Wednesday, 7 February 2018

पार्ट 104


पार्ट 104

कुल शब्‍द 404


तत्‍कालीन हल्‍का पटवारी के साथ मिलकर सड़यंत्र रचकर अधिक भूमि पर नामांतरण करा लिया है। इस प्रकार शील रानी उसके पुत्र तथा तत्‍कालीन हल्‍का पटवारी ने छल  कारित करके अधीनस्‍थ न्‍यायालय को गुमराह करके प्रतिअपीलार्थी की भूमि हड़पने का कुचक्र रचा है। अधीनस्‍थ न्‍यायालय ने भी हल्‍का पटवारी के पतिवेदन को ही आधार मानकर संशोधन पर 1650 वर्गफुट भमि पर नामांतरण का आदेश पारित कर दिया है। जबकि रजिस्‍टर्ड विक्रय पत्र से केवल 563 वर्गफुट भूमि ही विक्रय की गई है। इस कारण अधीनस्‍थ न्‍यायालय द्वारा पारित आदेश निरस्‍त किया जाना तथा प्रतिअपीलार्थिनी शील रानी तथा तत्‍कालीन हल्‍का पटवारी को दण्डित किया जाना न्‍याय हित में है एवं अपीलाथी ने खसना नम्‍बर 522(1) में से 523 वर्गफुट भमि का विक्रय किया वहां तक नामांतरण करना एवं खसरा नम्‍बर 521 जो किसी अन्‍य का है उसकी भमि पर नामांतरण नहीं करना था।
        यह कि, अधीनस्‍थ न्‍यायालय द्वारा पारित आदेश प्राकृतिक न्‍याय सिद्धांत के विरोध में है। प्राकृतिक न्‍याय का यह सर्वमान्‍य सिद्धांता  है कि हितधारी व्‍यक्ति को सुनवाई का अवसर दिये बिना कोई आदेश पारित नहीं किया जाना चाहिए यदि ऐसा आदेश पारित भी किया जाता है तो प्रारंभत: ही इस आधार पर भी अधीनस्‍थ न्‍यायालय द्वारा पारित आदेश शून्‍य है और निरस्‍त किया जाना न्‍याय हित में है और विक्रय पत्र के आधार पर एवं अपीलार्थी के स्‍वामित्‍व में अधिकार के खसरा नम्‍बर 522(1) की भ‍ूमि पर खसरा नम्‍बर 521 की भूमि जो अन्‍य व्‍यक्ति की है उस पर नामांतरण नहीं करना था।
        यह कि राजस्‍व न्‍यायालय कों स्‍वयत्‍य प्रभावित करने की अधिकारिता नहीं है किंतु अधीनस्‍थ नयायालय द्वारा पारित आदेश से अपीलार्थी एवं अन्‍य व्‍यक्ति क स्‍वयत्‍व को प्रभावित किया है। जितनी भूमि अपीलार्थी ने विकय्र ही नहीं की है उतनी भूमि पर प्रतिअपीलार्थी का नामांतरण कर दिया है। इस गलत नामांतरण आदेश के कारण प्रतिअपीलार्थी उस भूमि को अपना बताने लगी है जो उसने खरीदी ही नहीं है तथा प्रतिअपीलार्थी भूमि को विक्रय करने की फिराक में है। अपीलार्थी द्वारा विक्रय से मना करने पर प्रतिअपीलार्थी तथा उसका पुत्र लड़ाई झगड़ा को आमादा होता है।
        विधिक सूत्र है कि न्‍यायालय के कार्य से किसी व्‍यक्ति को कोई हानि नहीं होती है किंतु अधीनस्‍थ न्‍यायालय द्वारा पारित आदेश से अपीलार्थी के स्‍वामित्‍व व अधिकार की 1087 वर्गफुट भूमि के स्‍वयत्‍य पर अधिकार के बादल छा गये है। अत: अधिनस्‍थ न्‍यायालय द्वारा संशोधन पंजी पर जो आदेश पारित किया वह अधिकार क्षेत्र के बाहर होने से निरस्‍त किया जाना

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