पार्ट – 113
शब्द 437
समय 11मिनिट
व्यापार चिनह के पूर्व उपयोक्ता
के पक्ष में कब व्यादेश जारी किया जा सकता है। इस संबंध में 76 एक्सट्रेक्सन
लिमिटेड एवं अन्य बनाम कोचर आयल मिल्स लिमिटेड का वाद 1 उपयुक्त उदाहरण है।
वादी व्यापार चिन्ह
पकवान के अधीन 1984 से रिफायंड तेल का निर्माता है। प्रतिवादी ने 1993 से अखाद्य
तेल और रिफायंड तेल को बनाने का काम व्यापार चिन्ह सबेरा और पकवान के अधीन शुरू
किया। निर्णीत हुआ कि वादी अस्थाई व्यादेशप्राप्त करने का हकदार था।
धारीवाल इंडस्ट्री
लिमिटेड बनाम मेसर्स एमएसएस फूड प्रोडक्ट के मामले मे वादी द्वारा यह घोषित करने
के लिए वाद फायल किया गया कि प्रतिवादी को पान मसाला गुटका इत्यादि पर व्यापार चिन्ह मानिकचंद का उपयोग करने का
अधिकार नहीं है क्योंकि वह व्यापार चिन्ह वादी के व्यापार चिन्ह मालिक चंद से
इतना समरूप है कि धोखा हो जाये अत: प्रतिवादी को मानिकचंद व्यापार चिन्ह रोकने
से रोक दिया जाये। वादी एवं प्रतिवादी दोनों के व्यापार चिन्ह रजिस्टड नही थे
परंतु वादी ने अपने को पूव्र उपयोगता साबित किया। विचारण न्यायालय ने प्रतिवादी
को व्यापार चिन्ह मानिकचंद की उपयोग
करने से रोकते हुए अतिरिक्त व्यादेश मामले के अंतिम विनिश्य होने तक पारित कर
दिया। उच्च एवं न्यायालय द्वारा विचारण न्यायालय के निर्णय को सही अभिनिर्धारित
किया।
रजिस्टर्ड उपयोगिता
को कुछ कार्यवाहियों में पक्षकार बनाए जाने के बारे में धारा 136 निम्नलिखित
उपबंध करती है।
अध्याय 7 के अधीन या
धारा 91 के अधीन प्रत्येक कार्यवाही में अनुज्ञात उपयोग के रूप में व्यापार चिन्ह
का उपयोग करने वाले रजिस्ट्रीकृत उपयोकता
को जो उस अध्याय या धारा के अधीन किसी कार्यवाही की बावत् स्वयं आवेदक
नहीं है। कार्यवाही में पक्षकार बनाया जायेगा। किसी अन्य विधि में किसी बात के
होते हुए भी कार्यवाही का इस प्रकार पक्षकार बनाया गया रजिस्ट्रीकृत उपयोकता किसी
खर्च के लिए तब तक दायी नहीं होगा जब तक कि वह उपसंजात ना हो और कार्यवाहियों में
भाग ना ले।
इस प्रकार ऐसा उपयोगिता कार्यवाही में पक्षकार बनाया जायेगा, जो अध्याय
7 के अधीन (रजिस्टर के परिशोधन एवं परिशुद्धि से संबधित अध्याय के अधीन) या धारा
91 के अधीन प्रत्येक कार्यवाही में ( अपीलीय बोर्ड को अपीलों से संबंधित
कार्यवाही में) अनुज्ञात उपयोग के रूप में
व्यापार चिन्ह का उपयोग करने वाला रजिस्टर्ड उपयोगिता है और वह अध्याय 7 या
धारा 91 के अधीन किसी कार्यवाही के वारे में स्वंय आवेदक नहीं है। धारा 137 रजिस्टर
में किसी प्रविष्ट या धारा 148 की उपधारा 1 में निर्दिष्ट किसी दस्तावेज की
प्रति, जिसका रजिस्ट्रार द्वारा प्रमाणित और व्यापार चिनह रजिस्ट्री की मुद्रा
में मुद्राकिंत होना तात्पर्यित है, सभी न्यायालयों में और सभी कार्यवाहियों में
अतिरिक्त सबूत पेश किये बिना साक्ष्य को
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