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486
समय
10 मिनिट
जब
पुलिस परिवादी की सही रिपोर्ट नहीं लिख रही है तब न्यायालय परिवादी की रिपोर्ट को
एफआईआर के रूप में लिखने का आदेश दे सकता है (इस मामले में परिवादी अपनी बहन की हत्या
की रिपोर्ट लिखाना चाहता था परंतु पुलिस
इसे इसे आत्महत्या का मामला बता रही थी) अपराध की क्रूरता के आधार पर इसे दो
भागों में बांटा गया है – (अ) संज्ञेय अपराध तथा (ब) असंज्ञेय अपराध।
असंज्ञेय
अपराध की सूचना दर्ज कराने के संदर्भ में दण्ड प्रक्रिया संहिता 1976 की धारा 155
में उपबंधित किया गया है, जो निम्नवत है, जब पुलिस थाने के भारसाधक अधिकारी को उस
थाने की सीमाओं कें अंदर असंज्ञेय अपराध की किये जाने की इत्तिला की जाती है तब वह
ऐसी इत्तिला का तार ऐसी पुस्तक में जो ऐसे अधिकारी द्वारा ऐसे प्रारूप में रखी
जायेगी जो राज्य सरकार इस निमित्य विहित करे, प्रवित्त करेगा या प्रवित्त
करायेगा और इत्तिला देने वालो को मजिस्ट्रेट के पास जाने को निर्देशित करेगा।
जब पुलिस अधिकारी किसी असंज्ञेय मामले का
अन्वेषण ऐसे मजिस्ट्रेट के आदेश के बिना
नहीं करेगा जिसे ऐसे मामले का विचारण करने की या मामले को विचारार्थ सुपुर्द करने
की शक्त है कोई पुलिस अधिकारी ऐसेा आादेश मिलने पर (वारंट के बिना गिरफतारी करने
के सिवाय) अन्वेषय के बारे में वैसी की शक्तियों का प्रयोग कर सकता है, जैसी
पुलिस थाने का भारसाधक अधिकार संज्ञेय मामले में कर सकता है।
जहां मामले का संबंध ऐसे दो या अधिक अपराधों से है, जिनमें से कम से कम
एक संज्ञेय है वहां इस बात के होते हुए भी
कि अन्य अपराध अंसज्ञेय है वह मामला
असंज्ञेय मामला समझा जायेगा।
विस्तार व क्षेत्र – धारा 155 की उपधारा
1 में पुलिस द्वारा असंज्ञेय अपराध की सूचना लिखने की प्रक्रिया बताई गई है। यह
प्रक्रिया संज्ञेय अपराध की सूचना लिखने की प्रक्रिया से भिन्न है। असंज्ञेय
अपराध की सूचना का केवल सार लिखा जाता है यह सार थाने का भारसाधक अधिकारी राज्य
सरकार द्वारा निमित्य रजिस्टर में स्वयं
लिख सकता है या अपने किसी कर्मचारी से लिखा सकता है। आम बोलचाल की भाषा में
इस रजिस्टर को गैर दस्तनदाजी चिक रजिस्टर कहते है। सूचना का सार लिखने के बाद थाने का भारसाधक
अधिकारी सूचना देने वाले को संबंधित मजिस्ट्रेट के पास परिवाद दाखिल करने या उससे पुलिस के नाम अन्वेषण का आदेश प्राप्त करने को कहेगा। थाने
का भारसाधक अधिकारी स्वयं भी मजिस्ट्रेट से अन्वेषण का आदेश प्राप्त कर सकता
है।
असंज्ञेय अपराध की सूचना केवल उस थाने
के भारसाधक अधिकारी को दी जा सकती है जिस
थाने की सीमाओं के अंदर ऐसे अंसज्ञेय
अपराध का होना पाया जाता है। संज्ञेय अपराध
की सूचना पर यह बंधन नहीं है। संज्ञेय
अपराध की सूचना किसी भी थाने के
भारसाधक अधिकारी को दी जा सकती है, चाहे संज्ञेय अपराध उस भारसाधक अधिकारी
के क्षेत्र में ना हुआ हो, इसको ऐसी सूचना दी जा रही है। यदि एफआईआर का कार्य डेली
डायरी में नही दर्ज किया गया है, और ना इस डायरी में
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