी से ग्‍लोबलाईजेशन हो रहा है समृद्धि को बढ़ावा देने के लिए महत्‍वपूर्ण होगा। हालंकि प्राथमिक शिक्षा का काफी हद तक सर्वव्‍यापी यूनिवर्सलाईज हो चुका है। अधिगम संबंधी परिणाम काफी नीचे है। काम करने की आयु वाली जनसंख्‍या का 10 परसेंट से भी कम माध्‍यमिक शिक्षा पूरी कर पाया है और माध्‍यमिक शिक्षा पूरी करने वालों में आज के बदलते हुए रोजगार बाजार में प्रतिस्‍पर्धा का सामना करने लायक जानकारी  और कुशलता की कमी है। स्‍वास्‍थ संबंधी देख भाल भी समान रूप से महत्‍वपूर्ण होगी। हालांकि भारत के स्‍वास्‍थ संबंधी संकेतकों में सुधार हुआ है। माताओं और बच्‍चों की मृत्‍यु दरे बहुत नीचे है और कुछ राज्‍यों में इनकी  तुलना विश्‍व के सर्वाधिक गरीब देशों के आकड़ों से की जा सकती है। भारत के बच्‍चों में कुषोषण विशेष रूप से चिंता का विषय है। जिनके कल्‍याण से भारत के प्रतिक्षेत्र जल सांख्किीय लाभांस डेमोग्रेफिक डिवीजेंट का स्‍तर निर्धारित होगा। इस समय विश्‍व के कुपोषण का शिकार बच्‍चों का 40 प्रतिशत 21.7 करोड़ भारत में है। देश की अवसंरचना संबंधी आवश्‍यकताएं काफी अधिक है। तीन ग्रामवासियों में से एक की सभी मौसमों में खुली रहने वाले सड़क तक नहीं पहुंच पायी है और पाच राष्‍ट्रीय राजमार्गो में से एक ही गलियारों वाला है। बंदरगाहों और हवाई अड्डों की क्षमता पर्याप्‍त नहीं है तथा रेलगाडि़या बहुत धीरे चलती है। अनुमान है कि 30 करोड़ लोग राष्‍ट्रीय बिजली ग्रिड से  नहीं जुड़े है और जो जुड़े भी उनहें अकसर ही आपूर्ति में बाधाओं का सामना करना पड़ता है। रोजगार के अवसर पैदा करने  के लिहाज से महत्‍वपूर्ण विनिमार्ण क्षेत्र अभी छोटा है और पूरी तरह विकसित नहीं है तथापि भारत के अनेक राज्‍य देश के सामने काफी समय से मौजूद चुनौतियों का सामना करने के लिए नये और ठोस प्रयास करने की दिशा में पहल कर रहे है। और चहुंमुखी विकास की दिशा में भारी प्रगति कर रहे है। इनकी सफलताए आगे बढ़ने के लिए देश का मार्ग प्रश्‍सत कर रहीं है। जिससे पता चलता है कि सर्वाधिक गरीब राज्‍य अंतयंत खुशहाल राज्‍यों से सीख कर क्‍या कुछ नहीं कर सकते । आज भारत के पास अपने 1.2 अरब नागरिकों के  रहन सहन के स्‍तर में सुधार तथा सच्‍चे अर्थो में समृद्धिशाली भविष्‍य की नीव डालने के विरले अवसर सुलभ है। ऐसा भविष्‍य जिसका देश और इसकी आने वाली पीढि़यों पर प्रभाव पड़ेगा। वाशिंगटन 12 अप्रेल 2013 भारत के लिए वश्वि बैंक की नई रणनीति में सहायता का रूख काम आय वाले ऐसे राज्‍यों  की तरफकरने पर महत्‍वपूर्ण बल दिया गया है जहां ज्‍यादातर गरीब लोग रहते है यह देश के लिए इस संस्‍थान कीपहली रणनीति हैजिसमे आबादी के 40 प्रतिशत बेहद गरीब हिस्‍से के गरीबी घटाने और समृद्धि में हिस्‍सेदारी बढ़ाने के हिस्‍से में विशेष लक्ष्‍य निर्धारित किए गए है आज बैंक के कार्यकारी निर्देशक मंडल के विचार विमर्श के दौरान भारत के लिए विश्‍व बैंक की नई कंट्री पार्टनरशिप स्‍ट्रेटजी यानी सीपीएस में यानी अगले चार वर्ष के दौरान हर साल तीन से पांच अरब अमरीकी डॉलर ऋण देने का प्रस्‍ताव किया गया है। इसकी 60 प्रतिशत राशि राज्‍य सरकार द्वारा चलायी जा रही है जिस परियोजना और उसकी आधी यानी कुल ऋण की तीस प्रतिशत राशि कम आय वाले या विशेष श्रेणी वाले राज्‍यों  यानी जहां सरकारी सेवाएं उपलब्‍ध कराने में अधिक लागत आती है इसको दी जायेगी। इससे पहले कि रणनीति के तहत इन राज्‍यों को ऋण देने के अठारह प्रतिशत राशि दी जाती है। बैक की भारत संबंधी रणनीति में ऐसे परिदृश्‍य को रेखांकित किया गया है जिसमें भारत अपनी राष्‍टीय आर्थिक वृद्धि दर को बेहतरीन प्रदर्शन कर रहे राज्‍यों के स्‍तर पर लायेगा इससे गरीबी की दर 2010 में आबादी के 29.8 प्रतिशत से घटकर 2030 तक 5.5 प्रतिशत रह जायेगी। तथा उस सीमा जहां वापस गरीबी में

