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दण्डशास्तीय विचारों कें विकास में प्रोबेशन का अपना विशिष्ट महत्व
है। इसमें अपराध के प्रति समाज की दण्डात्मक तथा उपचारात्मक दोनों प्रक्रियाओं
का समावेश है। यह एकपकार से दण्ड का ससर्त निलबन है। दोषसिद्ध व्यक्ति के दण्ड
को इस शर्त पर निलंबित किया जाता है कि वह अच्छे आचरण को अपनायेगा। इस निमित्य
राज्य पर्यवेक्षण की सुविधा प्रदान कर अच्छे आचरण के अनुपालन में सहायता देता
है।
अंग्रेजी का प्रोबेशन
शब्द लेटिन भाषा के प्रोबेयर से विकसित हुआ है, जिसका अभिप्राय प्रमाणित अथवा
परिक्षा करना है। विगत शताब्दियों में इग्लैण्ड में यह अनुभव किया गया कि कठोर
दण्ड के दिए जाने से अपराधी का सुधार नही होता अत: सस्पेडेंड सेटेंस देने की
विधि का विकास हुआ। इसेक अंतर्गत, अपराधी को भविष्य में अच्छा आचरण करने की शर्त
पर छोड़ दिया जाता था। वस्तुत: दण्ड की इसी पद्धति में प्रोवेशन का विकास हुआ।
इसमें देखरेख की व्यवस्था नहीं है अत: पुर्नवास की दृष्टि से अधिक सफल नहीं है।
इस लियम में दण्ड सुनाये जाने के पूर्व अथवा पश्चात न्यायाधीश अपराध को इस शर्त
पर मुक्त दण्ड सुनाये जाने पर मुक्त कर
देता है कि वह भविष्य में अपराध नहीं करेगा, अगर वह अपराध करता है तो उसे
दोषो अपराधों का दण्ड दिया जायेगा। इस प्रकार प्रोबेशन एक अदालती पद्धति है
जिसमें अपराध प्रमाणित हो जाने पर अपराधी कारावास में भेजे जाने के स्थान में एक
निश्चित अवधि तक सद्व्यवहार बनाये रखने का बान्ड भरने पर मुक्त कर दिये जाते
है।
इसकी उत्पत्त्ि
किन्हीं स्टेब्यूट में नहीं हुई थी। सन् 1841 में जॉन आगस्टस मोची ने मुख्यत:
शराबियों को छुड़ाकर मैत्रीपूर्ण निरीक्षण रखना आरंभ किया। इस प्रकार आगस्टस एक
स्वयं सेवी प्रोबेशन अधिकारी था। इसके पूर्व इस संबंध में प्रसिद्ध न्यायाधीश पीटर
हैचर की अदालत का अनौपचारिक निर्णय भी विद्यमान है। सन 1878 में मैचास्यूटिस में
प्रोवेशन का नियम पास किया।
वर्तमान संदर्भ में
प्राबेशन का अभिप्राय न्यायालय की उस पद्यति से है जिसमें अपराधी को, एक निश्चित
समय तक अच्दे व्यवहार को बनाए रखने का अस्वासन देने पर मुक्त् कर दिया जाता
है। दूसरे शब्दो में दोषी सिद्ध होने के बाद यह अपराधी की वह स्थ्ति है जिसमें
अपराधी को अच्दे व्यवहार की शर्तो पर छोड़ दिया जाता है। और राज्य व्यक्कितगत
निरीक्षण द्वारा अपराधी को अच्छा व्यवहार करने के लिए सहायता देता है।
प्रोबेशन दण्ड को
स्थिगत रखने की स्थिति में दोषी थहराये गये अपराधी की वह स्थिति है जिसमें उसे अच्छे
व्यवहार की शर्त पर छोड़ दिया जाता है और उस अवधि में राज्य व्यक्तिगत निरीक्षण
द्वारा उसे सदाचरण बनाए रखने में सहायता करने का प्रयत्न करता है। रीन मेन ने कहा
है कि प्राबेशन अपराधियों के उपचार का एक तरीका है जिसमें अदालत द्वारा लगई गई
शर्तो के अनुसार सद्व्यवहार करने पर वह मुक्त् किए जाते है और प्राबेशन
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