Saturday 31 March 2018

40 WPM - 45 WPM Legal Hindi Dictation for Court and SSC Typing Exam


435

डाक्‍टर की राय के अनुसार मृतक की मृत्‍यु  कार्डियोरेसपिरेटरी आरेस्‍ट कारण हुई जो स्पिलिन के फटने व अधिक मात्रा में रक्‍त स्‍त्राव से हुई चोट का स्‍वरूप होमोसाइडल था। मृतक के शरीर में जो चोट थी वह  प्रकृति के सामान्‍य अनु्क्रम में उसकी मृत्‍यु कारित  करने के लिए पर्याप्‍त थी। उसकी मृत्‍यु शव परीक्षण के 18 से 20 घंटे के पूर्व हुई थी।
         मृतक को आई चोट के संबंध में जब डाक्‍टर से क्‍वरी की गई , तो उनहोंने बताया कि प्रकरण में जप्‍तशुदा लकड़ी से मृतक को उक्‍त चोट आ सकती  है  व उसकी तिल्‍ली फटने से उसकी मृतयु हो सकती  है। अभियोजन की ओर से मृतक के पिता के कथन कराए गए है जिसने अपने कथनो में यह बताया गया है कि रामटेक से इमली ढाना के भैयालाल के पास फोन आया था कि ज्‍वारीलाल को रामसिंह ने मारा, जिससे वह मर गया तब वह शांतिलाल, साहुलाल व दो-तीन अन्‍य आदमियों के साथ ज्‍वारीलाल को देखने रामटेक गया था, वहां जाकर देखा कि ज्‍वारीलाल मर चुका था व उसकी लाश आरोपी के घर में पड़ी थी। उसके पेट, माथा व शरीर के अन्‍य भागों में चोट थी, इसके उपरांत उसने पुलिस को सूचना दिया, पुलिस मौके पर आई, उसकी लाश का पंचनामा तैयार किया। लाश को शव-परीक्षण हेतु खिरकिया अस्‍पताल भेजा  गया। शवपरीक्षण पश्‍चात उसे लाश अंतिम संस्‍कार हेतु दी गई।
         इस पकार प्रकरण में प्रस्‍तुत चिकित्‍सकीय साक्ष्‍य से व मृतक  के पिता की साक्ष्‍य से यह स्‍पष्‍ट है कि घटना दिनांक को मृतक की मृत्‍यु हुई। डॉक्‍टर की राय के अनुसार मृत्‍क  के शरीर में अनेक स्‍थानों में चोट थी व उसकी  मृत्‍यु को डॉक्‍टर ने होमीसाईडल बताया है इस प्रकार  यह भी प्रमाणित है कि मृतक की मृत्‍यु मानव बध स्‍वरूप की थी।
मृतक के पिता ने अपने कथनों में यह भी बताया है कि मृतक ज्‍वारीलाल उसका लड़का है, जिसकी  शादी सुंदरबाई से हुई थी, उसका लड़का  दीपावली के 8 दिन पहले सोयाबीन की मजदूरी करने ग्राम क्षीपाबड़ आया था। उसकी पत्नि रामटेक में अपने मायके मे रह रही थी तब उसका  लड़का उसे लेने के लिए गया था। साक्षी कहता है कि वह अपने लड़के की मृत्‍यु की सूचना पाकर जब वह रामटेक गया तो उसने अपनी बहु सुदंरबाई समधी व नातिन आदि से पूछा की कैसे क्‍या हो गया, तो उनहोंने बताया कि उसे मामा ने मार दिया है। आरोपी के पिता ने भी यह बात बताई।
         साक्षी ने अपने प्रतिपरीक्षण में रामसिंह व उसके पिता नंदराम का घर अलग-अलग होना बताया है। परंतु नक्‍शा मौका प्रदर्श पी-7 के अवलोकन से यह प्रकट है कि इसमें नंदराम व रामसिंह का मकान अगल-बगल होना

Wednesday 21 March 2018

40 - 45 WPM Hindi dictation


463
समय 11 मिनिट


आरोपी के विरूद्ध फादस की धारा 201 अंतर्गत अपराध का आरोप है कि दिनांक 04.02.2017 को समय लगभग 12 बजे रनिंग ट्रेन नम्‍बर 11015 से यात्रा करते समय फरियादी राकेश मिश्रा अपनी पत्नि पूजा का लेडिस पर्स जिसमें एक मोबाईल, एक सोने की अंगूठी, एक चेन, नगद 4280 में से फरियादी के आधिपत्‍य से चुराई गई समप्‍त्ति में से पर्स में से मो‍बाईल रूपए निकालकर पर्स को  चलती ट्रेन में फेंककर साक्ष्‍य का विलोपन किया।
        प्रकरण में स्‍वीकृत तथ्‍य यह है कि फरियादी एवं आरोपी के  मध्‍य धारा 389 फादस में राजीनामा होने के कारण आरोपीगण को दोषमुक्‍त किया गया है। अभियोजन की कहानी संक्षेप में इस प्रकार है कि दिनांक 04.02.2017 को फरियादी राकेश अपनी पत्नि के साथ ट्रेन में यात्रा कर रहा था। ट्रेन चलने के बाद उसकी पत्नि ने देखा की उसका लेडिस पर्स किसी ने चोरी कर लिया था। पुलिस के द्वारा विवेचना के दौरान साक्षीगण के कथन अंकित किए गए तथा अन्‍य आवश्‍यक विवेचना के उपरांत अभियोगपत्र इस न्‍यायालय में पेश किया गया है।
        आरोपी को कंडिका-1 के अनुसार आरोप पढ़कर सुनाए, समझाए जाने पर आरोपी ने अपराध करना अस्‍वीकार किया तथा विचारण चाहा। आरोपी का धारा-313 के अंतर्गत प‍रीक्षण किए जाने पर आरोपी ने स्‍वयं को  निर्दोष एवं झूठा फंसाया जाना बताया है तथा आरोपी की ओर से बचाव में कोई साक्ष्‍य प्रस्‍तुत नहीं की गई है।
प्रकरण से मुख्‍य विचारीण प्रश्‍न यह है कि क्‍या घटना दिनांक समय व स्‍थान पर आरोपी द्वारा फरियादी राकेश मिश्रा अपनी पत्नि पूजा का लेडिस पर्स जिसमें एक मोबाईल, एक  सोने की अंगूठी, एक चेन, नगद 4280 में से फरियादी के आधिपत्‍य से चुराई गई सम्‍पत्ति में से पर्स में से मोबाईल रूपए निकालकर पर्स को चलती ट्रेन में फेंककर साक्ष्‍य का विलोपन किया।
इस संबंध में फरियादी राकेश के द्वारा बताया गया है कि दिनांक04.02.2017 को कुशीनगर एक्‍सप्रेस से मुबंई से  वस्‍ती उत्‍तरप्रदेश अपनी पत्नि एवं बच्‍चों के साथ यात्रा कर रहा था। तब उसकी पत्नि का हेंड बैग किसी ने चोरी कर लिया था उसमें एक सोने की अंगूठी, चेन, नोकिया कंपनी का मोबाईल तथा 4280 रूपए थे। उसने प्रति 01 का आवेदन दिया था जिसके ए से ए भाग पर उसके  हस्‍ताक्षर है।
        प्रकरण के विवेचक रमेशवर्मा 02 के द्वारा बताया गया है कि उनके द्वारा  इस प्रकरण की विवेचना के दौरान आरोपी शंकर का प्रति 03 का मेमोरेण्‍डम लिया था जिसमें उसने बताया था कि ट्रेन में यात्रा कर रही एक महिला का पर्स चोरी कर लिया था जिसमें एक  सोने की चेन, सोने की अंगूठी, तथा 4020 रूपए तथा मोबाईल मिला, मोबाईल उसने ट्रेन से फेक दिया था तथा चेन एवं अंगूठी अपने पास रख ली थी। आरोपी सुनील से अंगूठी जप्‍त कर जप्‍ती पत्रक प्रति 04  बनाया था तथा आरोपी शंकर से सोने की चेन जप्‍त कर जप्‍ती पत्रक 05 तैयार किया था।