55 WPM Shorthand Hindi Dictation For High Court, SSC, CRPF, Railways, LDC Exam Part 227

55 WPM Shorthand Hindi Dictation For High Court, SSC, CRPF, Railways, LDC Exam Part 227

पार्ट 227
कुल शब्‍द 537 समय 9 मिनिट 30 सेंकेंड

ध्‍वनि के माध्‍यम से निकलने वाले शब्‍दों को लिखने के लिए जिन शब्‍दों एवं चिन्‍हों का उपयोग किया जाता है उसे लिपी कहा जाता है। जितने जल्‍दी आप सुन सकते है उसे लिख नहीं सकते। इसके लिए कुछ ऐसी संकेत लिपीओं का विकास किया गया जिनके संकेत व चिन्‍हों के माध्‍यम से हम उतनी ही गति से लिख सकते है जितनी गति से हम शब्‍दों को सुन व समझ सकते है ऐसे सूक्ष्‍मतम संकेतो व चिन्‍हों को आशुलिपी कहा जाता है। आशुलिपी विभिन्‍य भाषाओं के लिए विभिन्‍य प्रणालियों में सीखने के विकल्‍प आज हमारे सामने है। किसी भी प्रणाली में आशुलिपी को सीखा जा सकता है। लेकिन एक अच्‍छे आशुलिपिक के लिए जरूरी है कि उसके शब्‍दों व चिन्‍हों के नियमों का पालन कर लिया जाये तो गति में तेजी से बृद्धि होगी। आशुलिपी सीखने के पश्‍चात गति बढ़ाने के लिए जरूरी होता है। डिक्‍टेशन लिखकर अभयास करना। इसके लिए एक नियत गति से डिक्‍टेशन बोलने वाला होना चाहिए जो कि अधिकांश आशुलिपिकों की समस्‍या रहती है। इसी समस्‍या के समाधान के रूप में हमने यहां बेबसाईट शुरू की है जिसमें पचास शब्‍द प्रतिमिनिट की गति से ले‍कर 100 शब्‍द प्रति मिनिट गति के आडियों डिक्‍टेशन दिये गये है हमारा प्रयास रहेगा कि समय समय पर नये डिक्‍टेशन की नई शब्‍दाबलियों के साथ आप तक पहुंचाते रहेगे। डिक्‍टेशन लिखते समय संकेतों की मोटाई और लंबाई का विशेष ध्‍यान रखना चाहिए।  क्‍योंकि संकेत के छोटे या बडे होने पर दूसरा अर्थ हो जाता है।

         अपनी सुविधानुसार संकेतो को छोटा बड़ा किया जा सकता है लेकिन संकेतों के रूपो बनावट मे समानता होनी आवश्‍यक है।आज जब हम स्‍वतंत्रता दिवस का जश्‍न मना रहे है, तो स्‍वाभाविक है कि एक लोकतांत्रिक देश के सजग नागरिक होने के नाते हम यह पड़ताल करे कि देश की आजादी के महानायकों ने हमारे लिए जो सपने देखे थे वे कितने पूरे हुए। और यदि पूरे नहीं हुए हैं तो आखिर हमसे गलतियां कहा हुई है? ऐसे में हमें सहज ही राष्‍टपिता महात्‍मा गांधी का ध्‍यान आता है जिन्‍होंने आजादी के पहले ही इस पर सम्‍यक दृष्टि सेविचार किया था कि आजाद भारत की आर्थिव व राजनीतिक व्‍यवस्‍ािा  कैसी हो। वह मानते थे कि विट्रिश साम्राज्‍य ेस आजादी तो हमारे देश के लोग हासिल कर ही लेगे लेकिन उसके बाद हमारे स्‍वराज का स्‍वरूप कैसा होगा।, क्‍या हम अंग्रेजों के ढाचे को ढोयेगे या अपना कोई नया ढ़ाचा विकसित करेगे अगर वही  व्‍यवस्‍था लागू रहीं तो देश फिर से गुलाम हो जायेगा। उनका मानना था कि आजादी के बाद जो नये शासक सत्‍ता में आएगे वे भी अंग्रेजों से कम क्रूर नहीं होगे बल्कि देश के रगरेस से वाकिफ होने के कारण वे ज्‍यादा ही क्रूरता से पेश आयेगे इसलिए उन्‍होंने देश की सामाजिक आर्थिक एवं सांस्‍कृतिक स्थितियों का विश्‍लेषण करने के बाद हिंद स्‍वराज की अवधारणा प्रस्‍तुत की थी। औद्योगिक क्रांति और साम्राज्‍यों  का विसतार  साथ साथ हुआ औद्योगिक क्रांति के दौरान क्रेन्द्रित औद्योगों के लिए कच्‍चा माल जुटाना और वहां उत्‍पादित वस्‍तुओं के बाजार की खोज करनाही साम्राज्‍यवादियों का मुख्‍य लक्ष्‍य था। सभी जानते है कि अंग्रेज यहां शासन करने नहीं बल्कि व्‍यापार करने आए थे। गुलामी की बुनियादी आर्थिक स्‍तर पर शुरू हुई, जो सामाजिक राजनीतिक और सांस्‍कृतिक गुलामी तक

Hindi Dictation For MP High Court part 226 60 WPM

Hindi Dictation For MP High Court part 226 60 WPM

कुल शब्‍द 475 समय 8 मिनिट

यह एक सुखद संयोग ही है कि पिछले दिनो ज्‍योतिबा फुले की पुन्‍य तिथी और बाबा साहेब भीम राव अंबेडकर की जन्‍म तिथि के 125 वर्ष पूरे हुए है। दोनो महापरूषों ने गरीबों और स्‍त्रीयों की शिक्षा पर बल दिया पर इनेक आदर्शो को मानने वालों और ना मामने वालों ने शिक्षा व्‍यवस्‍था को नुकसान पहुंचाया है। अब सरकारी और सस्‍ती शिक्षा शायद ही कहीं मिलती है। पिछले दिनों संविधान दिवस के अवसर पर संसद में राष्‍ट्रीय महत्‍व की बहसे हुई। सविंधान 26 नवम्‍बर 1949 को पेश किया गया था पर उसकी उद्देश्यिका मे जो कहा गया वह सपना क्‍या था? अब असहिष्‍णुता बढ़ रही है दलित मंदिरों ने नहीं जा सकते । आरक्षण को आज भी प्रतिनिधित्‍व और हिस्‍सेदारी के रूप में नहीं अपनाया जा रहा। कांग्रेस ने शिक्षा और रोजगार के ऐसे क्षेत्र विकसित किए जिनसे आरक्षण का अघोषित अंत हो गया और वही कांग्रेस के पतन का कारण भी बना। सविधान स‍मीक्षा के नाम पर राष्‍ट्रीय स्‍वयं सेवक संघ से प्रेरित मनसा लेकर भाजपा चली थी उसका भी हश्र कांग्रेस  जैसा होगा। बिहार चुनाव का एक संदेश यह भी है कि संविधान की कल्‍याणकारी योजनाओं को कुचलने का हक अब किसी को नहीं दिया जायेगा। पर अंबेडकर और लोहिया के नाम पर राजनीति करने वाली मायावती और मुला‍यम सिंह की सरकारों ने उत्‍तर प्रदेश में प्राथमिक शिक्षा का जिस तरह सत्‍यानाश किया, वह तो कांग्रेस और भाजपा की दलित विरोधी नीतिओं को भी पीछे छोड़ता है। बहुत दिनों से राष्‍ट्रीय दलित महिला आयोग के गठन की मांग उठ रही है।
         पर किसी सरकार ने इस दिशा में नहीं सोचा। ऐसे में संविधान और अंबेडकर पर चर्चा करने का मतलब नहीं है। जो लोग कहते है कि संविधान में अंबेडकर का योगदान खास नहीं है उनहें राज्‍य और अल्‍पसंख्‍यक शीर्षक से प्रस्‍तुत उस ज्ञापन को अवश्‍य देखना चाहिए जो उन्‍होंने अखिल भारतीय अनुसूचित जाति परिसंघ की ओर से भारतीय संविधान सभा के लिए तैयार किया था। यह ज्ञापन संविधान का संक्षिप्‍त रूप था। जो उन्‍होंने संविधान से पहले तैयार किया  था।

