Friday, 16 March 2018

100 WPM POST - 1


महोदय यह सर्वविदित है कि मानव तथा समाज के सर्वागीण विकास में शिक्षा की महत्‍वपूर्ण भूमिका है। और प्राथमिक शिक्षा तो सम्‍पूर्ण शिक्षा की बुनियाद है इसलिए सर्वप्रथम शिक्षा व्‍यवस्‍था को चुस्‍त और दुरस्‍त करना आवश्‍यक समझा जा रहा है इसलिए अब शिक्षा से सरोकार रखने वाले प्रत्‍येक व्‍यक्ति की भूमिका को दोबार परिभाषित करना भी बहुत जरूरी है साथ ही नई पंचायत राज व्‍यवस्‍था के अंतर्गत हमारे सारे जनप्रतिनिधीओं को भी शिक्षा के सुर विधिकरण विकेन्‍द्रीकरण व सुधार के लिए मजबूर होना पढ़ेगा। अन्‍यथा अजा के युग में शिक्षा के बिना समाज के विकास की बात बेईमानी होगी। 


वर्तमान में मात्र प्राथमिक शिक्षा की शुद्रीकरण व स्‍वार्थीकरण के लक्ष्‍य को पूरा करने के लिए कई जिलों में जिला प्राथमिक शिक्षा कार्यक्रम तो कहीं ग्रामीण स्‍तर पर दूर शिक्षा कार्यक्रम कहीं सब के लिए शिक्षा तो कहीं प्राथमिक शिक्षा हेतु मध्‍यामन पोषाहार योजना जैसे कार्यक्रम चलाये जा रहे हे। परंतु इसके बावजूद भी प्राथमिक विद्यालयों में छात्र संख्‍या बढ़ने के बजाह घटती जा रही है जो चिंता का विषय है। इधर कुछ सूत्रों के अनुसार प्रदेश में हाल ही में लखनऊ में शिक्षा विभाग के कुछ पदस्‍थ शिक्षा अधिकारियों की एक कुछ आश्‍चर्य बैठक में वशिक शिक्षा को चुस्‍त दुरस्‍त करने तथा 11 वर्ष तक बच्‍चों को अनिवार्य रूप से विद्यालय में भेजने की योजना को व्‍यवहारिक बनाने के लिए प्रदेश के सभी जिला वेशिक शिक्षा अधिकारियों के दफ्तरों को कम्‍प्‍यूटर सूविधा से जोड़ने का निर्णय लिया गया है। जिसका ध्‍येय वेशिक शिक्षा का कुछ स्‍तरीय अधिकारियों द्वारा कड़ी नजर रखना बताया जाता है।


 इसके अतिरिक्‍त्‍ पेाषाहार योजना के अंतर्गत अब पकाया हुआ खादद्ययान बच्‍चों को वितरित करने का निर्णय सरकार द्वारा लिया गया है। इस तरह के सारे प्रयास सरकार व विभाग के कुछ पदस्‍थ अधिकारयिों द्वारा लिये जा रहे है पता चला है कि प्रदेश शासन के उच्‍च  अधिकारियों के द्वारा जिला स्‍तरीय शिक्षा पदीय अधिकारियों अध्‍यापको और अभिभावकों के साथ मिलकर 11 तक के बच्‍चों का स्‍कूलो में शत प्रतिशत प्रवेश सुनिश्चित कराने तथा जरजर प्राथमिक विद्यालयों की तत्‍काल मरम्‍मत कराने के शख्‍त निर्देश दिए गए है। वेशिक शिक्षा को सुधारने के लिए इसका पूरी तरह विकेन्‍द्रीकरण करते ग्राम पंचायतो को सौंप दिया जाये तथा शिक्षा विभाग के अधिकारी समन्‍यवक के रूप में काम करे।


महोदय इस प्रकार के निर्णय यद्यपि शिक्षा के विकेन्‍द्रीकरण और सुदृढीकरण के लिए उपर्युक्‍त कहे जा सकते है। पर यह विभिन्‍य निर्णय ग्रामीण स्‍तर तक पहुचते पहुचते इतने क्रियान्‍वित हो पाते है औश्र योजनाए इतनी कारगर हो पती है। यह किसी से छिपा नहीं है इसलिए इन निर्णय को क्रियान्‍वित करने और विभिन्‍य योजनाओं को कारगार बनाने के लिए संबंधित अधिकारियों को अपनी राज करने की प्र‍वृत्त्‍ि को छोड़कर शैक्षिक योजना से अभिभूत होकर जागरूक और व्‍यवहारिक होना पढ़ेगा। ग्रामवासियों की साधरण जीवन की झलक और उनकी जिंदगी की तरफ देखने की क्षमता अपने अंदर विकसित करनी पढेगी। अपनी सुख सुविधाओं भोग छोड़कर जनसाधारण की नब्‍ज तक पहुचने की प्रवृत्ति अपने मन में जगानी होगी। इसी प्रकार शिक्षको को रोज की उठापठक की राजनीति से हटकर अपने उत्‍कृष्‍ट व्‍यवाससा वृत्ति के अनुकूल बच्‍चों के लिए कुछ कर गुजरने की लगन अपने मन में पैदा करनी होगी। अन्‍यथा यह समझ लिया जाना चाहिए डाक के तीन ही पात होते है योजनांए और निर्णय चाहे सैकड़ो हो जाये उससे कोई अंतर पढ़ने वाला नहीं है। जहां तक पूरी शिक्षा व्‍यवस्‍था को ग्राम पंचायतों को सौंपने की बात है वहां तो यह पहले ही रेखांकित किया जा चुका है कि पंचायत राज कानून को लागू करने पर विद्यालय ग्राम शिक्षा समितियों कें पद उत्‍रदायी होगे। क्‍योंकि ग्राम पंचायतो की स्‍थापना हो जाने के बाद अपने क्षेत्र के चखुमुखी विकास करने का दायित्‍व अब ग्राम पंचायतों का ही होगा।


 शिक्षा के बारे में स्‍वाधीन चेतना जगाना और उसका शुद्रीकरण करना अब ग्राम पंचायतों का काम होगा। पर वर्तमान प्रदूषित राजनीति के स्‍वार्थ के दौर में शिक्षा व्‍यवस्‍था में कितनी सहजता और अस्‍पष्‍ठा बढ़ेगी यह तो समय ही बतायेगा पर इतना आवश्‍यक है कि अब शिक्षा से सरोकर रखने वाले प्रत्‍येक व्‍यक्ति की भूमिका को द्वारा पारिभाषित करना ही पढ़ेगा और  शिक्षा को संकमण से उभारने समाजिक मूल्‍यों और शिक्षा के अंत संबंधों को तलाशने शिक्षा के शुद्रीकरण करने उसे जीवनपयोगी बनाने और विविध कौशलों से जोड़ने कें लिए हमारे समाज के सारे जनप्रतिनिधियेां को मजबूर होना पढ़ेगा। समाज के बहु ज्ञानी विकास के लिए शिक्षा के प्रति एक सोच हर जनप्रतिनिधी को अपने अंदर लानी पढ़ेगी। ताकि शिक्षा के क्षेत्र में राज कर रहे कर्मियों अधिकारयिों वानिकी निर्माताओं को मदद मिल सके और शिक्षा व्‍यवहारिक बन सके।



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