Thursday, 15 February 2018

45 WPM Hindi Dictation for High Court, SSC, CRPF, Railways, LDC Exam Post-279


कुल 451
समय 10 मिनिट

 भ्रष्‍टाचार की परिभाषा करते हुए इलियट तथा मेरिल ने लिखा है कि ‘प्रत्‍यक्ष अथवा अप्रत्‍यक्ष लाभ प्राप्ति के हेतु जानबूझकर निश्चित कर्तव्‍य ना करना ही भ्रष्‍टाचार है’ । दूसरे शब्‍दों में हम यह कह सकते है कि भ्रष्‍टाचार का अर्थ अनुचित लाभ है जहां अनुचित साधनों को अपनाकर लाभ प्राप्‍त किया जाये, वहीं भ्रष्‍टाचार है। भ्रष्‍टाचार में कर्तव्‍य का उल्‍लंघन किया जाता है यह उल्‍लघंन जानबूझकर किया जाता है। कर्तव्‍य के इस उल्‍लंघन से व्‍यक्ति को प्रत्‍यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप्‍ से कोई निश्चित लाभ होता है इस  प्रकार हम कह सकते है कि जहां कही भी रूपये पैसे के लिए पद प्राप्‍त करने के लिए या सम्‍पत्ति हड़पने के लिए अथवा अन्‍य किसी लाभ के लिए जानबूझकर  कर्तव्‍य का उल्‍लंघन किया जाये, वहीं भ्रष्‍टाचार है।
         भ्रष्‍टाचारी व्‍यक्ति सदैव सेवा और सहयोग की भावना को नाटकीय ढंग से उपस्थिति करता है। परंतु यथार्थ में वे इन भावनाओं से दूर रहते है। समाज के सार्वजनिक जीवन में होने वाले भ्रष्‍टाचार को स्‍पष्‍ट करते हुए एक विद्यवान ने लिखा है ‘सभ्रांत कहे जाने वाले व्‍यक्ति जो सार्वजनिक हितों को त्‍यागकर व्‍यक्तिगत स्‍वार्थो को प्रधानता देने लगते है, वे अनुचित लाभों के उपयोग की आशा में   समाज एवं कानून विरोधी साधन अपनाते है तो उसे सार्वजनिक जीवन में भ्रष्‍टाचार कहते है।
         सार्वजनिक जीवन में होने वाले भ्रष्‍टाचार का क्षेत्र अत्‍यंत व्‍यापक है। इस भ्रष्‍टाचार में दो बाते है पहली शक्त्‍ि का दुर्पयोग और दूसरी इस दुर्पयोग से प्राप्‍त हेाने वाले किसी लाभ की आशा। आधुनिक युग में   यह देानों की   बाते बड़े व्‍यापक रूप में  देखने को मिल रही है। अशिक्षित व्‍यक्तियों को जाने दीजिए। शिक्षित व्‍यक्त्‍ि भी अपने तुच्‍य स्‍वार्थ  के लिए दूसरे का बड़ा से बड़ा  नुकसान करने में नहीं हिचकिचाते। बड़े बड़े इंजीनियर ठेकेदारों से धन लेकर ऐसी इमारतों को पास कर देते है जो कुछ ही बर्षो में गिर जाती है। कभी  कभी तो एसी इमारतों के लिए भी धन स्‍वीकृत किया  जाता जिनका कभी निर्माण ही नहीं होता। इस प्रकार विभागों द्वारा   खरीदने जाने वाले सामान में ऐसा सामान लिया जाता है जो व्र्‍य‍थ का होता है  यह भ्रष्‍टाचार किसी क्षेत्र विशेष तक सीमित ना होकर सार्वजनिक जीवन में प्रत्‍येक क्षेत्र तक है इससे देश का करोड़ों रूपया बर्बाद होता है।
         आधुनिक युग में सर्वत्र इसी भ्रष्‍टाचार का बोलवाला है। रॉक ने ऐसे भ्रष्‍टाचारी  व्‍यक्तियों के लिए लिखा है कि वे समाज में नैतिकता का गला घोटते है और अविश्‍वास की भावना को प्रोत्‍साहन देकर सामाजिक विघटन की स्थिति उत्‍पन्‍न करते है। हमारे जनजीवन का कोई भी क्षेत्र ऐसा नही है जहां भ्रष्‍टाचार का यह रूप देखने को ना मिलता हो। हमने पहले ही इस बात का उल्‍लेख किया है कि भारत में लोक-जीवन में भ्रष्‍टाचार अत्‍याधिक व्‍यापक मात्रा में देखने को मिलता है।

No comments:

Post a Comment

70 WPM

चेयरमेन साहब मैं आपसे कहना चाहता हूँ कि हम लोग देख रहे है कि गरीबी सबके लिए नहीं है कुछ लोग तो देश में इस तरह से पनप रहे है‍ कि उनकी संपत...