         यह कल्‍पना की बैचेन करती  है आज अगर लोकतांत्रिक, धर्म निरपेक्ष संविधान ना होता तो दलितों और आदिवासियों और अति पिछडे समाजों का क्‍या होता। जबकि संविधान के होते हुए भी देश में कल्‍याणकारी राज्‍य की परिकल्‍पना पूरी तरह साकार नहीं हो सकी। ना अस्‍पृश्‍यता खतम हुई, ना निरक्षरता। लेकिन इसके लिए ना संविधान को दोष दिया जा सकता है ना उसके निर्माता बाबा साहेब को। अंबेडकर ने कहा था संविधान कितना भी अच्‍छा क्‍यों ना हो वह अंतत: बुरा साबित होगा यदि उसका इस्‍तेमाल करने वाले बुरे लोग होगे इसके उलट उनहोंने यह भी कहा कि संविधान कितना भी बुरा क्‍या हो ना वह अंतत: अचछा साबित होगा अगर उसे इस्‍तेमाल में लाने वाले लोग अच्‍छे होगे इसलिए जनता और उसकी राजनीतिक दलों की भूमिका को संदर्भ में लाये बगैर संविधान पर कोई  निर्णय देना या टिप्‍पणी करना।

Tuesday 30 January 2018

65 WPM - 70 WPM Shorthand Hindi Dictation For High Court, SSC, CRPF, LDC Exam Part 225 Matter Link

65 WPM - 70 WPM Shorthand Hindi Dictation For High Court, SSC, CRPF, LDC Exam Part 225 Matter Link👇

कुल शब्‍द – 664


पिछले दो दशक या उससे  भी अधिक समय से  सभी सरकारे संसद के कामकाज और सांसदों के व्‍यवहार के निरंतर गिरते स्‍तर के बारे में शिकायतें करती आई है। ज्‍यादातर समय में ऐसी शिकायते सरकार की तरफ से की जाती है क्‍योंकि विपक्ष के आक्रामक व्‍यवहार से संसद कामकाज थप्‍प हो रहा है। सत्र चलने के दौरान विपक्ष सत्‍ता पक्ष के एंजेडे को रोकने की कोशिश करता है। 


जब कभी संसद में कामकाज बाधित होता है। तब सरकार या सत्‍तारूढ दल मीडिया को यह ऑकड़ा देता है कि संसद को चलाने का कितना खर्च आता है, और कामकाज ना होने का नुकसान कितना ज्‍यादा है। मीडिया के जरिए विपक्ष को निशाना बनाने की कोशिश होती है कि उसके द्वारा संसद में कामकाज बाधित करने से लाखो रूपए बर्बाद हो रहे है। पिछले शुक्रवार को लोकसभा में कामकाज लगभग 1 घंटे तक रूका रहा और दोपहर को राज्‍य सभा में भी कुछ समय के लिए काम नहीं हो पाया। 


संसद में यह गतिरोध इसके बावजूत है कि मौजूदा शीत सत्र में अनेक महत्‍वपूर्ण विधेयक पारित कराये जाने है। विपक्ष के प्रति नरमी दिखाने का फैसला खुद प्रधानमंत्री ने लिया है और विपक्ष भी इस सत्र में ज्‍यादा संजीदगी का परिचय दे रहा है विगत्र शुक्रवार को भोजनावकाश के बाद लोकसभा की कार्यवाही कोरम पूरी ना होने के कारण कुछ देर तक शुरू नहीं हो सकी। 


संसदीय नियम के अनुसार दोनों सदनों में सदस्‍य की कुल संख्‍या की दस प्रतिशत उपस्थिति पर ही कार्यवाही शुरू हो सकती है। यानी लोकसभा में 55 और राज्‍य सभा में 25 सासंदो की उपस्थिति जरूरी है। अगर सांसदो की संख्‍या इससे कम हो तो फोरम की घंटी इतने जोर से बजती है कि उसकी आबाज बाहर संसद परिसर तक गूंजती है। लिहाजा शुक्रवार को भी सवा दो बजे कोरम की घंटी बजने लगे क्‍योकि सदन में सासंद पर्याप्‍त संख्‍या में मौजूद नहीं थे। 


चूकि कोरम पूरा नहीं हुआ ऐसे में 2 बजकर 19 मिनिट पर घंटी बारह बजने लगी। फिर भी कोरम पूरा नहीं किया जा सका।  चार मिनिट बाद फिर बजी पर उस भी ध्‍यान नहीं दिया गया। अंतत: लोकसभा की कार्यवाही पौने तीन बजे शुरू हुई और निर्धारित अवधि 6 बजे तक चली। कोरम पूरा था पर उपस्थिति कम थी। सभी राजनैतिक पार्टीया संसद में अपना सचेतक नियुक्‍त करती है। 


उनका काम अपनी पार्टी के सांसदों की सदन में उपस्थिति सुनिश्चित करना एवं उन्‍हें पार्टी के अनुसार काम करने और पाटी लाइन के अनुरूप वोटिंग करने केलिए बताना है। पार्टी हित का उल्‍लंघन करने पर सांसदों के खिलाफ अनुशात्‍मक कार्यवाही होती है। ऐसे उदाहरण है जब पार्टी हित का उल्‍लघंन कर दूसरी पार्टी के लिए बोटिंग करने पर सम्‍बद्ध सांसदों को पार्टी से निलंबित किया गया। चूंकि सोलहवीं लोकसभा में भाजपा के सर्वाधिक सांसद हैं। इसलिए उसने तेरा नियुक्‍त किए है।


