Tuesday, 13 February 2018

Legal Dictation in Hindi | 40 WPM | Hindi Typing | For SSC steno dictation | Mater Link | Post-125


कुल 480
समय 11 मिनिट 30 सेकेंड

Legal Dictation in Hindi | 40 WPM | Hindi Typing | For SSC steno dictation | Mater Link | Post-125

धारा 31 प्रतिलिप्‍याधिकार बोर्ड बोर्ड को किसी प्रति के पुन: प्रकाशन के लिए अनिवार्य अनुज्ञप्ति देने की शक्ति प्रदान करती है, बोर्ड ऐसी अनिवार्य अनुज्ञप्ति तब दे सकता है जब परिवाद ऐसी भारतीय कृति से संबंधित हो जो या तो प्रकाशित की जा चुकी हो या सार्वजनिक रूप से प्रस्‍तुत की जा चुकी हो परिवाद प्रतिलिप्‍याधिकार की अवधि के दौरान किया गया हो, परिवाद निम्‍नलिखित में से किसी बात से  संबंधित हो। प्रतिलिप्‍याधिकार के स्‍वामी ने कृति को पुन: प्रकाशित करने या पुन: प्रकाशन के अनुज्ञा देने से इंकार कर दिया हो प्रतिलिप्‍याधिकार के स्‍वामी ने उस कृति को सार्वजनिक रूप से प्रस्‍तुत करने की अनुज्ञा देने से इंकार कर दिया है और जिससे वह कृति जनता से रोक ली गई हो या प्रतिलिप्‍याधिकार के स्‍वामी ने ऐसी कृति को या रिकार्ड की दशा में ऐसे रिकार्ड में ध्‍वनंकित कृति को उन शर्तो पर जिन्‍हे परिवादी युक्तियुक्‍त्‍ समझता है, प्रसारण द्वारा सार्वजनिक रूप से संसूचित करने से इंकार कर दिया हो, बोर्ड ने प्रतिलिप्‍याधिकार के स्‍वामी को युक्तियुक्‍त्‍ सुनवाई का अवसर दिया हो, बोर्ड की राय ने प्रतिलिप्‍याधिकार के स्‍वामी के इंकारी के आधार युक्यिुक्‍त्‍ ना हो।    
         यहां यह उल्‍लेखनीय है कि बोर्ड के निर्देशानुसार परिवादी द्वारा निर्धारित फीस दिए जाने के पश्‍चात अनुज्ञा प्रदान करेगा।
         म्‍यूजिक च्‍वाइस इंडिया प्राईवेट लिमिटेड न्‍यू डेल्‍ही बनाम फोटोग्राफिक लिमिटेड मुबंई के मामले में बाम्‍बे कोर्ट ने धारा 3116 का निर्वचन करते हएु स्पष्‍ट यिका है कि अनिवार्य अनज्ञप्ति प्रदान करने की शक्ति प्रतिलिप्‍याािका बोर्ड में निहित है अत/ उक्‍त्‍ उपचार को सिविल वाद के माध्‍यम से मांगना पोषणीय नहीं है अत: अनिवार्य अज्ञप्ति की अनुमति प्रदान करने की शक्त्‍ि केवल प्रतिलिप्‍याधिकार बोर्ड के द्वारा ही दी जा सकती है। इसी प्रकार पुन: प्रकाशन की अनुज्ञा के लिए जहां परिवाद दो या अधिक व्‍यक्तितयों द्वारा किया गया है वहां  पुन: प्रकाशन की अनुज्ञप्ति उस परिवादी को अनुदत्‍त की जायेगी जिसके बारे में बोर्ड की यह राय है कि वह साधारण जनता के हितों की सर्वोत्‍म सेवा करेगा।
         अप्रकाशित भारतीय कृतियों कें प्रकाशन की अनिवार्य अनुज्ञप्ति देने के बारे में धारा 31 क निम्‍नलिखित उपबंध करती है। जहां धारा 2 के खंड 1 के उपखंड 3 में निर्दिष्‍ट किसी भारतीय कृति की दशा में रचियता की मृत्‍यु हो गई है या वह अज्ञात है या उसकी खोज नहीं की जा सकती है या ऐसी कृति में प्रतिलिप्‍याधिकार के स्‍वामी का पता नहीं लग सकता है वहां कोई भ्‍ज्ञी व्‍यक्ति ऐसी कृ‍ति या किसी भाषा में उसका भांषातर प्रकाशित करने की अनुज्ञप्ति के लिए प्रतिलिप्‍याधिकार बोर्ड को आवेदन कर सकेगा। उपधारा 1 के अधीन कोई आवेदन करने के पूर्व  आवेदक अपना प्रस्‍ताव देश के बृहद भाग में परिचालित अंग्रेजी भाषा के किसी दैनिक समाचार-पत्र के एक अंक में प्रकाशित करेगा और जहां आवेदन किसी भाषा में किसी भांषातर के प्रकाशन के लिए वहां उस भाषा के किसी दैनिक समाचार पत्र के एक अंक में भी प्रकाशित करेगा।

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