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समय 10
मिनिट 00 सेकेंड
समय बीत
जाने के बाद पुन: माननीय न्यायालय जबलपुर में याचिका दायर की गई जिसमें दो माह
में आदेश करने हेतु आदेश किए गए जिससे अपर सचिव पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्रायल
भोपाल के द्वारा आदेश क्रमांक 14691022 को दिनांक 13/12/2010 के अनुसार आवश्यक
कार्यवाही हेतु अपर सचिव स्थान शिक्षा विभाग मंत्रालय भोपाल मध्यप्रदेश को पत्र
दिया परंतु उस पर आज दिनांक तक कोई कार्यवाही नहीं की गई। प्राथी कई बार शासन एवं
कार्यलयों कें चक्कर काटता रहा फिर भी आदेश नहीं मिला। मजबूर हेाकर मेरे द्वारा
कोर्ट अवमानना याचिका क्रमांक 727-2011 माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर मध्यप्रदेश
में पुन: दायर की गई। जिसमे माननीय न्यायालय द्वारा पूर्व याचिका क्रमांक 15270
से 2010 के परिपेक्ष्य में पन्टेप्ठ आफ कोटेक के तहत कार्यवाही करते हुए पनिश
दा रिस्पोडेंट कर दिनांक 11/04/2017 को पुन: नियुक्ति हेतु आदेश किए गए है जिसकी
फोटोकापी अवलोकनार्थ संलग्न है।
माननीय उच्च न्यायालय जबलपुर के आदेश
के परिपालन में श्रीमान प्रमुख सचिव पंचायत एवं ग्रामीण विकास मध्यप्रदेश शासन
किया गया। जिससे मेरा पूरा जीवन सत्यानाश होकर अंधकार मय हो गया। तब से आज दिनांक
तक इसकी सजा भुगत रहा है। तथा न्याय पाने के लिए न्यायालय एवं शासन के चक्कर
लगाकर विगत चौदह वर्षो्ं से इधर से उधर भटक रहा है।
प्रार्थी को जनपद कार्यलय शाहगढ़ द्वारा
जानबूझकर प्रतीक्षा सूची में डालकर दिनांक 05/02/2004 को बुलाया गया। मैं उसी दिन
उपस्थिति हुआ परंतु शासन द्वारा स्टे लग जाने के कारण उसे आदेश नहीं दिया गया।
प्रार्थी ने श्रीमान अतिरिक्त कमिश्नर सागर संभाग के कार्यलय में प्रकरण प्रस्तुत
किया जिसमें श्री मान जी ने टिप्प्णी की है कि जिसमें अनुसूचित जाति के 6 पद में
सर्वाधिक 92.98 एवं न्यूनतम 51.11 प्रतिशत अंक आये है जो कि बिलकुल गलत है लिस्ट
के अनुसार सर्वाधिक अंक 43.4 एवं न्यूनतम 30.6 प्रतिशत अंक है। अवलोकनार्थ लिस्ट
संलग्न है श्रीमान अतिरिक्त् कमिश्नर सागर की टिप्पणी के निरूद्ध माननीय उच्च
न्यायालय जबलपुर में याचिका क्रमांक 4619 से 2007 प्रस्तुत की गई जिसमें माननीय
पंचायत मंत्री को चार माह में निराकरण हेतु आदेश किए गए। परंतु आज दिनांक तक आदेश
अप्राप्त है। समय बीत जाने के बाद पुन: माननीय न्यायालय जबलपुर में याचिका
क्रमांक 15270 से 2010 दायर की गई।
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