 मुख्‍य सचेतक के रूप में उन्‍होंने राजस्‍थान के सांसद अर्जुन राम मेघवाल को नियुक्‍त किया है। राज्‍य सभा में संख्‍या कम होने के कारण भाजपा के तीन सचेतक है, जबकि मुख्‍य सचेतक पंजाब से सांसद अविनाश राय खन्‍ना है। इन सचेतको की संसदीय कार्यमंत्री और उनके सहायक से भी मदद मिलती है। इस समय संसदीय कार्यमंत्री बैंकैया नायडू है जबकि लोकसभा में उनके सहायक राजीव प्रताप रूढी़ और राज्‍य सभा में मुख्‍तार अब्‍बास नकवी है। 


जाहिर है भाजपा सांसदों  को संसद में उपस्थिति और उनके आचरण के बारे में इतने सारे लोगों से दिशा निर्देश मिलता है। पर यह 17 लोग यह सुनिश्चित नहीं कर पाये कि लोकसभा में 55 सासंद मौजूद रहे और कोरम पूरा ना होने के कारण बार बार सदन की कार्यवाही स्थिगित ना हो। शुक्रवार को लोकसभा की कार्यवाही वाधित होने की बजह यह थी कि सुबह के सत्र के बाद अनेक सदस्‍य अपने संसदीय क्षेत्र के लिए निकल गये थे। पर तब भी इस बारे में सोचा ही जाना चाहिए था कि फिर कोरम कैसे पूरा होगा।  


उस दिन कोई महत्‍वपूर्ण कामकाज नहीं हुआ और प्राईवेट मेंबर बिल पर चर्चा के दौरान भी उपस्थिति बहुत कम थी। ऐसे विधेयक सांसदों द्वारा अपनी पार्टी के अनुमोदन के बगैर लाये जाते है। इनक उद्देश्‍य संसदीय विमर्श को 

40 WPM Hindi Dictation for High Court & SSC Steno Exam POST 224

40 WPM Hindi Dictation for High Court & SSC Steno Exam  POST 224

कुल शब्‍द – 407

निवेशक इसे प्रतिदिन की जरूरतों की खरीदारी को ऑटोमेटिक करने की दिशा में पहला कदम मानते है। कई निर्माताओं ने एमाजॉन को अपने डिवाईस में शामिल कर लिया है। उदाहरण के लिए जनरल इलेक्ट्रिक ऐसी वाशिंग मशीने बेचती है जो अपने डिटरजेंट स्‍वयं आर्डर कर सकती है। बडे कन्‍ज्‍यूमर बेंड और एमाजॉन को ऐसी सेवाएं आकर्षित करती है। अगर कोई खरीदार किसी आईटम को स्‍वयं आर्डर करता हैं तो वह अधिक वफादार होगा। कुछ बैंड्स के लिए बटन बहुत अचछी तरह काम कर रहे है। उदाहरण के लिए अमेरिका में मैक्‍सवेल हाऊस काफी के लिए अमेजॉन के लिए आधे से अधिक आर्डर डेश बटन से किए जाते है। अमेजॉन ने बताया कि अ‍मेरिका में हर मिनिट में दो से अधिक आर्डर डेश बटन से होते है लेकिन अमे‍जॉन और बडे प्रोडक्‍ट बेंड शापिंग के नये दौर पर बहुत खुशिया मना सकती हैं। एमेजॉन ने अपनी ऑटोमेटिक सर्विस के डेटा जारी नहीं किए हैं। आधुनिक विजनेस में सबसे आश्‍चर्य जनक संघर्ष टेक्‍नॉलाजी के प्रति आशावादी और निराशावादी रूख रखने वालों के बीच हो रहा है। पहले गुट का तर्क है कि विश्‍व टेक्‍नॉलाजी आधारित इनोवेशन के दौर में है। टेक कंपनियों के सीईओं अपने पक्ष में विशेषणों का ढेर लगा देते है। विजनेस प्रोफेसर कहते है जब मशीन बहुत अधिक बुद्धिमान हो जायेगी तब मनुष्‍य का क्‍या होगा। निराशा‍वादियों का कहना है कि कुछ कंपनियों की स्थिति अच्‍छी है पर अर्थव्‍यवस्‍था तो स्थिर है। जार्ज मेशन यूनीवर्सिटी के टायलर कोबेन का कहना है, अमेरिका अर्थव्‍यवस्‍था प्रारंभ में फायदा उठाने के बाद बीमार पड़ गई है। गार्डन तर्क देते है – दूसरी औद्योगिक क्रांति के अविष्‍कारो बिजली मोटरकार, हवाई जहाज की तुलना में आईटी क्रांति ने मामूली बदलाव किया है। फेडरिक एरिक्‍सन और जॉन व्‍हीगल लिखते है – गूगल, अमेजन जैसे मुट्टी भर सितारों को छोड़ दे तो पूंजीबाद तेजी से बूढा हो रहा है। यूरोप की 100 सबसे कीमती कं‍पनिया चालीस वर्ष से अधिक पहले स्‍थापित हुई थी। अमेरिका भी अधेड़ हो चुका है। कंपनियों का नेतृत्‍व अब साहसी पूंजीपतियों के हाथ में नहीं, बल्कि बेनगार्ड ग्रुप जैसी विराट कंपनियों के पास है। अधिकतर बड़ी कंपनियां कार्पोरेट अफसरसाह नियुक्‍त कर रही है। यूरोप के सीईओं केस जमा कर रहे है। अपनी फर्मो के शेयर खरीदकर पूर्व प्रतिद्वंद्वियों के साथ विलय कर अपनी स्थिति मजबूत बनाते है। धुधली तस्‍वीर का मामला कुछ हद तक सही हो सकता है पर पिछले बीस वर्षो में जन्‍मी उबेर, गूगल और फेसबुक जैसी नई विशाल कंपनियों के प्रभाव को कम करके नहीं आका।