50 WPM Hindi Dictation




आरोपी के विरूद्ध यह प्रकरण अंतर्गत धारा 302 के अधीन इस प्रकार है कि उसने दिनांक 13.10.2014 को दिन के 03:00 बजे अपने स्‍वयं के मकान की टापरी स्थित ग्राम रामटेक थाना छीपाबढ़ में मृतक ज्‍वारीलाल की हत्‍या करने के आशय से उसके पेट में लकड़ी मारी, जिससे उसकी मृत्‍यु हो गयी। अभियोजन के अनुसार मामले के तथ्‍य संक्षेप में इस प्रकार है कि मृतक के पिता बुद्धु ने पुलिस थाना छीपाबढ़ में इस आशय  की सूचना दिया कि उसका लड़का ज्‍वारीलाल अपनी पत्नि सुदंरबाई को लिबाने लिए अपनी ससुराल ग्राम रामटेक गया था, साथ में उसकी नातिन रविता व कविता भी गई थी, तभी लिबाने की बात को  लेकर रामसिंह का विवाद ज्‍वारीलाल से हो गया व उसने उसके साथ लकड़ी से मारपीट किया, जिससे  उसकी मृत्‍यु हो गई, सूचना मिलने पर वह स्‍वयं रामटेक गया, वहां उसने अपने  लड़के को मरा हुआ पाया।


          घटना को रविता व कविता  ने देखा। घटना 3 बजे की बताई गई उक्‍त सूचना दिए जाने मर मर्ग क्रमांक 10/14 कायम किया गया व उसकी सूचना एसडीएम हिरकिया को दी गई। मर्ग की जांच के दौरान सूचनाकर्ता बुद्धु मृतक की पत्नि सुंदरबाई व उसकी लड़कियां रविता व कविता के कथन लिए गए। जिसमें यह बात कही गई कि मृतक को उसके सगे साले आरोपी रामसिंह ने झूमाझटकी करके जमीन में पटक दिया व जलाऊ लकड़ी से उसकी मारपीट की जिससे उसकी मृत्‍यु हो गई। मृतक व आरोपी के बीच विवाद सुंदरबाई को अपने साथ ले जाने की बात पर से हुआ। मृतक के शव का परीक्षण किया गया, जिसमें डॉक्‍टर ने मृत्‍यु का कारण मृतक की हत्‍या किया जाना बताया। इस पर आरोपी के विरूद्ध धारा 302 का प्रकरण पंजीबद्ध किया गया। मामले का अनुसंधान किया गया, जिसके अंतर्गत मौके  से  एक  लकड़ी आरोपी की निशादेही पर जब्‍त की गई जो दी फीट आठ इंच लंबी थी व उसकी मौटी 21 सेंटीमीटर थी जिसका एक शिरा कटा हुआ था व दूसरे शिरे मे गठान कटी हुई थी। पुलिस ने घटना स्‍थल का नक्‍शा मौका बनाया। आरोपी का मेमोरेण्‍डल का कथन अभिलिखित किया गया व उसको गिरफ्तार किया गया। साक्षियों कें कथन अभिलिखित किए गये तथा अनुसंधान पूरा होने पर आरोपी के विरूद्ध अभियोग पत्र अंतर्गत धारा 302 के अधीन पेश किया गया। आरोपी पर आरोप अंतर्गत धारा 302 के अधीन विरचित किए जाने पर उसने जुर्म अस्‍वीकार किया व प्रतिरक्षा चाही।
       

   क्‍या घटना दिनांक 13.10.14 को ज्‍वारीलाल की मृत्‍यु हुई जो मानववध स्‍वरूप की थी? क्‍या आरोपी ने मृतक की हत्‍या कारित करने के आशय से उसके साथ उक्‍त लकड़ी से मारपीट किया, जिससे उसकी मृत्‍यु हो गई? अभियोजन की ओर से डॉक्‍टर ऑरके विश्‍वकर्मा के कथन कराए गए है जो दिनांक 14.10.14 को सामुदायिक स्‍वास्‍थ्‍य केन्‍द्र खिरकिया में मेडिकल ऑफिसर के पद  पर पदस्‍थ थे उन्‍होंने उक्‍त दिनांक को मृतक के शव का परीक्षण किया। मृतक के इपीगेस्टिक रीजन में एक कटे हुए घाव की चोट 2 गुणा 2 सेंटीमीटर की पाई। आंख के उपर भी एक कटा हुआ घाव था जो पांच गुणा तीन सेंटीमीटर था। वाये ई‍लियफ री‍जन में एक कटे हुए घांव की चोट थी, जो पांच गुणा दो सेंटीमीटर की थी। पीठ में घिसाव के निशान थे, हाथ पैर

