Saturday, 10 February 2018

20 मिनट की नॉनस्टॉप हिंदी श्रुतलेख 40 WPM POST-LDC1

कुल शब्‍द 844 समय 20 मिनिट 10 सेंकेंड

         सागर पुलिस ने वाहन चैंकिग के दौरान सागर से राहतगढ की ओर जा रही जीप क्रमांक एमपी 2258 को रोककर उक्‍त वाहन की चैंकिग की गई। चैकिंग के दौरान उक्‍त जीप में अभियुक्‍त गोंविद सुदामा बैठे हुए थे। और अभियुक्‍त गोविंद के आधिपत्‍य में एक थैला में मृत हिरण का चमड़ा रखा था और उनके द्वारा अभियुक्‍त के अधिपत्‍य से जप्‍तीपत्र प्रदर्श पी1 के मुताबिक उक्‍त थैले को जब्‍त करने पंचनामा प्रदर्श पी-2 बनाया था।
         दिन में सात या सात से ज्‍यादा बार फल और सब्जियां खाना सेहत के लिए ज्‍यादा बेहतर है यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के शोध कर्ताओं ने 65 हजार लोगों पर अध्‍ययन के बाद यह बात की है। शोधकर्ताओं का मानना है कि ऐसा करने से मौत का खतरा 42 परसेंट कम हो जाता है। विश्‍व स्‍वास्‍थय संगठन अब तक दिन मे कई बार फल  और सब्‍जी खाने पर जोर देता रहा है दिन मे सात बार फल और सब्तियां खाने से कैंसर और ह्रदय रोग का खतरा कम हो जाता है।
         तुम संसार के सबसे धनबान व्‍यक्ति बनना चाहते है – सफलता ना मिली तो क्‍या होगा? सो भीतर ही तुम कांपने लगते हो। भय शुरू होजाता है तुम्‍हारी किसी स्त्रियी पर मालकियत है तुम भयभीत हो सकता है कल तुमहारा उस पर मालकियत ना रहे वह किसी और के पास चली जाये अगर वह जीवित है तो की जा सकती है। सिफ मुर्दा स्त्रिया कहीं नहीं जाती केवल एक लाश पर ही मालकियत की जा सकती है – उसके लिए कोई  भय नहीं है।

         माता पिता आज्ञाकारी बच्‍चे को प्रेम करते है। लेकिन याद रखों विद्रोही बच्‍चा प्रतिभावान है  बच्‍चें केा सम्‍मान या प्रेम नहीं मिलता शिक्षक उसे प्रेम नहीं करते समाज उन्‍हें सम्‍मान नहीं देता। उसे भय हो जाता है जीनियस बहुत ही कम होते है इसलिए नहीं कि जीनियस बहुत कम पैदा हाते है जीनियस बहुत होते है क्‍योंकि समाज के संस्‍कारों की प्रक्रिया से बच कर निकलना बहुत कठिन है सिर्फ कभी कभार ही कोई सिर्फ इस पकड़ से छू पाता है विद्यवान अधीनस्‍थ न्‍यायालय द्वारा अपीलाथीगण को एक वर्ष के सश्रम कारावास एवं 200 रूपए के अर्थदण्‍ड से दंडित किया गया है अपीलार्थी द्वारा वन्‍य प्राणियों के खाल के व्‍यवसाय में होने के अपराध को देखते हुए दिया गया दण्‍डादेश भी अत्‍याधिक नहीं कहा जा सकता अत: विद्यवान अधीनस्‍थ न्‍यायालय द्वारा दिया गया दण्‍डादेश भी उचित पाया जाता है। फलत: अपीलार्थीगण की ओर से प्रस्‍तुत दाण्डिक अपील सारहीन होने से निरस्‍त की जाती है। 

