Monday, 12 February 2018

55 WPM Hindi Dictation For High Court LDC Typing & SSC Mix Series


कुल 564
समय 10 मिनिट 30 सेकेंड

वर्ल्‍ड इॅकोनॉमिक फोरम के जेंडर गेप इंडेक्‍स में भारत 21 पायदान नीचे आ गया है। फोरम ने 144 देशों में भारत को 108वें नम्‍बर पर रखा है। पिछले साल 87वें नम्‍बर पर था स्त्री पुरूष में आर्थिक और राजनीतिक असमानता बढ़ना इसकी प्रमुख वजह है। फोरम चार पैरामीटरों पर यह रैंकिंग करता है। इनमें से दो में प्रदर्शन खराब हुआ है। बाकी दो पैमाने पर भी सिफ एक एक अंक का सुधार है। राजनीतिक अधिकार में  भारत पन्‍द्रहवे नम्‍बर पर है। अर्थव्‍यवस्‍था में महिलाओं की कम भागीदारी और मामूली वेतन के चलते भारत रैकिंग में चीन और बांग्‍लादेश से भी पिछड़ गया है। डब्‍ल्‍यू.ई.एफ की ग्‍लोबल जेंडल गैप रिपोर्ट 2017 के मुताबिक भारत ने महिला और पुरूषों के मामले में 67 फीसदी अंतर बांटने में सफलता हासिल की है। लेकिन यह सफलता  चीन और बांग्‍लादेश से भी फीकी है। इस इंडेक्‍स में बांग्‍लादेश 47वें और चीन 100वें स्‍थान पर रहा। भारत की रैकिंग 2006 के मुकाबले 10 पायदान गिरी है। यह इंडेक्‍स  2006 में ही शुरू किया गया था। इंडेक्‍स की शुरूआत से पहली बार पूरी दुनिया में जेंडर गैप के मामले में हालात सुधरने के बजाह बिगड़ी है। खासकर शिक्षा, कार्यस्‍थल और राजनीति इन चारो क्षेत्रों में महिला व पुरूषों के बीच खाई और चौड़ी हुई है।

         भारत 141वें स्‍थान पर है। भारत से नीचे सिफ 3 देश है अजर बेजान आर्मेनिया चीन। आश्‍चर्य जनक रूप से चीन सबसे नीचे है। भारत में पांच साल से कम की एक लाख बच्चिचयों में से 595 मर जाती है। 587 महिलाओं की मौत संकमण रोगों से होती है। भारत पन्‍द्रहवें स्‍थान पर है।
जो टेक्‍स देता है उसका टेक्‍स  भी देता हो जो टेक्‍स नहीं देता। यानी वो दोहरा कर देता है।  क्‍योंकि टेक्‍स तो देना ही है इसलिए साधन सम्‍पन्‍न आदमी जब साधन को जेब में रख लेता है तो यह अन्‍याय है। क्‍योंकि यह गरीब का हक है।
         राजनीतिक व्‍यवस्‍था में जब ज्‍यादा कैश होता है तो ये एक भ्रष्‍टाचार का केन्‍द्र और कारण बनता है। लेकिन, इस पर रोक लगाना कठिन हेाता है। सरकान ने एक के बाद एक कदम उठाये। एसआईटी ब्‍लेक मनी लॉ, विदेशों से रिटी को संशोधित करना ट्रांसपेंरेसी ज्‍यादा लाना। खर्च  किस तरह से उस पर कंडीशन लगाना, बेनामी कानून लाना। इन डारेक्‍ट व्‍यवस्‍था बदलना। इसके कई स्‍वाभाविक परिणाम हमने साल भर मे  देखे है। कैश का बैंको के अंदर जाना। इसलिए चाहे उसका एक्‍सपेंडेचर म्‍यूच्‍यूअल फंड में हो इन्‍श्‍योरेंस में हो। इस सब क्षेत्रों में अगर हम देखे तो पिछले एक साल मे रिसोर्स बड़े है। बैंको के पास पैसा आया। फार्मल इॅकोनामी में सुधार आया। नोटबंदी हर समस्‍या का हल नहीं है लेकिन, इसने एंजेडा बदला। इससे हमें देश को फार्मल इॅकानामी और लेस कैश की तरफ ले जाने में कामयाब हुई।‍ रिमानेटाईजेशन भी कुछ महीनों में कर दिया गया यह विशव के सामने अद्भुत उदाहरण है।
         कांग्रेस की तरफ से विशेष रूप से विरोध किया गया दस साल तक पॉलिसी पैरालिसिस था कुछ नहीं किया गया। प्रधानमंत्री जी ने एक स्‍ट्रकच्‍लरल रिफार्म करके बदलाव लाने का प्रयास किया है। जेटल जी ने कहा, यूपीए और एनडीए में एक मूलभूत अंतर है। एक जगह पॉलिसी पैरालिसिस दिखता है जो दूसरी तरफ स्‍ट्रक्‍चरल रिफार्म । हैरानी इस बात की है कि हम नैतिक रूप से सही कदम उठा रहे है। और उसको लूट कहना।
         हमने काले धन के खिलाफ कार्यवाही की यह सैदांतिक तौर पर सही है।




No comments:

Post a Comment

70 WPM

चेयरमेन साहब मैं आपसे कहना चाहता हूँ कि हम लोग देख रहे है कि गरीबी सबके लिए नहीं है कुछ लोग तो देश में इस तरह से पनप रहे है‍ कि उनकी संपत...