Tuesday 20 March 2018

95 WPM Post-9


950

उपसभा अध्‍यक्ष जी मैं शुरू मैं यह निवेदन कर देना चाहता हूं कि राष्‍ट्रपति पद और राष्‍ट्रपति के लिए मेरे लिए मेरे दिल में बड़ा आदर है इसमें किसी को संदेह नहीं हेाना चाहिए। लेकिन जब मेने इस भाषण को पड़ा है तेा मुझे घोर निराशा हुई है और मुझे याद आता है कि मुझे इस तरह का भाषण इस सदन में पेश नहीं किया गया यह उम्‍मीद नहीं थी हमको कि राष्‍ट्रपति के भाषण में इस तरह की बात कहीं जायेगी। राष्‍ट्रपति कें भाषण में यह उम्‍मीद की जाती है और देश चाहता है कि देश के सामने जो मौलिक प्रश्‍न है आगे आने वाले वर्ष में उनको कैसे हल किया जायेगा। इसकी कुछ रूपरेखा मिलेगी इस बात का कोई संकेत इसमें नहीं है। कौन से ऐसे प्रश्‍न है आज देश का सबसे मौलिक प्रश्‍न है यहां की गरीबी मिटाने का क्‍या सरकारी पार्टी के लोग इसको नकार सकते है कि यह प्रश्‍न नहीं है। सरकारी पक्ष से जो जबाव आयेगा वह उसमें बताएगे लेकिन इसमें तो कोशिश यह हुई है किस तरह से गरीबी और बड़े। यहा इसके जरिए उल्‍टी गंगा बहाई जा रही है। यह चीज है जो मै पहले कहने जा रहा हू कि इस सदन से और यहां से देश उम्‍मीद करता था कि जो पार्टी पावर में है और जिसको देश की जनता ने चुनकर भेजा है और उसने भेजा है तभी आप वहां की जनता ने चुनकर भेजा है। कुछ ना कुछ करेगे देश की गरीबी मिटाने के लिए लेकिन आप कुछ करिए तो मैं पहला आदमी होऊगा जो आप का साथ देगा लेकिन आप कुछ भी नहीं कर सकते है। यह मैं जानता हूं कहा आपकी तागत है और कहा आपका कलेजा कापता है इसकी गहराई में नहीं जाना चाहता लेकिन मैं उसे जानता हूं इस गरीबी को मिटाने के लिए इस भाषण में कुछ नहीं है इसमें कुछ 40 मुद्दे है इसमें पहले तो परिचात्‍मक है और अंतिम में सदस्‍यों का स्‍वागत किया गया  है बाकी 38 मुद्दों में एक भी मुद्दा ऐसा नहीं है जिससे सरकार इस देश की गरीबी को मिटा सकती हो कही कुछ  नहीं है और जो बाते दी गई है राष्‍ट्रपति के भाषण में यह तो अखबारों में रोज छपती है और अकसर छपती रहती है। मुझे ऐसा महसूस होता है सरकार को इस विषय पर सोचने के लिए सरकार को पूरा समय नहीं मिला है और अगर मिला है तो जल्‍दी जल्‍दी इसको‍ लिखा गया है इसलिए कि कुछ बाते दे दे और उनको ही राष्‍ट्रपति के मुह से कहलवा दे अगर सच्‍चाई के साथ सोचा जाता तो हो सकता है कि इसमे पहला मुद्दा यह होता कि इस तरह से देश की गरीबी को मिटाया जा सकता है। मैं यह जानना चाहता हँ कि उसको आप एक दिन में मिटा नहीं सकते लेकिन इस दिशा में अपकी तब्‍ज्‍या होनी चाहती थी जो दिखाई नहीं देती।
उपसभा अध्‍यक्ष जी मैं शुरू मैं यह निवेदन कर देना चाहता हूं कि राष्‍ट्रपति पद और राष्‍ट्रपति के लिए मेरे लिए मेरे दिल में बड़ा आदर है इसमें किसी को संदेह नहीं हेाना चाहिए। लेकिन जब मेने इस भाषण को पड़ा है तेा मुझे घोर निराशा हुई है और मुझे याद आता है कि मुझे इस तरह का भाषण इस सदन में पेश नहीं किया गया यह उम्‍मीद नहीं थी हमको कि राष्‍ट्रपति के भाषण में इस तरह की बात कहीं जायेगी। राष्‍ट्रपति कें भाषण में यह उम्‍मीद की जाती है और देश चाहता है कि देश के सामने जो मौलिक प्रश्‍न है आगे आने वाले वर्ष में उनको कैसे हल किया जायेगा। इसकी कुछ रूपरेखा मिलेगी इस बात का कोई संकेत इसमें नहीं है। कौन से ऐसे प्रश्‍न है आज देश का सबसे मौलिक प्रश्‍न है यहां की गरीबी मिटाने का क्‍या सरकारी पार्टी के लोग इसको नकार सकते है कि यह प्रश्‍न नहीं है। सरकारी पक्ष से जो जबाव आयेगा वह उसमें बताएगे लेकिन इसमें तो कोशिश यह हुई है किस तरह से गरीबी और बड़े। यहा इसके जरिए उल्‍टी गंगा बहाई जा रही है। यह चीज है जो मै पहले कहने जा रहा हू कि इस सदन से और यहां से देश उम्‍मीद करता था कि जो पार्टी पावर में है और जिसको देश की जनता ने चुनकर भेजा है और उसने भेजा है तभी आप वहां की जनता ने चुनकर भेजा है। कुछ ना कुछ करेगे देश की गरीबी मिटाने के लिए लेकिन आप कुछ करिए तो मैं पहला आदमी होऊगा जो आप का साथ देगा लेकिन आप कुछ भी नहीं कर सकते है। यह मैं जानता हूं कहा आपकी तागत है और कहा आपका कलेजा कापता है इसकी गहराई में नहीं जाना चाहता लेकिन मैं उसे जानता हूं इस गरीबी को मिटाने के लिए इस भाषण में कुछ नहीं है इसमें कुछ 40 मुद्दे है इसमें पहले तो परिचात्‍मक है और अंतिम में सदस्‍यों का स्‍वागत किया गया  है बाकी 38 मुद्दों में एक भी मुद्दा ऐसा नहीं है जिससे सरकार इस देश की गरीबी को मिटा सकती हो कही कुछ  नहीं है और जो बाते दी गई है राष्‍ट्रपति के भाषण में यह तो अखबारों में रोज छपती है और अकसर छपती रहती है। मुझे ऐसा महसूस होता है सरकार को इस विषय पर सोचने के लिए सरकार को पूरा समय नहीं मिला है और अगर मिला है तो जल्‍दी जल्‍दी इसको‍ लिखा गया है इसलिए कि कुछ बाते दे दे और उनको ही राष्‍ट्रपति के मुह से कहलवा दे अगर सच्‍चाई के साथ सोचा जाता तो हो सकता है कि इसमे पहला मुद्दा यह होता कि इस तरह से देश की गरीबी को मिटाया जा सकता है। मैं यह जानना चाहता हँ कि उसको आप एक दिन में मिटा नहीं सकते लेकिन इस दिशा में अपकी तब्‍ज्‍या होनी चाहती थी जो दिखाई नहीं देती।



60 WPM POST-8


सभापति महोदय आग लगने के बाद कुआं खोदने की जो प्रथा है वह बंद होनी चाहिए। मैं  समझता हूं कि पहले जो राजा थे वे  सोचते थे किे दूसरे  लोग प्रशिक्षण नहीं ले  सकते है लेकिन सवाल यह नहीं है सवाल है देश में नया अनुशासन पैदा करने  का तथा नई सेना खड़ी करके हमें प्रशि‍क्षण देना चाहिए। आजकल लोगों में एक हीनता  की भावना आ गई  है। मैं समझता हूं  कि यह प्रशिक्षण इसलिए  जरूरी है कि लोगों में एक नया बल एक नया जोश और एक नया अनुशासन पैदा हो।
         आज भी  हम सुनते है  कि गांवो में हरिजनों पर अत्‍याचार होते है हरिजनों पर  जो हमले वहां होते है उनका मुकाबला वह लोग नहीं कर सकते है क्‍योंकि उनको राईफल चलाने का ज्ञान नहीं है आज शांतिपूर्ण  हर‍जनों पर अत्‍याचार होते है। मैं तो  यहां तक कहता हू कि पुरूषों तक को नहीं महिलाओं को भी यह प्रशिक्षण मिलना चाहिए। आज हम 20 करोड़ रूपए अपनी रक्षा पर खर्च करते है इसके बजाह अगर  देश का बच्‍चा बच्‍चा जानदार आदमी बन जाए और राईफल  का  प्रशिक्षण लिए हो तो मैं समझता हूं कि इतना पैसा देश के विकास के काम में खर्च हो सकता है लेकिन हमने कभी भी इस बात को नहीं सोचा। पहले जो इस देश के बड़े बड़े लोग थे उन्‍होंने अपनी राईफल ले ली।

