Thursday, 1 February 2018

60 WPM Hindi Dictation Shorthand & Steno For Court & SSC LDC Exam post 232 With Matter

पार्ट 232
शब्‍द –611
समय 9 मिनिट 30 सेंकेंड

भ्रष्‍टाचार का अर्थ प्रत्‍यक्ष अथवा अप्रत्‍यक्ष लाभ प्राप्ति हेतु जानबूझ कर निश्चित कर्तव्‍य ना करना ही भ्रष्‍टाचार है। दूसरे शब्‍दों में हम यह कह सकते हैं कि भ्रष्‍टाचार का अर्थ अनुचित लाभ है जहां अनुचित साधनों को अपनाकर लाभ प्रापत किया जाए, वहीं भ्रष्‍टाचार है। भ्रष्‍टाचार में कर्तव्‍य का उल्‍लघंन किया जाता है यह उल्‍लंघन जानबूझ कर किया जाता है। कर्तव्‍य के इस उल्‍लंघन से व्‍यक्ति को प्रत्‍यक्ष या अप्रत्‍यक्ष रूप से कोई निश्चित लाभ होता है इस प्रकार हम कह सकते है कि जहां कहीं भी रूपए पेसे के लिए पद प्रापत करने के लिए या संपत्ति हड़पने के लिए अथवा अन्‍य किसी लाभ के लिए जानबूझकर कर्तव्‍य का उल्‍लंघन किया जाए वहीं भ्रष्‍टाचार है। भ्रष्‍टाचारी व्‍यक्ति सदैव सेवा और सहयोग की भावना को नाटकीय ढ़ंग से  उपस्थि‍त करता है परंतु यर्थाथ में वे इन भावनाओं से दूर रहते है। समाज के सार्वजनिक जीवन में होने वाले भ्रष्‍टाचार को स्‍पष्‍ट करते हुए कए विद्यावना ने लिखा है सभ्रांत कहे जाने वाले व्‍यक्ति जो सार्वजनिक हितों को त्‍याग कर व्‍यक्तिगत स्‍वार्थो को प्रधानता देने लगते हैं वे अनुचित लाभों केउपयोग की आशा में समाज एवं कानून विरोधी साधन अपनाते है तो उसे सार्वजनिक जीवन में भ्रष्‍टाचार कहते है। भ्रष्‍टाचार के क्षेत्र के अनुसार सार्वजनिक जीवन में होने वाले भ्रष्‍टचार का क्षेत्र अत्‍यंत व्‍यापक है इस भ्रष्‍टाचार में दो बाते मुख्‍य है पहली शक्ति का दुर्पयोग और दूसरी इस दुर्पयोग से प्राप्‍त होने वाले किसी लाभ की आशा।

         आधुनिक युग में यह दोनों ही बाते बड़े व्‍यापक रूप में देखने को मिल रहीं है। अशिक्षित व्‍यक्तियों को जाने दीजिए। शिक्षित व्‍यक्ति भी अपने तुक्ष्‍य स्‍वार्थ के लिए दूसरे का बड़े से बड़ा नुकसान करने में नहीं हिचकिचाते। बड़े बड़े इंजीनियर ठेकेदारों से धन लेकर ऐसी इमारतों  को पास कर देते है जो कुछ ही वर्षो में गिर जाती है। कभी कभी तो एसी इमारतों के लिए धन स्‍वीकृत किया जाता है जिनका कभी निर्माण ही नहीं होता। इस प्रकार विभागों द्वारा खरीदे जाने वाले सामान में ऐसा सामान लिया जाता है जो व्‍यर्थ का होता है। यह भ्रष्‍टाचार किसी देश विदेश तक सीमित ना होकर सार्वजनिक जीवन की प्रत्‍येक क्षेत्र में  है इससे देश का करोड़ो रूपया बर्बाद होता है आधुनिक युग में सर्वत्र इसी भ्रष्‍टाचार का बोलवाला है रॉक ने ऐसे भ्रष्‍टाचारियों व्‍‍यक्तियों के लिए लिए है कि वे समाज मे नैतिकता का गला घोटते है और आत्‍मविश्‍वास की भावना को प्रोत्‍साहन देकर सामाजिक विघटन की स्थिति उत्‍पन्‍न करते है। हमारे जनजीवन का कोई भी क्षेत्र ऐसा नहीं हैं जहां भ्रष्‍टाचार का यह रूप देखने को ना मिलता हो। हमने पहले ही इस बात का उल्‍लेख किया है कि भारत में लोकजीवन में भ्रष्‍टाचार अत्‍याधिक व्‍यापका मात्रा में देखने को मिलता है। इस भ्रष्‍टाचार के अनेक कारण है। यहां हम कुछ प्रमुख कारणों को संक्षेप में चर्चा कर रहे है। अर्थका विशेष महत्‍व वर्तमान युग में  धन का महत्‍व सब चीजों से अधिक हो गया है। धन की तुलना में कोई भी चीज नहीं रह गई है। उसी व्‍यक्ति का सम्‍मान होता है जिसके पास धन है समाज में प्रतिष्‍ठा  पाने के लिए अत्‍यंत आवश्‍यक है इसलिए सभी व्‍यक्ति अधिक से अधिक धन कमाने का प्रयास करते है यदि वे उचित साधनों से इसे प्राप्‍त नहीं कर पाते तो भ्रष्‍टाचार के साधनों को अपनाने में किंचित मात्र भी नहीं हिचकिचाते। उंच नींच की खाई भारत में उंच नीच की खाई भारत में गहन रूप से विद्यमान है कुछ लोग बहुत अधिक धनबान है तो कुछ  निर्धन। धनवान निरंतर अपनी आय बढ़ाने में निर्धनों के नुकसान की चिंता नहीं करते। कुछ कर्मचारी ऐसे है जिनको कम वेतन मिलता है यदि वे भ्रष्‍टचार के साधनों को नहीं अपनाते तो उनका अपना पेट भी भरना।

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