Monday, 12 February 2018

Hindi Dictation For High Court LDC Typing & SSC Mix Series Post-Steno-7 Mater Link 40 WPM


कुल 391
समय 10 मिनिट

माननीय उच्‍च न्‍यायालय एवं प्रमुख सचिव मध्‍यप्रदेश शासन के आदेशों की अवहेलना कर लगभग तीन माह होने पर भी उक्‍त आदेशों की धज्ज्यिा शिक्षा विभाग द्वारा उड़ायी जा रही है।  माननीय मुख्‍य मंत्री के द्वारा चलायी जा रही जन सुनवाई के आवेदनों पर अनुचित कार्यवाही कर उनहें ठेगा दिखाया जा रहा है। मैंने दिनांक 25/07/17 को जनसुनवाई में आवेदन दिखा गया कि जैसा कि पहले कलेक्‍टर (विधि शाखा) द्वारा आदेश दिए गये है उसी भांति मेरा भी आदेश कलेक्‍टर कार्यलय की विधि शाखा द्वारा करवाने की कृपा करे। उक्‍त्‍ आवेदन श्रीमान सीईओं जिला पंचायत सागर द्वारा श्रीमान डीईओं साहब को दिया गया। श्रीमान डीईओं साहब द्वारा घबराकर जल्‍दबाजी में बेकडेट में अपने कार्यलय की विधि शाखा द्वारा वर्तमान समय में नियुक्ति के अधिकार ना होते हुए पत्र श्रीमान सीईओं जनपद पंचायत शाहगढ़ को भेजा गया, प्रार्थी अपने प्रकरण का पता लगाने कार्यालय डीईओं सागर गया तो कार्यलय द्वारा उक्‍त पत्र की फोटोकापी को इस निमित्‍य क्षति की प्रकृति, क्षति की प्रणिति की रीति को अभियुक्‍त भुगतान क्षमता और अन्‍य प्रासंगिक हेतुको पर ध्‍यान देना चाहिए। गिरधारीलाल विरूद्ध महाराष्‍ट्र राज्‍य के मुकदमें में अभिमत व्‍यक्‍त किया गया था कि धारा 357 के अधीन प्रतिकर देने के आदेश के लिए जुर्माने के मूल दण्‍डादेश की प्रणिति एक अपरिहार्य शर्त है जुर्माने के दण्‍ड की प्रणिति के बिना यदि न्‍यायालय राज्‍य के पक्ष में अभियुक्‍त यानी अभियोजन के उपगत व्‍ययों को चुकाने के लिए 3000 रूपए के भुगतान का निर्देश देती है और विशेषकर तब जब अभियुक्‍त को परीवीक्षा पर किया गया हो तो उसे औचित्‍यपूर्ण नहीं माना जा सकता है।
         इसी प्रकार धारा 357(1) के अधीन प्रतिकर के भुगतान का निर्देश जब अभियता को जुर्माने से दण्डित किया गया हो, अथवा इस प्रकार जिसका एक भाग भी दण्डित हो। प्रतिकर की धनराशि को किसी वसूली गई जुर्माने की धनराशि से देने का निर्देश दिया जाना चाहिए? इस प्रकार प्रतिकर की राशि को कभी भी जुर्माने धनराशि से अधिक  नहीं होना चाहिए। जुर्माने की राशि का परिणाम पुन: उस पुर्नसीमा पर निर्भर करती है जो कि अपराध विशेष के लिए दण्‍डादिष्‍ट की जा सकती है और उस पर विस्‍तार तक निर्भर करती है। जिस तक अत्‍यंत उदारता के साथ और उपयुक्‍त निर्धनों के अधीन ना रहते हुए भी की जा सकती है। परंतु यह केवल तभी लागू होता है जब जुर्माने के दण्‍डादेश की प्रणीति नही की गई हो

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