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पार्ट – 117
Dictation Hindi 45 WPM (Court Matter Link) For High Court & SSC Steno Typing Post-117
लाइसेंस एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके द्वारा प्रतिलिप्याधिकार स्वामी
अपनी कृति के संबंध में ऐसा कुछ करने की
अनुमति किसी अन्य व्यक्ति को प्रदान करता है जिसे अनुमति के अभाव में किए जाने
की दशा में प्रतिलिप्याधिकार स्वामी का अतिलंघन होगा। इस व्यक्ति को कुछ करने
की अनुमति प्रतिलिप्याधिकार स्वामी प्रदान करता है उसे लाइसेंस धारक या
अनुज्ञप्ति धारक तथा प्रतिलिप्याधिकार स्वामी को अनुज्ञपित कर्ता या लाइसेंस
कर्ता कहते है।
धारा 30 प्रतिलिप्याधिकार
के वर्तमान स्वामियों एवं भावी स्वामियों को लाइसेंस प्रदान करने शक्ति प्रदान
करती है। धारा 30 निम्नलिखित है। किसी विद्यमान कृति में प्रतिलिप्याधिकार का स्वामी
या किसी भावी कृति में प्रतिलिप्याधिकार का होने वाला स्वामी अपने द्वारा या
अपने सम्यकत: प्राधिकृत अभिकर्ता द्वारा हस्ताक्षरित लिखित अनुज्ञपित से उस
अधिकार में किसी हित का अनुदान कर सकेगा। परंतु किसी भावी कृति में प्रतिलिप्याकधकार
से संबंद्ध अनुज्ञप्ति के दशा में, वह अनुज्ञप्ति तभी प्रभावशील होगी जब वह कृति
अस्तित्व में आ जाये। जहां कोई व्यक्ति जिसे भावी कृति में प्रतिलिप्याधिकार का
संबंद्ध अनुज्ञपित् इस धारा के अधीन अनुदत्त की गई है। उस कृति के अस्तित्व में
आने से पहले मर जाता है वहां उसके विधिक प्रतिनिधि अनुज्ञप्ति में ततप्रतिकूल किसी
उपबंध के अभाव में, उस अनुज्ञप्ति के फायदे के हकदार होगे। इस प्रकार धारा 30
प्रतिलिप्याधिकार स्वामी द्वारा लाइसेंस देने के बारे मे जो उपबंध करती है उसके
बारे में निम्नलिखित बाते उल्लेखनीय है।
लाइसेंस या तो किसी
विद्यमान कृति में प्रतिलिप्याधिकार स्वामी द्वारा किया जा सकता है या किसी भावी
कृति में प्रतिलिप्याधिकार का स्वामी होने वाले व्यक्त द्वारा किया जा सकता है
अर्थात धारा 30 के अंतर्गत लाईसेंस दिया जा सकता है।
विद्यमान कृति में
प्रतिलिप्याधिकार के स्वामी (वर्तमान कृति) के वर्तमान प्रतिलिप्याधिकार स्वामी
द्वारा व भावी कृति में प्रतिलिप्याधिका का स्वामी होने वाले व्यक्ति द्वारा (भावी
कृति के प्रतिलिप्याधिकार स्वामी द्वारा) प्रतिलिप्याधिकार के वर्तमान स्वामी
या भावी स्वामी द्वारा लाइसेंस द्वारा जो भी कार्य करने की अनुमति दी जाये वह
लिखित में होनी चाहिए और लाइसेंस देने वाले व्यक्ति द्वारा या उसके सम्यक रूप से
प्राधिकृत एंजेट द्वारा हस्ताक्षरित होना चाहिए। जहां भावी कृति कें प्रतिलिप्याधिकार
के स्वामी द्वारा लाइसेंस दिया गया है
वहां ऐसा लाइसेंस तभी प्रभावी होगा जब वह कृति अस्तित्व में आ जाये। इसी प्रकार
जहां भावी कृति में प्रतिलिप्याधिकार का स्वामी उस कृति कें अस्तित्व में अाने
से पहले मर जाता है वहां उसके विधिक प्रतिनिधी उस लाइसेंसे के फायदे के हकदार
होगे।
यहां यह उललेखीय है
कि जहां किसी कृति के प्रतिलिप्याधिकार
के एक से अधिक संयुक्त स्वामी है वहां वे संयुक्त रूप से प्रतिलिप्याधिकार के
बारे में उसके किसी हित के बारे में लाइसेंस अनुदत्त कर सकते है। प्रतिलिप्याधिकार
का कोई संयुक्त स्वामी बिना अन्य संयुक्त स्वामियों के सहमति के यदि लाइसेंस
लेता है तो व्यथित पक्षकार प्रतिलिप्याधिकार के अतिलंघन के लिए बाद ला सकता है
और लाइसेंस देने वाला संयुक्त स्वामी भी अन्य संयुम्त स्वामी
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