देश की आर्थिक अवस्था का विवरण वित्त मंत्री जी नें हमारे सामने
प्रस्तुत किया है वह संतोषजनक है। हम देश की आर्थिक अवस्था को मजबूत बनाने की
दिशा में अग्रसर हो रहे है। विभिन्य क्षेत्रों
में उत्पादन बढ रहा है जिससे आशा की एक झलक दिखाई दे रही हे। तीसरी
पंचवर्षीय योजना के दौरान हम एक बहुत बढ़ी धनराशि खर्च करने जा रहे है। यह भी
एक आशाप्रद बात है लेकिन अध्यक्ष
महोदय पिछले साल भी मैंने वित्त मंत्री
जी का ध्यान इस तरफ खीचा था और आज फिर खीचता हू कि देश की वर्तमान आर्थिक अवस्था
का चित्र हमारे सामने रखने के साथ साथ यह
भी बतलाना चाहिए था कि इस देश के अंदर उत्पादन
में जो बृद्धि हुई है वह समाज के किस अंग में किस रूप में उपयोग लाई गई है। आथिक नुकसान
की सबसे बड़ी समस्या गरीबी और बेकारी को
खत्म करना है।
एह दोनो की मानों हमारे समाज के अंदर केंसर की बीमारी की तरह से है
आज तक डॉक्टर यह नहीं सोच पाए कि केंसर की बीमारी के के लिए कौन
सी दवा उपर्युक्त है। इसी तरह वित्त मंत्री इस विद्या के विशेषज्ञ होते
हुए भी इस बीमारी की दवा हमें बताने में अस्मर्थ रहे।
यह ठीक है कि बेकारों की
बेकारी की समस्या को महसूस करते है लेकिन
हम देखते है जैसे जैसे हमारी योजनाओं का काम आगे बढ़ता जाता है तो यह पता लगता है कि बेकारी भी उसी गति से बढ़ती जा रही
है। गरीबी का सवाल बेकारी से जुड़ा हुआ है अगर लोगों को काम मिलेगा तो बेकारी दूर होगी और देश
से गरीबी भी दूर होती जायेगी।
मेरे मित्र ने यहां
अपने विचार प्रकट करते हुए अभी कहा कि देश
की उन्नति के लिए नागरिको को त्याग
करना चाहिए मैं इस बात को अच्छी तरह से
महसूस करता हूं और हमारे देश की जनता भी इस बात को अच्छी तरह जानती है कि बिना
कष्ट उठाए पूंजी जमा नहीं हो सकती और बिना पूंजी के प्रकाश नहीं हो सकता परंतु
सिफ इस सदन में खड़े होकर कह देने से
पूंजी नहीं बढ सकती। जनता हर तरह से सहयोग
करने को तैयार है परंतु उसे रास्ता आपको
दिखलाना चाहिए। आपको स्वयं इस बात को त्याग करते जनता के सामने जाना चाहिए तब आप
विश्वास रखिए जनता तरह से आपकी मदद करने को तैयार रहेगी।
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