उनहोंने उसको  चलाने का प्रशिक्षण ले लिया। यह समझकर कि यह काम किसी  खास जाति का  है मेरा  विचार यह है कि आज देश के 56 करोड़ लोग अपने अंदर एक नया आत्‍मविश्‍वास  और नई शक्ति पैदा करे। इसके  लिए यह राईफल प्रशिक्षण सबके लिए अनिवार्य होना चाहिए। जब यह अनिवार्य होगा तभी लोगों में आत्‍मविश्‍वास पैदा होगा और एक नई चेतना पैदा होगी। इससे  लोगों में आत्‍महीनता  की भावना मिट जायेगी और वह समझेगे कि देश की रक्षा करने की ताकत हम में भी है।

आज जो हरिजन आदि लोग है उनमें एक  बात घर  कर गई कि राईफल और बंदूक उनके बस की बात नहीं है लेकिन यह आत्‍मरक्षा का सवाल है यह देश की रक्षा का सवाल है। कमी में बच्‍चा पनपता है  कठिनाई में बच्‍चा पैदा होता है जब आप जीवन को नई स्थिति में बदल लेगे तब मस्तिष्‍क बदलेगा इसलिए मैं कहता हूं कि देश के लोगों को यह प्रशि‍क्षण देना होगा।

100 WPM POST-7


 उपसभपति जी मेरे मित्र ने जो सुझाव सदन में रखा है मैा उसका समर्थन करता है क्‍योंकि हम देखते है कि गन्‍ने का उत्‍पादन बढ़ा है और गन्‍ने की कीमत भी माननीय  मंत्री महोदय कहेगे कि धीरे धीरे दिन पर दिन बढ़ाने की कोशिश रहे है और कुछ बड़ी भी है उसके बाद अगर हम तुलना करे तो चीनी का उत्‍पादन भी बढ़ा है और 60 लाख टन से भी ज्‍यादा हुआ है और जहां तक मुझे मालूम  है यह और  भी आगे बढने वाला है।

 हमारे सामने अब यह सवाल आता है कि जब देश में चीनी का उत्‍पादन बढ रहा है तो क्‍या इस पर कट्रोल रहना चाहिए यह एक मुख्‍य सवाल है। इसका  जबाव केवल यह कहकर नहीं दिया जा सकता कि कट्रोल की जरूरत है। बहुत से लोग आज कंट्रोल के खिलाफ है और जैसा कि मेरे माननीय दोस्‍त ने कहा  कि बुनियादी तरीके से यह भी  बाहरी कंट्रोल के खिलाफ है उनका नियम आखरी लक्ष्‍य कंट्रोल नहीं  है। मुझे डर है कि  यह कंट्रोल भी कहीं हिंदुस्‍तान में इस तरह  घर ना कर जाये  जैसे की नजरबंदी कानून  घर कर गया है। और उस की बार बार आयु बढ़ा  दी जाती है। 

इसलिए मैं चाहता हूँ कि माननीय मंत्री जी आज  इस  बात पर प्रकाश डाले की जब देश में चीनी का उत्‍पादन बढ रहा है तो वह कंट्रोल क्‍या नहीं जोड़ देते क्‍या उनको इस देश के व्‍यापरियों पर विश्‍वास नहीं रहा या किसी  के उपर विश्‍वास नहीं रहा। यह बताए आज  देश में किसकी मांग है कि कंट्रोल रहना चाहिए क्‍या यह मिल मालिको की मांग है या व्‍यापारियों की मांग या  उपभोक्‍तओं की मांग  है या सरकार की मांग है । क्‍या जो  दलीले व्‍यापारी हमारे सामने  देते है वह सही है और क्‍या जो बार बार अश्‍वासन दिया गया है उसके  पीछे कुछ  त‍थ्‍य  है यदि नहीं  तेा मैं समझता हूं कि अब  समय आ गया है कि इसके उपर विचार किया जाए 


और सीर‍यसली इस पर विचार किया जाए  कि कंट्रोल रहना चाहिए या नहीं रहना चाहिए। मैं यह एक मिनिट के लिए भी नहीं कहना चाहता हूं कि कंट्रोल को हटाने के पहले ऐसी  बंदशे ना कर ली जाए की कोई दाम बढ जाए क्‍योंकि  आखिर को   हम इंसान की  जिंदगी के साथ और अपने बच्‍चों की जिंदगी के साथ एक्‍सपेरीमेंट  नहीं कर सकते। चीनी  की हालात आपको मालूम है।

80 WPM POST-6


सभापति महोदय मैंने रेल मंत्री जी को पत्र भेजा था परंतु जबाव नहीं मिला मैंने  सोचा डाक खाने वालों की गलती होगी। इसके बाद मैंने यहां  स्‍वयं उनहें  पत्र दिया पर उस   पर भी कुछ विचार नहीं किया गया मैंने समझा कि यह इसलिए हुआ कि मैं उस क्षेत्र से आता हूं जहा रेल्‍वे लाइन नही  चलती है किंतु  मुझे आज  पता चला कि रेल मंत्री जी की यह परम्‍परा है  कि संसद सदस्‍यों के पत्रों  का उत्‍तर ना दिया जाए।


         सभापति महोदय यह ठीक है कि उत्‍तरप्रदेश के जिस पहाड़ी क्षेत्र में यहा आया हूं वहां रेल्‍वे लाइन नहीं  चलती परंतु वहां  से लाखों की संख्‍या में यात्री सफर करते है खेद है  कि उनहें  किसी प्रकार की सुविधा नहीं मिलती है इसी प्रकार मैदानी    क्षेत्रों से हर साल लाखों की संख्‍या में यहा के धार्मिक स्‍थानों को जाते है किंतु उनको किसी  प्रकार की सुविधा प्राप्‍त नहीं होती है। मेरा निवेदन है कि इस प्रकार के यात्रियों कें लिए भी उसी प्रकार की सुविधाए मिलनी चाहिए जिस प्रकार की अन्‍य पहाड़ी स्‍थानों पर  जाने  वाले यात्रिायों को प्राप्‍त होती है।


         दूसरा निवेदन यह है कि उस समय जब यात्री पहाड़ो में घूमने जाते है रेलों की संखया अधिक बढ़ाई जानी चाहिए।  मैं   हर सप्‍ताह देहरादून जाता हूं। मुझे तीसरे दर्जे के यात्रियों पर  बड़ी दया आती  है कितना बुरा व्‍यवहार उनके साथ किया जाता है भेड बकरियों की तरह से सौ दौ आदमी एक एक डिब्‍बे में भरे  जाते है और उनकी सुख सुविधाओं को देखने वाला कोई नहीं है इसलिए ऐसे समय में प्रतिदिन  जनता गाड़ी अधिक चलाई जाये। जाये। जो गाडि़या अभी वहां जाती है उनके डिब्‍बों की संख्‍या बढ़ाई जाये ताकि यात्रियों को  सुविधा हो  सके।


मैं मत्री महोदय से एक निवेदन और करना  चाहता हूं  कि रेल्‍वे की नौकरियों में पहाड़ी क्षेत्रों कें लोगों  को चाहे वे  उत्‍तरपद्रेश के हो हिमाचल प्रदेश के हो या अ‍न्‍य पहाड़ी स्‍थानों कें हो कोई स्‍थान नहीं दिया जाता है। रोजगार दफ्तरों कें उनके नाम  भेजे नहीं  जाते है और उनको  कोई  सूचना नहीं दी जाती है। यदि कोई सूचना दी भी जाती है तो  वह  उस समय दी जाती है जबकि वे स्‍थान भर जाते है इसलिए  मेरा  निवेदन है कि पहाड़ी क्षेत्र के लोगों को रेल्‍वे सेवा में स्‍थान मिलना चाहिए। यह बहुत आवश्‍यक है।

