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पुलिस थाने के भारसाधक अधिकारी द्वारा धारा 173 के अधीन यह अभिकथित
करते हुए रिपोर्ट अग्रेसित की गई है कि उसके द्वारा ऐसे अपराध से भिन्न कोई अपराध
किया गया प्रतीत होता है जिसके लिए तत्समय प्रवृत्त विधि के अधीन मृत्यु या
आजीवन या सात वर्ष से अधिक की अवधि के कारावास के दण्ड का उपबंध है या मजिसट्रेट
ने परिवाद पर उस अपराध का संज्ञान ले लिया है जो उस अपराध से भिन्न है जिसके लिए
तत्समय प्रवृत्त विधि के अधीन मृत्यु या आजीवन कारावास या सात वर्ष से अधिक की
अवधि के कारावास के दण्ड का उपबंध है और धारा 200 के अधीन परिवादी और साक्षी की
परिभाषा करने के पश्चात धारा 204 के अधीन आदेशिका जारी की है।
किंतु यह अध्याय
वहां लागू नहीं होगा जहां ऐसा अपराध देश की सामाजिक आर्थिक दशा को प्रभावित करता
है या किसी महिला अथवा 14 वर्ष की आयु से कम के बालक के विरूद्ध किया गया है। उपधारा
एक के प्रयोजनों के लिए, केन्द्रीय सरकार
अधिसूचना द्वारा तत्समय प्रवृत्त विधि के अधीन वे अपराध अवधारित करेगी जो देश की
सामाजिक – आर्थिक दशा को
प्रभावित करते है ।
किसी अपराध का अभियुक्त व्यक्ति, सौदा अभिवाक् के लिए उस न्यायालय में आवेदन फाइल कर सकेगा जिसमें
ऐसे अपराध का विचारण लंबित है। उपधारा 1 के अधीन आवेदन में उस मामले का संक्षिप्त
वर्णन होगा जिसके संबंध में आवेदन फाईल किया गया है, और उसमें उस अपराध का वर्णन भी होगा जिससे वह मामला संबंधित है तथा
उसके साथ अभियुक्त का सपथ पत्र होगा जिसमें यह कथित होगा कि उसने विधि के अधीन उस
अपराध के लिए उपबंधित दण्ड की प्रकृति और सीमा को समझने के पश्चात अपने मामले में
सवेच्छा से सौदा अभिवाक् दाखिल किया है और उसे किसी न्यायालय ने इससे पूर्व किसी
ऐसे मामले में जिसमें उसे उसी अपराध से आरोपित किया गया था कि यह कि सिद्ध दोष
नहीं ठहराया गया है।
न्यायालय उपधारा 1 के अधीन आवेदन प्राप्त होने के पश्चात
यथा स्थिति लोक अभियोजक या परिवादी और साथ ही अभियुक्त को मामले में नियत तारीख
को हाजिर होने के लिए सूचना जारी करेगा। जहां धारा 265 क के अधीन बैठक में मामले
का कोई संतोषप्रद निपटारा तैयार किया गया है वहां न्यायालय ऐसे निपटारे की
रिपोर्ट तैयार करेगा जिस पर न्यायालय के पीठासीन अधिकारी और उन अन्य सभी व्यक्तियों
के हस्ताक्षर होगे जिन्होंने बैठक मे भाग लिया था और यदि कोई निपटारा तेयार नहीं
किया जा सका है तो न्यायालय ऐसा संप्रेक्षण लेखबद्ध करेगा और इस संहिता के
उपबंधों के अनसुार इस प्रक्रम से आगे की कार्यवाही करेगा जहां से उस मामले मे धारा
265 ख की उपधारा 1 के अधीन आवेदन फाइल किया गया है।
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