कुल 404
समय 10 मिनिट
किसी जमाने में
एक चोर था। वह बड़ा ही चतुर था। एक दिन उस चोर ने सोचा कि जब तब वह राजधानी में
नहीं जायेगा और अपना कोई कर्तव् य नहीं सिखायेगा तब तक चोरों कें बीच उसकी धाक
नहीं जमेगी। ऐसा सोच वह राजधानी चला गया। और जाते ही पूरे नगर का चक्कर लगाया उसने तय किया कि राजा के महल
के वह अपना काम शुरू करेगा। राजा ने रात दिन महल की रखवाली के लिए बहुत से सिपाही
तैनात कर रखे थे । बिना पकड़ें गये परिंदा भी महल में नहीं घुस सकता था। महल में एक
बहुत बड़ी घड़ी थी लगी थी जो पूरे दिन के
हर घंटे बजती थी। इसी घड़ी की मदद से चोर ने राजा के महल में घुसने की तरकीब निकाली उसने लोहे की कुछ कीले ली और जब रात को घड़ी में बारह बजाए तो
घंटे की हर आवाज के साथ वह महल की दीवार
में एकाएक कील थोकता गया इस तरह बिना शोर किए
उसने दीवार में बारह कीले लगा दी फिर उन्हे पकड़ पकड़ कर वह उपर चड़ गया और महल में दाखिल हो गया। इसके साथ उसने महल में से बहुत
से हीरे चुरा लिये। अगले दिन जब चोरी का पता
लगा तो राजा ने अपने मंत्रियों को आदेश दिया कि शहर की सड़को पर गश्त करने
के लिए सिपाहियों की संख्या दुगनी कर दी जाये।
यह भी कहा गया कि अगर कोई भी रात
को घूमता हुआ पाया गया तो उसे चोर
समझ कर पकड़ लिया जायेगा। जिस समय दरबार
में यह एलान हो रहा था एक नागरिक के भेष में चोर मौजूद था उसे सारी योजना पता चल
गई उसे यह भी मालूम हो गया कि वह कौन से कस सिपाही है
जिन्हे गश्त के लिए चुना गया है तभी उसने साधु का रूप धारण किया और उन
सभी सिपाहियों की बीबीओं से जाकर मिला। उनमें हर एक महिला बात के लिए उत्सुक थी
कि उसका पति ही चोर को पकड़े और राजा से इनाम ले उसने एक एक सभी औरतो से कहा
कि उसके पति की पोशाक में चोर उसके घर आयेगा लेकिन उसे अपने घर
से अन्दर मत आने देना नहीं तो वह तुम्हें
दबोच लेगा। घर के सारे दरवाजे बंद कर लेना
और भले ही वह पति की आवाज में बोलता सुनाई
दे उसके उपर जलता कोयला फेकना। सभी औरतों ने ऐसा ही किया और फल यह हुआ कि सिपाहीं जल गये और उन्हें अस्पताल ले जाया
गया।
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