80 WPM Post-5




देश की आर्थिक अवस्‍था का विवरण वित्‍त मंत्री जी नें हमारे सामने प्रस्‍तुत किया है वह संतोषजनक है। हम देश की आर्थिक अवस्‍था को मजबूत बनाने की दिशा में अग्रसर हो रहे है। विभिन्‍य क्षेत्रों  में उत्‍पादन बढ रहा है जिससे आशा की एक झलक दिखाई दे रही हे। तीसरी पंचवर्षीय योजना के दौरान हम एक बहुत बढ़ी धनराशि खर्च करने जा रहे  है। यह भी  एक  आशाप्रद बात है लेकिन अध्‍यक्ष महोदय पिछले साल भी मैंने  वित्‍त मंत्री जी का ध्‍यान इस तरफ खीचा था और आज फिर खीचता हू कि देश की वर्तमान आर्थिक अवस्‍था का चित्र हमारे सामने रखने के साथ  साथ यह भी बतलाना चाहिए था कि इस  देश के अंदर उत्‍पादन में जो बृद्धि हुई है वह समाज के किस अंग में किस रूप में उपयोग लाई गई है। आथिक नुकसान की सबसे बड़ी समस्या गरीबी और बेकारी को  खत्‍म करना है।


एह दोनो की मानों हमारे समाज के अंदर केंसर की बीमारी की तरह से है आज तक डॉक्‍टर यह नहीं सोच पाए कि केंसर की बीमारी  के के लिए कौन  सी दवा उपर्युक्‍त है। इसी तरह वित्‍त मंत्री इस विद्या के विशेषज्ञ होते हुए भी इस बीमारी की दवा हमें बताने में अस्‍मर्थ रहे।
यह ठीक है  कि बेकारों की बेकारी की समस्‍या को  महसूस करते है लेकिन हम देखते है जैसे जैसे हमारी योजनाओं का काम आगे बढ़ता जाता है तो यह पता  लगता है कि बेकारी भी उसी गति से बढ़ती जा रही है। गरीबी का सवाल बेकारी से जुड़ा हुआ है अगर लोगों  को काम मिलेगा तो बेकारी दूर  होगी और देश  से गरीबी भी दूर होती जायेगी।


         मेरे मित्र ने यहां अपने विचार प्रकट  करते हुए अभी कहा कि देश की उन्‍नति के लिए नागरिको को  त्‍याग करना  चाहिए मैं इस बात को अच्‍छी तरह से महसूस करता हूं और हमारे देश की जनता भी इस बात को अच्‍छी तरह जानती है कि बिना कष्‍ट उठाए पूंजी जमा नहीं हो सकती और बिना पूंजी के प्रकाश नहीं हो सकता परंतु सिफ इस सदन में खड़े होकर  कह देने से पूंजी नहीं बढ सकती। जनता हर  तरह से सहयोग करने  को तैयार है परंतु उसे रास्‍ता आपको दिखलाना चाहिए। आपको स्‍वयं इस बात को त्‍याग करते जनता के सामने जाना चाहिए तब आप विश्‍वास   रखिए जनता तरह से आपकी  मदद करने को तैयार रहेगी।

390

Friday 16 March 2018

100 WPM POST - 1


महोदय यह सर्वविदित है कि मानव तथा समाज के सर्वागीण विकास में शिक्षा की महत्‍वपूर्ण भूमिका है। और प्राथमिक शिक्षा तो सम्‍पूर्ण शिक्षा की बुनियाद है इसलिए सर्वप्रथम शिक्षा व्‍यवस्‍था को चुस्‍त और दुरस्‍त करना आवश्‍यक समझा जा रहा है इसलिए अब शिक्षा से सरोकार रखने वाले प्रत्‍येक व्‍यक्ति की भूमिका को दोबार परिभाषित करना भी बहुत जरूरी है साथ ही नई पंचायत राज व्‍यवस्‍था के अंतर्गत हमारे सारे जनप्रतिनिधीओं को भी शिक्षा के सुर विधिकरण विकेन्‍द्रीकरण व सुधार के लिए मजबूर होना पढ़ेगा। अन्‍यथा अजा के युग में शिक्षा के बिना समाज के विकास की बात बेईमानी होगी। 


वर्तमान में मात्र प्राथमिक शिक्षा की शुद्रीकरण व स्‍वार्थीकरण के लक्ष्‍य को पूरा करने के लिए कई जिलों में जिला प्राथमिक शिक्षा कार्यक्रम तो कहीं ग्रामीण स्‍तर पर दूर शिक्षा कार्यक्रम कहीं सब के लिए शिक्षा तो कहीं प्राथमिक शिक्षा हेतु मध्‍यामन पोषाहार योजना जैसे कार्यक्रम चलाये जा रहे हे। परंतु इसके बावजूद भी प्राथमिक विद्यालयों में छात्र संख्‍या बढ़ने के बजाह घटती जा रही है जो चिंता का विषय है। इधर कुछ सूत्रों के अनुसार प्रदेश में हाल ही में लखनऊ में शिक्षा विभाग के कुछ पदस्‍थ शिक्षा अधिकारियों की एक कुछ आश्‍चर्य बैठक में वशिक शिक्षा को चुस्‍त दुरस्‍त करने तथा 11 वर्ष तक बच्‍चों को अनिवार्य रूप से विद्यालय में भेजने की योजना को व्‍यवहारिक बनाने के लिए प्रदेश के सभी जिला वेशिक शिक्षा अधिकारियों के दफ्तरों को कम्‍प्‍यूटर सूविधा से जोड़ने का निर्णय लिया गया है। जिसका ध्‍येय वेशिक शिक्षा का कुछ स्‍तरीय अधिकारियों द्वारा कड़ी नजर रखना बताया जाता है।


 इसके अतिरिक्‍त्‍ पेाषाहार योजना के अंतर्गत अब पकाया हुआ खादद्ययान बच्‍चों को वितरित करने का निर्णय सरकार द्वारा लिया गया है। इस तरह के सारे प्रयास सरकार व विभाग के कुछ पदस्‍थ अधिकारयिों द्वारा लिये जा रहे है पता चला है कि प्रदेश शासन के उच्‍च  अधिकारियों के द्वारा जिला स्‍तरीय शिक्षा पदीय अधिकारियों अध्‍यापको और अभिभावकों के साथ मिलकर 11 तक के बच्‍चों का स्‍कूलो में शत प्रतिशत प्रवेश सुनिश्चित कराने तथा जरजर प्राथमिक विद्यालयों की तत्‍काल मरम्‍मत कराने के शख्‍त निर्देश दिए गए है। वेशिक शिक्षा को सुधारने के लिए इसका पूरी तरह विकेन्‍द्रीकरण करते ग्राम पंचायतो को सौंप दिया जाये तथा शिक्षा विभाग के अधिकारी समन्‍यवक के रूप में काम करे।