यह धारा व्‍यावृत्ति स्‍वरूप की है। जिसमें यह बताया गया है कि इस संहिता के कोई उच्‍चतम न्‍यायालय को  संविधान एवं ततसंबंधी नियमों एवं अन्‍य उपबंधों पर निर्मित नियम जो तत्‍कालीन प्रभावशील हो और जिनके अंतर्गत उच्‍चतम न्‍यायालय में अपील प्रस्‍तुत की जाकर उसको संचालन किया जाता हो या दाण्डिक क्षेत्राधिकार या नावधिकरण या उपनावधिकारण के क्षेत्रााधिकार के सम्‍बन्‍ध में विषय को अथवा न्‍यायालय की डिकियों को आदेशों के विरूद्ध की गई अपीलों को किसी प्रकार से  बाधक नहीं होगे।
        उच्‍चतम न्‍यायालय को किसी प्रकार के अतिरिक्‍त अधिकार प्रदान नहीं करते है, किंतु जो अधिकार संविधान के द्वारा प्रापत हुए है उनको कायम रखती है। इस संबंध में निर्मित अधिनियमों का भी अवलोकन किया जाये जिससे अपील प्रस्‍तुत की जाने संबंधी उच्‍च न्‍यायालय द्वारा प्रमाण पत्र नहीं दिए जाने एवं स्‍वयं अपील स्‍वीकार कर प्रस्‍तुत की जाने सम्‍बन्‍धी उच्‍च न्‍यायालय द्वारा प्रमाण पत्र नहीं दिए जाने एवं स्‍वयं अपील स्‍वीकार कर उस पर पुर्न विचार करती है कि क्‍या वह अपील ग्राहय की जा सकती है? अथवा नियमों के अधीन प्रतिभू की रकम जमा करने मे कालावधि समाप्‍त हेाने पर अवधि बढाई जा सकती है अथवा उक्‍त राशि जमा की जाने हेतु अधिक समय लिए जाने के अधिकार समाविष्‍ट है।
        यह नयायालय के विवेक पर आधारित है कि इस धारा के अधीन कोई अपील स्‍वीकार की जाये अथवा उसे अस्‍वीकार किया जाये, अथवा उसे अन्तिमता प्रदान की जाये। इसी प्रकार इसी मामले का पुर्नअवलोकन की शक्तिा को इसी प्रकार से हस्‍तक्षेप नहीं  किया जा सकता। यह बात विचारणीय है कि उच्‍चतम न्‍यायालय द्वारा निषेधाज्ञा के अधीन जब अपील ग्राहय की जाती है जब उस अपील से संबंधित कार्यवाही से ही स्‍थगन स्‍वयं/स्‍वमेव नहीं हो जाता, उस सबंध में विलख कार्यवाही किया जाना आवश्‍यक है।
        उस शर्ता परीसीमाआअें के अधिन रहते हुए जो विहित की जाये, कोई भी न्‍यायालय मामले का कथन करके उसे राय के लिए निर्देशित कर सकेगा और उस पर ऐसा आदेश कर सकेगा जो वह ठीक समझे (परंजु जहां न्‍यायालय का समाधान हो जाता कि उसके समक्ष्‍ लंबित) मामले के किसी अधिनियम या विनियम अथवा किसी अधिनियम में अंर्तविष्‍ट किसी मान्‍यता के बारे में ऐसा प्रश्‍न अंर्तवलित हैजिसका उस अवधारणा उस मामले को निपटाने के लिए अत्‍यावश्‍यक है और उसकी यह राय है कि ऐसा अधिनियम, अध्‍यादेश या विनियम या उपबंध अवधिमान्‍य या अप्रवर्तनशील है किंतु जिसके द्वारा वह न्‍यायालय अधीनस्‍थ है या इस प्रकार घोषित नहीं किया गया है किंतु जिसके द्वारा वह न्‍यायालय अधीनस्‍थ है वहां उसके कारणों को उपवर्णित करते हुए मामले का कथन करेगा।

        न्‍यायालय में किसी स्थिति में उच्‍च न्‍यायालय से निर्देश प्रापत कर सकने के लिए सक्षम है। इसकी प्रक्रिया संहिता के आदेश


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