45 WPM Hindi Dictation for High Court & SSC Steno Exam POST 222

45 WPM Hindi Dictation for High Court & SSC Steno Exam POST 222

अकसर वे लोग भूल जाते है जो पराजित हुए है वे अगली बार बिजयी हो सकते है, यदि कोई उन्‍में पर्याप्‍त रूचि दिखाए। विजेता तेा भाग्‍य शाली होते है । वे हमेशा ही सर्वश्रेष्‍ठ है यह जरूरी नहीं। सर्वश्रेष्‍ठ तो अंत में ही आता है, जैसा अकबर पदमसी ने कुछ हफतो पहले हमे दिखाया जिनकी पेंटिंग ग्रीक लेंडसकेप नीलामी में 19 करोड़ रूपए कीमत में बिकी और उन्‍होंने अपने से अधिक ख्‍यात अधिक सफल समकालीनों को बहुत पीछे छोड़ दिया। उन्‍होंने यह भी दिखाया अपने लिधन के वर्षो बाद अपने जीवन में उनहे अपेक्षा ही मिली। हुसैन के सारे संग्राहक सोच रहे होगे कि वे चेक बुक लेकर उनके पीदे क्‍यों दोड़ते रहे, जब उनके अल्‍पख्‍यात समकालीन आज नीलामी में काफी बेहतर प्रदर्शन कर रहे है। तैयब मेहता और अब अकबर पदमसी। भारत को जिस चीज की जरूरत है वह बढ़ावा देने  संरक्षण की संस्‍कृति हो पहले ही सफल हो चुके है उनहें संरक्षण ही नहीं बल्कि उन्‍हें जिनमें संभावना नजर आती है, समता दिखाई देती है। यही बजह है कि आज इतनी स्‍टार्पअप कंपनिया इतना अच्‍छा काम कर रही है, क्‍योंकि वे जोखिम ले रही है। वे ऐसे परम्‍परागत विजनेस में निवेश करने की बजाह, जिसमें हर कोई निवेश कर रहा है रोचक आईडिया पर पैसा लगाने को जोखिम ले रही है। असली उद्ययमशीलता के केन्‍द्र में नए आईडिया को ही चुनौती है। असली विजेता तो बे है जो उस विचार को समर्थन देने का जोखिम उठाते है।  इसी का निचोड़ तो दुनिया की सर्वश्रेष्‍ठ कंपनिया है। ओरिजनल आईडिया स्‍टील या सीमेंट की फेक्‍टरिया नहीं। अथवा पावन प्‍लांट भी नहीं जिस पर हमारे सार्वजननिक क्षेत्र का भारी कर्जा भी है। यही कारण है कि मुझे फिल्‍म बनाना रोमांच से भर देता है। आप कुछ जीत जाते है कुछ हार जाते है। यह स्‍टार्टअप जैसा ही मामला है आप ऐसे लोगो के साथ काम करते है जिनके बारे में आपका ख्‍याल है कि वे अपनी प्रतिभा, अपने कौशल और उसके प्रति अपनी प्रतिबद्धता से आपको चकित कर देंगे। जिसकी शुरूआज अभूत आईडिया से हुई है। वह आईडिया साकार करना ही असली चुनौती है और जैसा की मुबंई की सड़को पर होता है इसके रास्‍तो पर भी कई गढ्ढे है, जिसमे अजीब से नेता और फिरोती के शिकारी भी है ,जो सोचते है कि देश भक्ति को फिरौती वसूली का रेकेट चलाकर पैसा मुहैया कराना चाहिए। मै आपसे एक वादा कर सकता हूं। सार्वजनिक उद्यायन के लिए छोड़ी गयी जमीन छुड़ाने या भारतीय की भावी पीढि़ का हनन विरासत कर अवैध हनन लाइसेंस पाने के लिए गिडगिड़ाने की तुलना में फिल्‍म बनाना बहुत ही मजेदार है। यहा फिर हम मूल प्रश्‍न पर लोटते है कि क्‍यों में हमेशा युवा अंजान प्रतिभाओं को समर्थन देता हूं। जबकि मैं आराम से बैठकर सफल लोगो की वाहवाही कर सकता।

40 WPM Hindi Dictation For High Court, SSC, CRPF, Railways, LDC Exam Part 20 With Matter Link

         
40 WPM Hindi Dictation For High Court, SSC, CRPF, Railways, LDC Exam Part 20 With Matter Link

ई-कॉमर्स ने खरीद ब्रिकी की प्रक्रिया में बहुत परिवर्तन किए हैं। रिटेल कारोबार के गुरू ऐसे भविष्‍य की कल्‍पना कर रहे हैं, जिसमें शॉपिंग पूरी तरह ऑटोमेटिक हो जायेगी। स्‍मार्ट गेजिट और डेटा विषलेषण की सहायता से निर्णय दिया जायेगा कि किस घर के लिए कौन से और कितने सामान की कब जरूरत पढ़ेगी। इसका सबसे आधुनिक स्‍वरूप म्‍यूजिक स्‍ट्रीमिंट सेवा स्‍पोटीफाई के समान होगा। ऐसी सेवाएं जरूरत के सामान पेश करेगी। एमाजान प्रोक्‍टर एंड गेम्‍बल जैसी बड़ी कंपनियों और कुछ नई कं‍पनियों के प्रयासों से ऐसा जल्‍द हो सकता है। खरीददारी के अनुभवों को दो श्रेणियों में रख सकते है पहला, खोजबीन।    कोई भी सेवा खरीददार को नई चीजों और प्रोडक्‍ट के चुनाव मे मदद करती है। 2010 में स्‍थापित ब्रिज बॉक्‍स अपने सब्रसक्राईबर को 10 डॉलर में  अपने ब्‍यूटी प्रोडक्‍ट के सेंपल भेजती है। नकल करने वालों की कमी नहीं हैं। वे सब कुछ बेचते है अंग्रेजी भाषी देशों में ऐसी सेवाओं के समीक्षा करने वाली साईट माई सब्‍सक्रिप्‍सन एडिक्‍स्‍न ने इस वर्ष अब तक 998 नयें सब्‍क्रिपसन वाक्‍त देखे हैं। 2013 में इनकी संख्‍या 284 थी। वालमार्ट जैसी रिटेल कंपनियों ने अपने वाक्‍स शुरू कर दिये है। वैसे ऐसी सेवाओं के लिए अवसर सीमित है। माई सब्‍सक्रिप्‍सन एडीसन ने जिन साईट का सर्वे किया, उनमें से एक तिहाई ने बताया, उन्‍होंने इस वर्ष जितने ग्राहक बनाए थे, वे सभी सेवा बंद कर चुके है। कंजूमर तीसरे पक्ष के माध्‍यम से उस स्थिति में ही खरीदेगा जब उसे पसंद के प्रोडक्‍ट मिले। भविष्‍य मे पुरानी खरीदारी और डेटा पर नजर डालने वाली कंपनिया भी लोगों की पसंद के प्रोडक्‍ट भेज सकेगी।

ऑटोमेटिक खरीदारी की दूसरी श्रेणी अधिक क्रियाशील है। बारबार खरीदा जाने वाला आईटम किसी भी सेवा की सूची में शामिल हो जाता है। 9 वर्ष पहले अमेजन ने सब्‍साईब एंउ सेव फीचर शुरू किया था। इसमें कंन्‍जूमर को जैसे सामान नियमित रूप से खरीदने पर डिस्‍कांउट देते है। पुरूषों के प्रोडक्‍ट बनाने वाली क्‍लब सब्‍सक्राईबर को सीधे रेजर बेचती है। प्रोक्‍टर गेम्‍बल वह लाउंडरी डिटजेंट बेचने की तैयारी कर रही है। एमाजॉन और आगे जा रही है। पिछले वर्ष उसने हर दिन काम आने वाले प्रोडक्‍ट के आर्डर देने के लिए घर के पास लगने वाले – बटन बेचना शुरू किए।