महोदय इस प्रकार के निर्णय यद्यपि शिक्षा के विकेन्‍द्रीकरण और सुदृढीकरण के लिए उपर्युक्‍त कहे जा सकते है। पर यह विभिन्‍य निर्णय ग्रामीण स्‍तर तक पहुचते पहुचते इतने क्रियान्‍वित हो पाते है औश्र योजनाए इतनी कारगर हो पती है। यह किसी से छिपा नहीं है इसलिए इन निर्णय को क्रियान्‍वित करने और विभिन्‍य योजनाओं को कारगार बनाने के लिए संबंधित अधिकारियों को अपनी राज करने की प्र‍वृत्त्‍ि को छोड़कर शैक्षिक योजना से अभिभूत होकर जागरूक और व्‍यवहारिक होना पढ़ेगा। ग्रामवासियों की साधरण जीवन की झलक और उनकी जिंदगी की तरफ देखने की क्षमता अपने अंदर विकसित करनी पढेगी। अपनी सुख सुविधाओं भोग छोड़कर जनसाधारण की नब्‍ज तक पहुचने की प्रवृत्ति अपने मन में जगानी होगी। इसी प्रकार शिक्षको को रोज की उठापठक की राजनीति से हटकर अपने उत्‍कृष्‍ट व्‍यवाससा वृत्ति के अनुकूल बच्‍चों के लिए कुछ कर गुजरने की लगन अपने मन में पैदा करनी होगी। अन्‍यथा यह समझ लिया जाना चाहिए डाक के तीन ही पात होते है योजनांए और निर्णय चाहे सैकड़ो हो जाये उससे कोई अंतर पढ़ने वाला नहीं है। जहां तक पूरी शिक्षा व्‍यवस्‍था को ग्राम पंचायतों को सौंपने की बात है वहां तो यह पहले ही रेखांकित किया जा चुका है कि पंचायत राज कानून को लागू करने पर विद्यालय ग्राम शिक्षा समितियों कें पद उत्‍रदायी होगे। क्‍योंकि ग्राम पंचायतो की स्‍थापना हो जाने के बाद अपने क्षेत्र के चखुमुखी विकास करने का दायित्‍व अब ग्राम पंचायतों का ही होगा।


 शिक्षा के बारे में स्‍वाधीन चेतना जगाना और उसका शुद्रीकरण करना अब ग्राम पंचायतों का काम होगा। पर वर्तमान प्रदूषित राजनीति के स्‍वार्थ के दौर में शिक्षा व्‍यवस्‍था में कितनी सहजता और अस्‍पष्‍ठा बढ़ेगी यह तो समय ही बतायेगा पर इतना आवश्‍यक है कि अब शिक्षा से सरोकर रखने वाले प्रत्‍येक व्‍यक्ति की भूमिका को द्वारा पारिभाषित करना ही पढ़ेगा और  शिक्षा को संकमण से उभारने समाजिक मूल्‍यों और शिक्षा के अंत संबंधों को तलाशने शिक्षा के शुद्रीकरण करने उसे जीवनपयोगी बनाने और विविध कौशलों से जोड़ने कें लिए हमारे समाज के सारे जनप्रतिनिधियेां को मजबूर होना पढ़ेगा। समाज के बहु ज्ञानी विकास के लिए शिक्षा के प्रति एक सोच हर जनप्रतिनिधी को अपने अंदर लानी पढ़ेगी। ताकि शिक्षा के क्षेत्र में राज कर रहे कर्मियों अधिकारयिों वानिकी निर्माताओं को मदद मिल सके और शिक्षा व्‍यवहारिक बन सके।



Thursday 15 March 2018

MP HIGH COURT LDC EXAM Date

75 WPM Post - 4


374
समय 5 मिनिट

उपाध्‍यक्ष महोदय इस समय देश केसामने सबसे बड़ी समस्‍या खाने पीने की चीजों की है इस संबंध में एक माननीय सदस्‍य का जो भाषण सदन में  हुआ उससे मुझे कोई आश्‍चर्य नहीं हुआ। मैं इस बात को मानता हूं और सारे देश के लोग भी मानते है।

 मै समझता हूं कि विरोधी पक्ष के लोग भी मानते है कि आज देश में गल्‍ले की कमीं है परंतु प्रश्‍न यह है कि इस गल्‍ले की कमीं को हम किस तरह से पूरा कर सकते है अपने ही देश में उत्‍पादन बढ़ाकर या दूसरे देशों में जिस तरह से हम गल्‍ला मंगवा रहे है उसी तरह से मंगवाकर क्‍या कमीं पूरी करे। आज लोगों में गल्‍ले की कमीं की वजह से उत्‍तेजना फैल रही है परेशानी बढ़ रही है और दिक्‍कते बढ़ रही है। 

यह बिलकुल स्‍पष्‍ट है खासतौर से कुछ दिन पहले केरल के संबंध में इस सदन में बहस हुई। बंगाल में भी गल्‍ले की कमी की वजह से हालात खराब हो रहे है। लेकिन मैं समझता हूँ कि देश के जितने सूबे है उन सब में करीब करीब वैसी ही हालात है। ऐसी हालात में हमारे देश के अंदर अपने प्रयत्‍नों से और अपनी मेहनत से गल्‍ले का अधिक से अधिक उत्‍पादन किया जाए इसमें कोई दो राय नहीं है।


         मैं खासतौर से अपने सूबे के संबंध में कहना चाहता हैवहां पर काफी जमीन है जिनमें सिंचाई की कोई भी व्‍यवस्‍था नहीं है अगर वहां पर छोटी सिंचाई योजनाओं कें जरिए सिंचाई की व्‍यवस्‍था की जाए तो सिफ उस जमीन में कम से कम 35 हजार टन एक फसल में पैंदावार बढ़ सकती है।


उपाध्‍यक्ष महोदय जहां पर उतपादन बढ़ाने और दूसरे देशों कें उपर निर्भर नहीं रहने की बात है। हमें देखना होगा कि  सिंचाई की व्‍यवस्‍था और खाद इन दोनों में किसकी आवश्‍यकता पहले है। 

मैंने पहले भी यह कहा है कि खाद्य के उपर अगर ज्‍यादा जोर दिया गया और सिंचाई के कामों की उपेक्षा की गई तो नतीजा यह हो सकता है‍ कि अनाज की कमी वाले इलाकों में जहां पर सिंचाई की व्‍यवस्‍था नहीं है उत्‍पादन नहीं होगा। इस संबंध में मैं इस बात और कहना चाहता हूं कि देश में जो कुछ भी हम पैदा करते है उसका वितरण ठीक प्रकार से होना चाहिए।

Wednesday 14 March 2018

80 WPM Post - 3


409
समय 5 मिनिट

महोदया बड़ी प्रतीक्षा के बाद आज वह शुभ दिन आया है जिस दिन हिंदु समाज में स्‍त्रीयेां कें साथ शताब्दियों कें साथ जो अन्‍याय होता चला आया है उसका अंत हेाने जा रहा है और लड़कियों को उनके पिता की सम्‍पत्ति में कुछ भाग मिलने की व्‍यवस्‍था की जा रही है और केवल स्‍त्री होने के नाते उनके साथ अन्‍याय ना किया जा सकेगा। उपाध्‍ययक्ष महोदय आज ना जाने कितने लोग हमारे यहां से विदेशों में जा रहे है और  इंटरनेशनल कॉंफ्रेंस में भाग ले रहे और वहां जाकर भारत की ओर से ह्रयूमन राईटर इक्‍वल ट्रीटमेंट आदि सिंद्धांतो का उपदेश दे रहे है और इस बात का विचार कर रहे कि संसार में मनुष्‍य मनुष्‍य के बीच में एकता हो और आपस में समानता हो और हम देखते है किे आज संसार पर हमारे देश का काफी प्रभाव पड़ा है और यदि आज ऐसी सूरत में हम एक ऐसे ही विधेयक को जो सरकार लाई उसको हम आजपास नहीं करेगे तो बहुत दुर्भाग्‍य की बात होगी।

