Sunday, 11 February 2018

38 WPM


कुल शब्‍द 380
समय 10 मिनिट 00 सेकेंड

8 नवम्‍बर 2016 को भारत में कुछ ऐसा हुआ जिससे पूरे देश मे हलचल मच गई रात 8 बजे भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी जी ने अचानक ही राष्‍ट्र को संबोधिक किया और 500 और 1000 के नोटों को खत्‍म करने का एलान सुनाया। इसका लक्ष्‍य केवल कालेधन पर नियंत्रण ही नहीं बल्कि जाली नोटों से छुटकारा पाना भी था। यह योजना करीब छह महीने पहले बननी शुरू हुई थी। सरकार के इस फैसले की जानकारी केवल कुछ लोगों को ही थी जिनमें मुख्‍य सचिव नृपेन्‍द्र मिश्रा, पूर्व और वर्तमान आरबीआई गर्वनर, वित्‍त सचिव अशोक लवाशा, आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिदासकांत और वित्‍त मंत्री अरूण जेटली शामिल थे। योजना को लागू करने की प्रक्रिया 2 महीने पहले शुरू हुई थी। इससे पहले भी, इसी तरह के उपायों को भारत में लागू किया गया था। जनवरी 1946 में, 1000 और 10000 रूपए के नोटों को वापस ले लिया गया था और 1000, 5000 एवं 10000 रूपए के नए नोटों को 1954 में फिर से कर सकते है। यह एक बहुत बड़ी सच्‍चाई है कि बड़े से बड़े आदमी ने अपने जीवन में जूते घिसे है और पसीना बहाया है। इसका मतलब है कि उन्‍होंने मेहनत की है और तभी जाकर वह अमीर असुर सफल बने है। अपनी गलतियों से सीखना और आगे बढ़ना भी अमीर बनने की तरफ एक अच्‍छी पहल है। हमेशा याद रखना कि रूका हुआ पानी और ठहरा हुआ इंसान दोनो सड़ जाते है। गिरना हार नहीं है पर गिरकर खड़े ना होना हार है। आपकी हार जितनी बड़ी होगी, आपकी सफलता उससे दोगुनी बड़ी होगी क्‍योंकि आप हार कर जीते है और हार कर जीतने वाले को ही तो बाजीगर कहते है। हम सभी ने अपने जीवन में हार देखी है और सबसे ज्‍यादा सफल इंसान ने भी हार देखी होगी। एक नियम यह भी है कि हमे कभी भी अपनी हार दूसरों पर नहीं डालना चाहिए क्‍योंकि ऐसा करने का मतलब होता है कि आप अपने आपको जिम्‍मेदार नहीं समझते इंसान का जीवन एक नाटक है जिसका मतलब है ना अटक। अगर आप अटक गये  तो आपके लिए ना समय थमेगा, और ना ही दुनिया। इसके लिए आपको एक नियम बनाना होगा कि आप कभी भी दो शब्‍द नहीं कहेगे जैसे कि आज मेरा मन नहीं है और किसी भी तरह का बहाना बनाना

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