70 WPM Hindi Dictation For High Court, SSC, CRPF, Railways, google Tej app Part41 With Matter

70 WPM Hindi Dictation For High Court, SSC, CRPF, Railways, google Tej app Part41 With Matter

कुल शब्‍द 704 😎

तेज एप भारत के लिए बनाया गया गूगल का नया डिजीटल भुगतान एप्‍प है। यह एक एकीकृत भुगतान इंटरफेस प्‍लेटफार्म पर काम करता है जिसे भारतीय राष्‍ट्रीय भुगतान निगम एन पी सी आई ने बनाया है। आजकल भारत में तेज एप के माध्‍यम से पैसा भेजना बहुत ही आसान हो गया है इससे आपको अपने दोस्‍तो को पैसा भेजना हो। ट्रेन या बस या फलाईट की बुकिंग हो सीधे अपने खाते में तुरंत पैसा मंगवाना हो यह सब कुछ आप तेज के जरिए कर सकते है।
सीधे अपने बैंक खाते में रूपए ट्रांसफर करे बस यू पी आई पर अपने बैंक  खाते को तेज से जोड़े और तुरंत बैंक से बैंक में रूपए भेजे और पैसो की सुरक्षा को लेकर बेफ्रिक रहे। गूगल की कई स्‍तरों वाली सुरक्षा और तेज शील्‍ड के साथ आप निश्चिंत होकर छोटे व बड़े सभी तरह के ट्रांसफर व भुगतान कर सकते हैं। तेज के केश मोड की मदद से आप बैंक या निजी जानकारी दिए बिना ही अपने आसपास के किसी भी व्‍यक्ति को भुगतान कर सकते है। या पा सकते हैं।
         आप भुगतान की सारी जरूरतों के आप तेज का इस्‍तेमाल कर सकते है और सीधे अपने बैंक से भुगतान करके भुगतान भी पा सकते है। यह तेज एप आपके मौजूदा बैंक खाते से काम करता है जिसका मतलब है कि आपका पैसा‍ बिलकुल सुरक्षित है आपको कोई नया खाता खोलने या वॉलिट में पैसे डलावाने की जरूरत नहीं है। तेज एप  भारत में उन सभी बैंको के साथ काम करता है जो यू पी आई समर्थित है। आप कही भी कहीं से भी अपने परिवार और दोस्‍तों को रूपए भेज सकते है और रोजना के लेन देन करने और साथ ही बड़ी रकम आसानी से भेजने के लिए तेज का उपयोग कर सकते है। जिस किसी के पास तेज या यू पी आई के साथ काम करने वाला कोई दूसरा एप है आप बस उनहे अपनी सम्‍पर्क सूची से चुनकर या उनका यू पी आई आर्डडी डालकर उनहें रूपए भेज सकते है या पा सकते है।

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60 WPM Hindi Dictation For High Court, SSC, CRPF, Railways, LDC, Steno Exam part 36 With Mater Link

हिंदी साहित्‍य में प्रचलित क्षितिज शब्‍द से प्राय: सभी परिचित है। साहित्‍य जगत में शायद ही कोई साहित्‍यकार है जिसकी लेखनी इसके स्‍पर्श से वंचित रह गई हो। क्षितिज शब्‍द  में अंतर की गहन वेदना और अंतहीन प्रतीक्षा की अभिव्‍यंजना समाई है। इस शब्‍द का सम्‍बन्‍ध  उस युगल प्रेमी से है जिन्‍हें धरती और आकाश के नाम से जाना जाता है उदार ह्रदय धरती और उस पर फैले विस्‍तृत आकाश की चिरप्रतीक्षा इसी बिंदु पर समाप्‍त होती है। क्षितिज वो मंजिल है जिसे पाने के लिए दो मूक प्रेमी धरती और आकाश युगों का सफर करते आ रहे है यह वह स्‍थान है जहां आसमान धरती से अपने चिर मिलन की आंकाक्षा को पूर्ण करना चाहता है किंतु  क्षितिज मृग तृष्‍णा की भांति जल पी रहा। अत: मिलन कैसा? फिर उनहोंने उसे अपनी मंजिल क्‍यो बनाया। उत्‍तर शायद यही होगा कि कभी कभी जीवन में स्‍वसुख से परसुध अधिक महत्‍वपूर्ण हेा जाता है जो बराबर त्‍याग करने को विवश कर देता है बस इतनी ही तो कथा है। धरती और आकाश की बरसो पूर्व जब आकाश ने यौवन की दरहीज पर कदम रखा तब रंग बिरंगे फूलों से सजी सवरी धरती ने उसे अपनी और आकर्षित किया। आकाशा धरती की खिचा चला गया। जीवन का यह प्रथम आकर्षण प्रेम मेंबदल गया। आकाश धरती से मिलने झुका तो परिणाम प्रलय में परिणित हो गया। मनुष्‍य पक्षी सभी त्रृस्‍त हो गये। और अपने मिलन में संसार की ऐसी बर्बादी ना धरती सह सकी ना आकाश फलस्‍वरूपा मिलन की घडि़या चिरप्रतीक्षा मे परिणित हो गयी और यही से प्रारंभ हुआ  उनका अनदेखा सफर विश्‍व ने जिसे  छितिद की संज्ञा दी आज भी दोनों एक दूसरे की प्रतिक्षा करते है और मन में मिलन के प्रज्वलित द्वीप संजोए रखते है शरद ऋतु से नव वर्ष प्रारंभ होता है। धरती रंग बिरंगे फूलो से सजने लगती है। सरसो की पीली साड़ी में लिपटी गुलाब के गुलाबी फूलो से सजी सबरी धरती आसमान की कभी ना पूरी होने वाली प्रतिक्षा करती है। बसंत के सज धज सारे संसार कोखुशहाल बनाती है। बंसती हवाओं के मंद मंद झोके मिलने के गीतों का अहसास दिलाते है ।दूर स्थित शरद का नीला आकाश धरती की सज धज देख हर्षित होता है। इधर प्रतीक्षा में लीन धरती प्रतीक्षा करते करते ठक जाती है फिर  भी प्रतीक्षा की घडि़या समाप्‍त नहीं होती। वो आकाश नहीं आता वो आता भी कैसे उसके कैसे और धरती के बीच संसार की खुशियों की दीवार जो है धरती की खुशिया गम मे बदलने लगती है उसकी आत्‍मा चीतकार उठती है गीत आंहों में बदल जाते है। विरह अग्नि में जलती धरती अपने साथ विश्‍व को झुलसा देती है लू के गर्म झोके धरती की जलन का पता देते है। ऐसे मे दूर से ताकता आकाश भी दुखी होता है किंतु विवशताबस कुछ कर नहीं पाता आकाश धरती के गम को महसूस करता है उसके गम से परिचित है लेकिन असंभव को संभव कैसे बनाए।