 इस कारण आज हम सदस्‍यों को इस बिल को तुरंत ही पास कर देना चाहिए जिससे की यह लागू हो और जो अनयाय हम लोग एक स्‍त्री के साथ महज स्‍त्री होने के नाते करते रहे है इस धब्‍‍बे को आज उस कलंक को हमें भारत माता के माथे पर से धोना होगा। समाज के लिए यह बिल बहुत ही ज्‍यादा आवश्‍यक और लाभदायक है। सत्रीयों को यदि इकोनामिक इंक्‍वालिटी नहीं देगे तो कुछ थोड़ी सी उनको इकानामिक सहायता नहीं देगे तो हमने अभी यह जो हिंदु मेरिज बिल पास किया है उसका भी पास करना अ‍भी पास करना बिलकुल बेकार हो जायेगा। कुछ लोगों को अ‍भी इस बात का भय हो रहा है अगर लड़की को यदि बाप की जायजाद में यदि कुछ भाग मिल गया तो समाज का तख्‍ता उलट जायेगा। पारिवारिक जीवन उलट जायेगा और भाई बहनों में प्रेम नहीं रहेगा और कलह बढ़ जायेगी तो मैा उन भाईयों से पूछा चाहूगी कि आज जिन जातियेां में बहनों को हक दिया जाता है लड़कियों को पिता की प्रापटी में हिस्‍सा मिलता है तो क्‍या उनके यहां भाई बहिनों में प्रेम भाव नहीं रहता। इसके अलावा आज हम देखते है कि आज जो पुराने कुटुम्‍ब थे और संयुक्‍त परिवार चले आ रहे थे वह आज शहरों में तो समाप्‍त हो रहे है और देहातों में भी टूटे रहे है।

महोदया बड़ी प्रतीक्षा के बाद आज वह शुभ दिन आया है जिस दिन हिंदु समाज में स्‍त्रीयों कें साथ

80 WPM Post - 2


387
समय 4 मिनिट


सरकार जब कानून बनाती है तो कहती है कि मजदूरों के साथ न्‍यायपूर्ण व्‍यवहार करे तो यह जिम्‍मेदारी सरकार के भी उपर आ जाती है कि वह न्‍यायपूर्ण मालिक बने किंतु मैं आपको बतला देना चाहूंगा कि पब्लिक सेक्‍टर में सरकार भी ओर से न्‍यूनतम वेतन निर्धारित किया गया है। 

हमारे महाराष्‍ट्र में और मध्‍यप्रदेश में कोयला खानों में काम करने वाले मजदूरों को काफी मेहनत करनी पढ़ती है धूप में काम करना पढ़ता है उसी तरह से मैग्‍नीज की खानों में भी जो अपने देश का एक बढ़ा महत्‍वपूर्ण उद्योग है मजदूरों को परिश्रम से काम करना पढ़ता है। हमारी हिंदुस्‍तान की सरकार ने तीन साल पहले उनका वेतन निर्धारित किया आप जानते है कि जो मजदूर हेाते है उनको खाने को भी ज्‍यादा लगता है तो इतने में वह कैसे पेट भर सकते है। 

इतनी मजदूरी निर्धारित किए हुए तीन साल बीत गए है फिर भी उनके वेतन में कोई बृद्धि नहीं हुई है और दूसरी ओर हम देखते है कि जब सरकारी नौकर का इंक्रीमेंट डयू हो जाता है तो वह एक दिन में नहीं रूकता वह कहने लगता है कि इस महीने में इंक्रीमेंट था इस महीने की पगार में उसे शामिल क्‍यों नहीं किया गया? दूसरी तरफ मजदूरो की वही मजदूरी है जो कि बहुत साल पहले निर्धारित की गई थी। मंहगाई बढ़ती जा रही है मगर उसके वेतन में बृद्धि न के बराबर है। मैं यह कहने जा रहा था कि एक तरफ वे मजदूर है जिनको की अच्‍छा वेतन मिलता है जिनको की छुट्टिया भी मिलती है। जिनको मेडिकल की सुविधा है जिनको की सारी सुविधाए मिलती है और दूसरी ओर वे मजदूर है जिनको की काम करने के बाद भी निर्धारित वेतन कभी पूरा नहीं मिलता है।


श्रीमान में आपके सामने बीढ़ी उद्योग के मजूदों का जिक्र कर रहा था उसे कोई बोनस नहीं मिलता है उसे कोई छुट्टी नहीं मिलती है। उसे अन्‍य कोई सुविधा  भी नहीं मिलती है इसलिए मैं यह कहना चाहूगा कि आज जो हमारे लेबर के संबंध में कानून बने हुए है वे ठीक नहीं है अगर आप सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट को खोलकर देखेगे तो आप इस बात को देख सकेंगे कि लेबर पैसेज का निपटारा करने के लिए वहां अलग से बेंच बनानी पड़ी कोई भी कानून आता है तो कारखानेदारों की मनोवृत्ति यही रहती है कि कैसे उनका

80 WPM Post 1


565
समय 6 मिनिट 40 सेकेंड

आज के प्रगतिशील युग में समाज में भिन्‍न भिन्‍न विचारों के लोग है जो अपने उद्देश्‍यों और विचारों के अनुकूल ही अपना जीवन ही व्‍यतीत करना चाहते है और ऐसी सूरत मे एक परिवार में सब लोगों का अथवा बहुत अधिक लोगों का साथ रहना असंभव है। आज लड़किया घरों में रहती ही कहा है। आज रेल का जमाना है हवाई जहाज का जमाना है और रोजगार की कमी है। इन कठिन समस्‍याओं कें कारण देखते है लड़के लड़किया धन कमाने जहां उनको रोजगार या नौकरी मिलती है चले जाते है। और साथ मे अपने स्‍त्री अथवा पति को लेकर दूर दूर चले जाते है तो समझती हूं कि जो पुराने परिवार और कुटुम्‍ब के वे हमेशा से लड़ाई और झगड़े की जड़ थे यह सही बात है जहां पांच बरतन होते है वहां खटकते जरूर है। और आज के युग में जो तो माता पिता यह सोचते है कि वे सब कुटूम्‍ब में रहे ना बहु बेटा ही चाहते है किे वे सबके साथ कुटुम्‍ब में रहे। इस तरह की भावना आज हर एक पढे लिखे शहर के लड़के लड़कियों की हो रही है। अगर परिवार रह भी जाये तो आज जायजादे किस के पास रह जायेगी जिनके की बट जाने का भय हो रहा है। आज देश में पूंजीबाद सीमित हो रहा है। फिर अब किसी एक व्‍यक्ति के पास इतना धन व जायजाद नहीं रहेगी जिसके संबंध में यह सारी समस्‍याए रोज उपस्थित होगी और खडे होगी।


