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Hindi Dictation For High Court LDC Typing & SSC Mix Series 47 WPM - 47 WPM Post-Steno-9 Mater Link
जोसेफ
हेलर के प्रसिद्ध उपन्यास केच-22 में लेफिटिनेंट माइलो मांईडर वांईडर का चरित्र
खुद से कारोबार करके ख्याति अर्जित करता है वह खुद से इस तरह कारोबार करता कि
लेनदेन के चक्र में शामिल हर व्यक्ति को मुनाफा होता तो अंतत: सरकार की जेब से ही
आता है। वह किसी चीज की पूरी सप्लाई खरीद लेता जैसे एक गांव के सारे अंडे टमाटर
खरीद लिए और फिर अपनी ही फौजी यूनिट को मनमाने दाम पर बेंच दिए। अफवाद सिफ एक था
जब उसने दुनिया का सारा मिस्त्री कपास खरीद लिया। कोई खरीददार ही नहीं बचा किसी
ने उससे खरीदा तो उसे ही वापस भेज दिया। मोनोपॉली व्यापारी बनकर उसने मिस्त्र
कपास का बाजार खत्म कर दिया जिसमें वह स्वयं भी था पर उसने रास्ता निकाल ही
लिया कि क्यों ना इसे सरकार को बेच दिया जाए। अब माइलो मांईडर वांईडर की जगह 1979
के बाद की भारत सरकार और मिस्त्री कपास की जगह भारतीय बैंक लाईये। इदिरा गांधी
पहले तो भारत के प्रमुख बैंको का राष्ट्रीयकरण करती है और बैंकिंग तथा फाइनेंस
में राज्य का एकाधिकार स्थापित करती है। क्योंकि इसके पास सारी बीमा कंपनियों व
विकासात्मक वित्तीय संस्थानों (पूर्ववर्ती आईसीआईसीआई, आईडीबीआई, आईएफसीआई आदि) का भी स्वामित्व है। फिर यह खुद से खरीदना शुरू
करती है। बैंको को अपने ही बॉन्डस में निवेश करवाती है; अपने ही प्रोजेक्ट और सार्वजनिक उपक्रमों को ऋण दिलवाती है,
लोन मेला लगाती है
करया दिया गया हो जो
अपना कथन करने में अस्मर्थ और साक्षी द्वारा कथन के अधार पर सायम काल सात बजे
प्रथम सूचना रिपोर्ट दाखिल की गई हो प्रतिरक्षा पक्ष द्वारा यह दलील दी गयी हो कि
अभियोजन साक्षी के अनुसार स्टेशन गई थी जहां अपराध के शिकार व्यक्ति द्वारा
रिपोर्ट की गई ततपश्चात विचारण न्यायालय द्वारा साक्षी काउक्त कथन जो कि एक
विभ्रम की ओर किया गया प्रतीत होता है। उक्त धारा 439-1 के अधीन जमानत पर विस्तार
के विषय में विनिश्चित करते समय न्यायालय को सुसंगत हेतुकों पर विचार करना अपेक्षित
है। उच्च न्यायालय के आदेश से यह प्रकट होना चाहिए कि जब वह जमानत की प्रार्थना
पर राय का निर्माण कर रहा था तब वह उन कारणों के प्रति सजग और सतर्क था जो
सृजनशीलता द्वारा जमानत की प्रार्थना को खारिज करने के लिए व्यक्त किए गए थे।
वर्तमान प्रकरण एक ऐसा ही मामला था जिसमें ऐसी परिस्थितियां अतरविलित थी जिनमें
जमानत मंजूर करने के लिए विशेष कारणों की अपेक्षा का पुर्नविलोकन करने की अपेक्षा
अंतरग्रस्त थी। प्रकरण के तथ्यों और अभियुक्त के पूर्व इतिहास तथा इतिवृत्तों
पर विचार करते हुए जमानत को अस्वीकृत कर दिया था। उच्च न्यायालय द्वारा ऐसी
किसी बात को उल्लिखित किए बिना ही क्यों वह आदेश के विरूद्ध राय का निर्माण कर
रहा है? जमानत को मंजूर करना एक गलत विनिश्चय था। धारा 439 के अधीन जमानत
रद्ध करने का प्रश्न विनिश्चित रूप से जमानत की संस्वीकृति के प्रश्न से भिनन
है।
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