40 WPM Hindi Dictation For High Court & SSC Steno 23

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देश की 125 करोड़ की आबादी में लगभग आधे लोगों को कभी ना कभी किसी कानूनी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है तथा कई बार लोवर कोर्ट से माननीय सर्वोच्‍य न्‍यायालय तक न्‍याय की आशा में जाना पड़ता है। न्‍यायिक प्रक्रिया में एक छोटी से विसंगति यह है कि माननीय न्‍यायालय के निर्णय अधिकांशत: अंग्रेजी भाषा मे आते है। 


यदि कोई व्‍यक्ति किसी न्‍यायालय में न्‍याय के आशा में उपस्थित है और उसे प्रकरण का निर्णण उसी के समक्ष मान्‍नीय न्‍यायालय के द्वारा  किया गया है, तो अंग्रेजी भाषा में होने के कारण उसको यह आभास नहीं हो पाता है कि उक्‍त प्रकरण में उसे न्‍याय मिला या नहीं। जब वह निर्णय की प्रति माननीय न्‍यायालय के प्रतिलिपिकार से प्राप्‍त करता है तो कश्‍मीर से कन्‍याकुमारी तक तथा महराष्‍ट्र से मिजोरम तक उक्‍त निर्णय की प्रति उसे अंग्रेजी भाषा में प्राप्‍त होती है। व दुर्भाग्‍य से उसे अंग्रेजी भाषा का ज्ञान नहीं है तो वह जब तक किसी द्वुभा‍षीय के पास ना जाये तो उसे यह पता ही नहीं चल पाता कि उसके प्रकरण में क्‍या निर्णय हुआ है।


 सिविल प्रकरण में कई बार निर्णय से पक्षकार को अवगत होने में काफी समय लग जाता है। मैं अनुरोध करना चाहूंगा कि किसी न्‍यायालय निर्णय की नकल पक्षकार लेने हेतु आवेदन करे तो उक्‍त आवेदन में यह विकल्‍प होना चाहिए कि किस भाषा में लेना चाहता है, उसी भाषा में उसे निर्णय की प्रति उपलब्‍ध कराई जाये। तकनीकि रूप से क्षेत्रीय भाषाओं में शब्‍दांश का अर्थ कुछ अलग होता है लेकिन ऐसी स्थिति में यह सुझाव भी प्रेषित किया जा सकता है कि माननीय न्‍यायालय के निर्णय के कापी अंग्रेजी के साथ साथ पक्षकार को उसके द्वारा मांगी गई क्षेत्रीय भाषा में  भी उपलब्‍ध कराई जाये। 


बिट्रिश संसद द्वारा सन 1861 में पारित भारतीय अधिनियम द्वारा न केवल कलकत्‍ता और बंबई के सर्वोच्‍य न्‍यायालयों के स्‍थान पर उच्‍च न्‍यायालयों की स्‍थापना का प्रावधान किया गया बल्कि लेटर्स पेंटेंट के द्वारा बिट्रेन  की महरानी के राज्‍य क्षेत्र में किसी ऐसे स्‍थल पर उच्‍च न्‍यायालय की स्‍थापना का प्रावधान भी किया गया। जहां किसी अन्‍य उच्‍च न्‍यायालय की अधिकारिता नहीं थी। सन् 1866 में पुरानी सदर दीवानी अदालत को हटाकर उसके स्‍थान पर 17 मार्च 1866 के लेटर्स पेंटेंट द्वारा उत्‍तरी पश्चिमी प्रदेशों के लिए उच्‍च न्‍यायालय आगरा अस्तित्‍व में आया। 

बैरिस्‍टर एंड लॉ सर बाल्‍टर मार्गन और सिम्‍सन उत्‍तरी पश्चिमी प्रदेशेां के उच्‍च न्‍यायालय की क्रमश: प्रथम मुख्‍य न्‍यायाधीश और प्रथम रजिस्‍ट्रार नियुक्‍त किए।

55 WPM Hindi Dictation For High Court, SSC, CRPF, Railways, LDC Exam Part 37 With Matter Link


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सृष्टि के अदिकाल से ही नारी की महत्‍वता अछन्‍न है। नारी सृजन की पूर्णत: है उसके अभाव में मानवता के विकास की कल्‍पना असंभव है। समाज के रचना विधान में नारी के मां प्रियसी पुत्री एंव पत्नि जेसे अनेक रूप है। वह समपरिस्थितियों में देवी है तो विषम परिस्थितियों में दुर्गा भवानी। 


वह समाज रूपी गाड़ी का एक पहिया है। जिससे बिना सम्रग जीवन ही पंगु है। सृष्‍टि चक्र में सत्री एक दूसरे के पूरक है। मानव जाति के इतिहास पर दृष्टिपात करे तो ज्ञात होगा कि जीवन में कौ‍टुम्‍बिक राजनीतिक साहित्‍यक धार्मिक सभी क्षेत्रों में प्रारंभ से ही नारी की अपेक्षा पुरूष का आधिपत्‍य रहा है। पुरूष ने अपनी इस श्रेष्‍टता और शक्ति सम्‍पन्‍नता का लाभ उठाकर स्‍त्री जाति पर मनमाने अत्‍याचार किए है। 


उसने नारी की स्‍वतंत्रता का अपहरण कर उसे पराधीन बना दिया। सहयोगनी या सहचरी के स्‍थान पर उसे अनुच्‍छी बना दिया और स्‍वयं  उसका पति, स्‍वामी नाथ प‍थ प्रदर्शक और साक्षात ईश्‍वर बन गया। इसप्रकार मानव जाति के इतिहास में नारी की स्थति दयनीय बनकर रह गई है। उसकी जीवन धारा रेगिस्‍तान एवं हरे भरे बगीचे के मध्‍य प्रतिफल प्रवाह मात्र है प्राचीन भारतीय समाज में नारी जीवन के स्‍वरूप की व्‍याख्‍या करे तो हमे ज्ञात होगा कि बौद्धिक काल में नारी को महत्‍वपूर्ण स्‍थान दिया जाता था। 


