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274
भारत में
विकास नियोजन आरंभ होने से पूर्व सहकारी खेती पर विशेष ध्यान नहीं दिया गया,
यद्यपि कही कही इस तरह की व्यवस्था की शुरूआत 1923 में की जा चुकी थी। 1947-48
में बंबई सरकार ने सहकारी कृषि समितियों के योजनाबद्ध विकास कार्यक्रम बनाया जिसके
अंतर्गत 5 वर्ष के भीतर 112 समितियां गठित करने का लक्ष्य रखा गया तथा राज्य सरकार
की ओर से अनेक प्रकार की सुविधाएं दिये जाने की पहल की गई । फलत: बंबई प्रदेश में सहकारी
कृषि समितियों की संख्या 1947 से 48 में 22 से बढ़कर 1951-52 तक 224 तक हो गई।
उत्तर प्रदेश में सहकारी खेती सर्वप्रथम
1949 में झांसी जिलें में आरंभ की गई।
1950-51 तक इस राज्य में 45 सहकारी कृषि समितियां बन पाई जिनकी सदस्य संख्या
1385 थी। मद्रास राज्य में भूमि एकत्रीकरण समितियां सर्वप्रथम 1935-36 में गठित
की गई। बाद में इन्हें सहकारी कास्तकार कृषि समितियों का नाम दिया गया था।
पंजाब, उड़ीसा और राजसथान में सहाकारी कृषि समितियां विस्थापित व्यक्तियों को
पुर्नस्थापित करने के धेय से गठित की गई। प्रथम पंचवर्षीय योजना में सहकारी खेती
को लोकप्रिय बनाने के लिए 50 लाख रूपये के व्यय की व्यवस्था की गई। प्रथम योजना
के अंत तक देश भर में सहकारी कृषि समितियों की संख्या 1000 के लगभग हो गई। द्वितीय
योजना में ऐसे आवश्यक कदम उठाने पर बल डाला गया, जिससे सहकारी खेती के विकास हेतु
सुद्रण आधार प्राप्त हो तथा 10- 15 वर्ष की अवधि में अधिकांश भूमि पर सहकारी खेती
होने लगी। परंतु योजना अवधि में सहकारी कृषि समितियां गठित करने के क्षेत्र में
विशेष सफलता नहीं मिल सकी। जून 1961 के अंत में देश भर में 6325 सहकारी कृषि
समितियां थी जिनकी सदस्य संख्या 3 लाख थी।
तीसरी योजना में सहकारी योजना के विकासार्थ
राष्ट्रीय सहकारी कृषि सलाहकार बोर्ड की स्थापना की गई इसी प्रकार से सलाहकार
बोर्ड कुछ राज्यों में भी स्थापित किए गए। योजनाकाल में 3180 मार्ग दर्शी सहकारी
समितियां गठित करने की लक्ष्य जिले में कम से कम दस सहकारी समितियां रखा गया। आशा
व्यक्त की गई कि मार्गदर्शी समितियों से
प्रेरणा पाकर लगभग चार हजार अन्य समितियां गठित होगी। योजनावधि में कुल 5401
सहकारी कृषि समितियां बन पाई, जिनकी सदस्य संख्या 1.13 लाख व अधिकृत क्षेत्र
5.85 लाख एकड था।
सहकारी खेती के कार्यक्रम पर तीसरी योजना
अवधि में 7.3 करोड़ रूपए तथा वार्षिक योजनाओं की अवधि में 1.5 करोड़ रूपए खर्च किए
गए।
चौथी योजना के प्रारंभ यानी 1969 में देश
भर में लगभग 8600 सहकारी कृषि समितियां थी इनकी सदस्य संख्या 2.2 लाख तथा अधिकृत
क्षेत्र 9.7 लाख एकड़ था इनमें से 4200 समितियां ही ठीक ढंग से काम कर पा रही थी।
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