पार्ट 252
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407
Dictation For High
Court, CPCT Also for SSC, Court LDC Exam Post
252 With Matter
धरती पर
मानव जाति का बजूद आदमी और औरत दोनों की समान भागीदारी कि बिना असंभव है। किसी भी
देश के विकास के लिए नर और नारी दोनों ही समान रूप से जिम्मेदार है। हालांकि
इसमें कोई संदेह नहीं है कि महिलाएं पुरूषों से अधिक महत्व रखती है। औरतों के बिना
हम मानव जाति की निरंतरता के बारे में
नहीं सोच सकते क्योंकि वो मानव को जन्म देती हैं। इसलिए कन्या शिशु को
नहीं मारा जाना चाहिए उनहें आगे बढ़ाने के लिए सुरक्षा सम्मान और समान अवसार
प्रदान किए जाने चाहिए। हालांकि महिलांए हत्या और दहेज प्रताड़ना आदि से अपनी ही
बनाई गई सभ्यता में पीढि़त है। यह कितना शर्मनाक है। बहुत से समझदार लोगों के
अनुसार एक शिशु कन्या को अनेक कारणों के लिए बचाया जाना चाहिए, जैसे कोई भी लड़की
किसी भी क्षेत्र में लड़कों की तुलना में कम सक्षम नहीं है और अपना सर्वश्रेष्ठ
देती है। 1961 से कन्या की गर्भ में ही हत्या करवा देना एक गैर कानूनी अपराध है।
यह ही नहीं, लिंग परीक्षण चुनाव के बाद गर्भपात को रोकने के लिए प्रतिबंधित कर
दिया गया है। किसी लड़के से तुलना तो यह अवश्य कहा जा सकता है कि एक लड़की अधिक
आज्ञाकारी कम हिंसक और अभिमानी होती है। वह अपने परिवार, नौकरी, समाज या देश के
लिए ज्यादा जिम्मेदार साबित हो चुकी है। इसके
अतिरिक्त माता पिता और उनके कार्यो की अधिक परवाह लड़कियों को भी ज्यादा होती है। यही कारण है कि सरकार ने लड़कियों
को बचाने और शिक्षित करने के लिए बहुत से कदम उठाये गये है। बेटी बचाओं बेटी
पढ़ाओं सरकार की ही एक पहल है। विभिन्य सामाजिक संगठनों ने महिला स्कूलों में
शौचालय के निर्माण से अभियान में मदद की है। बालिकाओं और महिलाओं के खिलाफ हो रहे
अपराध के विकास में एक बड़ी बाधा है। गर्भ
में ही कन्या की हत्या करना बेहद संगीन जुर्म में से एक है और सरकार ने अस्पतालों
में लिंग निर्धारण, स्केन परीक्षण आदि के लिए अल्ट्रा साउंड पर रो लगा दी है।
सरकार ने यह कदम इसलिए लिया है ताकि वह लोगों को बता सके लड़की को जन्म देना किसी
भी समाज में अपराध नहीं है। भारत में लड़की लक्षमी का रूप मानी जाती है और यह भगवान का दिया हुआ
एक खूबसूरत तोहफा है इसलिए एक बेटी से कभी भी नफरत नहीं करनी चाहिए। समाज और देश
की भलाई इसी में है कि हम सब मिलकर लड़कियों को बहुत सारा सम्मान दें और बहुत
सारा प्यार दे।
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