वह सामाजिक धार्मिक और आध्‍यात्‍मिक सभी क्षेत्रों में पुरूष के साथ मिलकर कार्य करती थी। रोमासा और लोपामुद्रा आदि अनेक नारियों ने ऋगवेद के सूत्रो की रचना की थी। रानी केकई ने राजा दशरथ के साथ युद्ध भूमि मे जाकर  उनकी सहायता के रामायण काल त्रेतास युग में भी नारी की महत्‍वता अछन्‍न थी। इस युग में सीता अनुसुईया एवं सिलोचना आदि आदर्श नारी हुई। महाभारत काल यानी द्वापर युग में नारी पारिवारिक सामजिक एवं राजनीतिक गतिविधियों में पुरूष के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने लगी। संचालन की केन्‍द्रीय बिंदु थी द्रोपदी, गांधारी और कुंती इस युग की शक्ति थी। 


आधुनिक नारी आधुनिक युग के आते आते नारी चेतना का भाव उत्‍कृष्‍ट रूप से जागृत हुआ । युग युग की दास्‍तां से पीडित नारी के प्रति एक व्‍यापका सुहानुभूमि एक व्‍यापक दृष्टिकोण अपनाएं जाने लगा। बंगाल मे राजा राम मोहन राय और उत्‍तर भारत मे महार्षि दयानंद सरस्‍वती ने नारी को पुरूषों के अनाचार की छाया से मुक्‍त करने के लिए क्रांति का विगुल बजाया। अनेक कवियों की वाणी भी इन दुखी नारियों की सहानुभूति के लिए अवलोकनीय है। 


कविवर सुमित्रानंदन पंत ने तीन स्‍वर में नारी स्‍वतंत्रता की मांग की। मुक्‍त करों नारी को मानव चिरनंदनी नारी को युग युग की निर्मल कारा से जन्‍मी सबकी प्‍यारी को। अकसर जनता के समक्ष खड़े होकर बोलने का मौका सबको नहीं मिल पाता किंतु हम सब अपने परिवार मित्र सहकर्मी सहपाठी आदि के बीच अथवा समूह में बातचीत करते है। 


बातचीत किस प्रकार की जाये यह भी एक कला है। भाषण देने की भांति आपसी बातचीत करना एक ऐसी आनंद दायक कला है जिसके द्वारा हम तनाव मुक्‍त हो सकते है इसके लिए पैसा खर्च करने की जरूरत नहीं है। इसके फायदे भी बहुत है। इससे हमें शिक्षा मिलती है और वैमनस्‍ता दूर होकर और आपसी संबंधों में बनाती है और हमारा ज्ञान बढ़ाती है।

Monday 29 January 2018

Hindi Dictation for High Court Exam [134] : 40 WPM 👌 Ft. Shubham #HINDIDICTATION




424
समय 10 मिनिट

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बेगलुरू के समीप एक तालाब में डूबने से हुई मौत सेल्‍फी की लत के शिकार लोगों के मुह पर किसी करारे तमाचे से कम नहीं मानी जा सकती। नहाते समय  तालाब में डूबने वाले छात्र का दुर्भाग्‍य यह था कि उसके साथी छात्रों से बचाने की जगह तालाब किनारे खड़े होकर सेल्‍फी लेने में मशगूल थे।


दो महीने पहले पंजाब में सेल्‍फी शौक के चलते दो बहनों की  नहर में डूबने से मौत हो गई थी। देश के अलग अलग हिस्‍सो  से ऐसे दर्दनाक हादसों की खबरे आये दिन अखबारों चैनलों की सुर्खिया बनने लगी है। एक जानकारी के मुताबिक विश्‍व में सेल्‍फी लेने के दौरान होने वाली मौतों में भारत का स्‍थान टॉप पांच देशों में है। सवाल यह है कि बेगलुरू के समीप डूबने से हुई छात्र की मौत को मौत ना मानकर क्‍यों ना हत्‍या माना जाये?


अपने डूबते साथी को बचाने की जगह सेल्‍फी में मशगूल होना क्‍या गुनाह नहीं माना जाये ? सेल्‍फी का शौक अगर किसी की जान पर भारी पड़ने लगे तो इसे समझदारी नहीं माना जा सकता। आधुनिक तकनीक और स्‍मार्टफोन के बढ़ते चलन के इस दौर में दूसरे देशों के मुकाबले भारत में सेल्‍फी की बीमारी महामारी का रूप लेती जा रही है।


         चलती ट्रेन में गेट के पास खड़े होकर  सेल्‍फी लेना क्‍या आत्‍महत्‍या की कोशिश नहीं है। सेल्‍फी लेने के चक्‍कर में लगातार हो रही मौतों कें मामले चिंता का कारण बन रहे है। ऐसी बात नहीं कि सेल्‍फी के चक्‍कर में जान जोखिम में डालने वाले अबोध है। पड़े लिखे और समझदार लोग भी जाने अंजाने में इस खतरनाक लत का शिकार हो रहे है। इस बारे में जागरूकता पैदा करने की जरूतर है। इसके लिए पहली पाठशाला परिवार से बेहतर कुछ नहीं हो सकता।


         अभिवावक् अपने बच्‍चों को ज्ञान दे सकते है तो स्‍कूल कॉलेजों में अध्‍यापकों को इस बारे में जागरूकता फैलानी चाहिए। जरूरत सेल्‍फी के शौक को लत में बदलने की रोकने की है। यह ऐसा मुद्दा नहीं जिसका हल सरकार या प्रशासन के पास हो, इस मुद्दे का हल हर व्‍यक्ति को अपने आप तलाशना होगा।


सेल्‍फी के शौक के साथ साथ जिंदगी के महत्‍व को भी समझना होगा। बेगलुरू के छात्रों ने थोड़ी भी सूझबूझ दिखाई होती तो किसी के घर का चिराग बुझने से बचाया जा सकता था।


कोशिश हो कि भविष्‍य में सेल्‍फी की लत किसी जान पर भारी ना पढ़ने पाये। जरूरत सेल्‍फी के शौक को लत में बदलने से रोकने की है। यह ऐसा मुद्दा नहीं जिसका फल सरकार या प्रशासन के पास हो। हल हमें खुद ही तलाशना होगा।


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70 WPM

चेयरमेन साहब मैं आपसे कहना चाहता हूँ कि हम लोग देख रहे है कि गरीबी सबके लिए नहीं है कुछ लोग तो देश में इस तरह से पनप रहे है‍ कि उनकी संपत...