         अगर कोई बहुत धन कमायेगा भ तो दूसरे उपायो से उससे उसको ले लिया जायेगा। जमीदारी का उन्‍मूलन तो हो ही गया है कोई भी प्रापटी सरकार यदि चाहेगी तो अपनी इच्‍छा अनुसार ले लेगी। यह बिल अभी हम इस सदन में पास कर चुके है तो फिर आपको अपनी बहन या लड़की को ही कुछ थोड़ा सा दे देने में क्‍या आपत्ति है फिर यदि कोई चाहे कि  यह ना हो वह अपना कुल कमाया हुआ धन अपने पुत्र को ही देना चाहे और अपनी लड़की को ना देना चाहे तो इसके लिए भी इस बिल में प्राविजन है। वह चाहे तो बिल कर  सकता है और धन अपनी लड़की को ना देकर अपने लड़के को ही दे सकता है तब फिर इसमें क्‍या डर की बात है यह कहना गलत है कि स्‍त्री धन की रक्षा नहीं कर सकती।


आज के प्रगतिशील युग में समाज में भिन्‍न भिन्‍न विचारों के लोग है जो अपने उद्देश्‍यों और विचारों के अनुकूल ही अपना जीवन ही व्‍यतीत करना चाहते है और ऐसी सूरत मे एक परिवार में सब लोगों का अथवा बहुत अधिक लोगों का साथ रहना असंभव है। आज लड़किया घरों में रहती ही कहा है। आज रेल का जमाना है हवाई जहाज का जमाना है और रोजगार की कमी है। इन कठिन समस्‍याओं कें कारण देखते है लड़के लड़किया धन कमाने जहां उनको रोजगार या नौकरी मिलती है चले जाते है। और साथ मे अपने स्‍त्री अथवा पति को लेकर दूर दूर चले जाते है तो समझती हूं कि जो पुराने परिवार और कुटुम्‍ब के वे हमेशा से लड़ाई और झगड़े की जड़ थे यह सही बात है जहां पांच बरतन होते है वहां खटकते जरूर है। और आज के युग में जो तो माता पिता यह सोचते है कि वे सब कुटूम्‍ब में रहे ना बहु बेटा ही चाहते है किे वे सबके साथ कुटुम्‍ब में रहे। इस तरह की भावना आज हर एक पढे लिखे शहर के लड़के लड़कियों

Tuesday 13 March 2018

Post - 152


512
समय 10 मिनिट

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वारंट की तरह समन मामले का विचारण भी अभियुक्‍त के मजिस्‍ट्रेट के समक्ष उपस्थित होने पर आरंभ होता है जब अभियुक्‍त न्‍यायाधीश के समक्ष उपस्थित होता है या प्रस्‍तुत किया जाता है तो सर्वप्रथम न्‍यायाधीश अभियुक्‍त को उस अपराध की विशि‍ष्‍टयों से अवगत करायेगा जिसका उस पर अभियोग लगाया गया है। तत्‍पश्‍चात वह पूछेगा कि वह क्‍या वह अपने आप को दोषी होना स्‍वीकार करता है। इस धारा के प्रावधान आदेश के अनुसार है, अर्थात समन मामलों का विचारण आरंभ करने के पूर्व न्‍यायाधीश का यह कर्तव्‍य है कि वह अभियुक्‍त को अपराध की उन विशिष्‍टयों से अवगत करा दे, जिनका उस पर अभियोग है।


         आवेदक सुसंगत अधिनियम के अधीन पुरानी बकाया की ऐसी राशि के संबंध में ऐसे किसी प्राधिकारी या मंच के समक्ष या किसी लंबित अपील, पुर्नरीक्षण या किसी याचिका के बारे में प्रकट करेगा और यदि किसी प्राधिकारी या मंच के समक्ष या कथन करते हुए एक वचन पत्र प्रस्‍तुत किया जायेगा कि इस नियम के अधीन समाधान उठाने की दशा में वह कानूनी आदेश के विरूद्ध याचिका को तत्‍काल प्रदर्शित करेगा एवं समाधान आदेश प्राप्‍त करने के सात दिवस के भीतर सक्षम प्राधिकारी के समक्ष ऐसा करने  का युक्तियुक्‍त साक्ष्‍य प्रस्‍तुत करेगा जिसमें असफल होने पर सक्षम प्राधिकारी द्वारा आवेदक को सुनवाहीं का युक्तियक्‍त्‍ अवसर देने के पश्‍चात उसका समाधान आदेश रद्ध किए जाने का उत्‍तरदायी होगा।


         आज दिनांक को प्रकरण के प्रस्‍तावित पक्षकार गीताबाई एवं रेखाबाई सहित उनके अधिवक्‍ता द्वारा उपसिथत होकर अपना वकालतनामा प्रस्‍तुत किया गया और साथ ही वादी के आवेदन पत्र अंतर्गत आदेश 1 नियम 10 का लिखित जबाव प्रस्‍तुत किया गया। अपने जबाव में प्रस्‍तावित पक्षकारगण का निवेदन है कि वे प्रकरण में आवश्‍यक पक्षकार है। वादी ने भी उक्‍त पक्षकारों को प्रकरण का आवश्‍यक पक्षकार बताया है अत: उक्‍त आवेदन के जबाव के आलोक में वादी का उक्‍त आवेदन वाद विचार स्‍वीकार किया जाता है तथा नवीन पक्षकारों पर प्रतिवादी के रूप में जोड़े जाने की अनुमति प्रदान की जाती है।


इस संबंध मे वादी की ओर से एक आवेदन पत्र अंतर्गत आदेश 6 नियम 17 व्‍यवहार प्रक्रिया संहिता प्रस्‍तुत किया गया। उक्‍त आवेदन पत्र वाद विचार स्‍वीकार किया जाता है तथा वादी को निर्देशित किया जाता है कि वह अपनी वाद पत्र में उक्‍त संशोधन आज ही कर न्‍यायालय द्वारा प्रमाणित करावे।


         वादी द्वारा उक्‍त आदेश के पालन में उक्‍त संशोधन किया गया, जिसे न्‍यायालय द्वारा प्रमाणित किया गया। उभय पक्ष द्वारा एक राजीनामा आवेदन पत्र अंतर्गत आदेश 23 नियम 3 व्‍यवहार प्रक्रिया संहिता प्रस्‍तुत किया गया। उक्‍त्‍ आवेदन के संदर्भ में वादी एवं प्रतिवादीगण के राजीनामा कथन अंकित किए गए। वादी  की पहचान श्री सतीश श्रीवास्‍तव अधिवक्‍ता द्वारा की गई एवं प्रतिवादी की पहचान अधिवक्‍ता श्री योगेन्‍द्र जैन द्वारा की गई।


प्रतिवादी साक्षी  क्रमांक 3 की वीससिंह की साक्ष्‍य अंकित की गई एवं उसको वाल प्रतिपरीक्षण उन्‍मुक्‍त किया गया। प्रतिवादी द्वारा अपनी साक्ष्‍य समाप्‍त घोषित की गई। प्रकरण में वादी की ओर से एक आवेदन पत्र अंतर्गत आदेश 18 नियम 17 व्‍यवहार प्रक्रिया संहिता प्रस्‍तुत किया गया। उक्‍त्‍ आवेदन की प्रति प्रतिवादी के अधिवक्‍ता को प्रदान की गई आवेदन पत्र पर उभयपक्ष के तर्क सुने गए।

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70 WPM

चेयरमेन साहब मैं आपसे कहना चाहता हूँ कि हम लोग देख रहे है कि गरीबी सबके लिए नहीं है कुछ लोग तो देश में इस तरह से पनप रहे है‍ कि उनकी संपत...