हमारे
बडे हमे प्राय: यह शिक्षा देते है कि हमे सदा ईमानदार रहना चाहिए। सत्य का आचरण
करना चाहिए, सत्य का आचरण करना चाहिए, अपने कर्तप्य का पालन करना चाहिए तथा
कमजोर व गरीबों की सहायता करनी चाहिए। वस्तुत: यह कुछ नैतिक मान्यताएं है जिन्हे
हम अपनी जीवन के लिए बड़ा महत्वपूर्ण मानते आए है। तथा जिनके अधिकाधिक प्रचलन के
लिए हम प्रयत्नशील रहे है हमारे द्वारा ऐसा किया जाने का कारण वस्तुत: यही रहा
है कि हम इन नैतिक मान्यताओं को अपने जीवन को सुखमय बनाने का साधन मानते है और यह
मानते है कि इसके बिना मानव जीवन विकृत व कष्टमय हो जाता है, परंतु इसके विपरीत
संसार में जब हम देखते है कि असत्य, धोखाधड़ी तथा बेईमानी का जीवन जीने वाले दुखी
नहीं उलटे सुखी है तो इस बात पर प्रश्न चिन्ह लग जाता है कि सत्य, कर्तव्य
पालन तथा ईमानदारी आदि नैतिक मान्यताओं को हमें अपने अपने जीवन यापन का आधर बनाना
चाहिए या नही क्योंकि अनुभव की बात यह है कि संसार में प्रत्येक व्यक्ति दिखाए
के लिए तो सत्य सत्चरित्रता व ईमानदारी को अच्छा बताता है और यह कहता है कि यह
हमारे जीवन के आधार होने चाहिए। परतु वास्तविक व्यवहार में असंख्य लोग इन
आदर्शो को तिलांजली देते दिखाई दते है है। जब वे यह देखते है कि इन पर चलने से
जीवन की वास्तविक समस्याए हल नहीं होती तथा
इनकी परवाह ना करने वाले लोग दुनिया में अधिक सुखमय जीवन बिताते है।
सच्चाई व ईमानदारी को अधिकांश लोग क्यों
नहीं अपनाते, इस प्रसंग में बेईमानी व ईमानदारी से संबंधित एक कहानी बड़ी
प्रसांगिक है। कहा जाता है कि एक बार ईमानदारी व बेईमानी किसी नदी में स्नान करने
गई। स्नान के लिए अपने अपने कपड़े उतार कर उन दोनो ने देर तक डुबकी लगाए रखने की
होड़ के साथ नदी में डुबकी लगाई। बेईमानी अपनी प्रबृत्ति के कारण जल्दी पानी से
बाहर निकल आई और ईमानदारी के कपड़े स्वयं पहन कर वहां से चली गई। ईमानदारी जब बाद
मे पानी से बाहर आई और नदी के किनारे अपने
कपड़ो को नहीं पाया , तो वह असंमजस में पड़ गई क्योंकि बेईमानी के कपडे पहन कर वह
अपने को बेईमान नहीं बनाना चाहती थी । ऐसी स्थिति में उसने निवस्त्र रहना ही अच्छा
समझा। कहा जाता है कि तब से ईमानदारी बिना वस्त्र की है और उसके कपड़ो को बेईमानी
ने पहन रखा है। परिणामस्वरूप लोग जो नंगेपन से बचना चाहते है। ईमानदारी के वस्त्र
पहनने वाली ईमानदारी को अपना लेते है और जब तक उन्हे ईमानदारी की वास्तविकता की
पहचान हो पाती है वे उसी के अभयस्थ होकर रह जाते है क्योंकि उसके सहारे लोगो की
अनेक समस्याए सरलता से हल हो जाती है। कहानी के अनुसार यही कारण है कि ईमनदारी
दुनिया में अकेली पड़ गई है और उसके अपनाने वाले बहुत कम लोग है, जबकि बेईमानी को
अपनाने वाले और उसके साथ रहने वाले लोग असंख्य है और
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