Monday, 5 March 2018

भाजपा के भीतर चित्रकूट सीट


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भाजपा के भीतर चित्रकूट सीट के जीतने पर जश्‍न की तैयारी हो रही थी, लेकिन उसके बाद जो कुछ हुआ, उसकी उम्‍मीद ना भाजपा को थी और ना कांग्रेस को। कांग्रेस ने सीट पर भाजपा प्रदेश अध्‍यक्ष नंद कुमार चौहान ने मुझे मन से ठीक सही, हार को स्‍वीकार लिया और तय किया कि हार की समीक्षा करेगे? सवाल यही पर है, आखिर समीक्षा किस बात की होगी? हारने की या फिर हारने के कारणों की? प्रत्‍याशी के चयन की या फिर उस बातो को जिनके कारण भाजपा को हार का सामना करना पड़ा है या फिर उस चुनाव प्रवर्तन की, जिसके कारण भाजपा को हार का सामना करना पड़ा ह?
         कहते है कि अधूरे मन से कभी भी कोई भी जीत नहीं होती है, शायद प्रदेश भाजपा उस समय ही अधूरे मन से हो गई थी जब उनके उम्‍मीदवार सुरेन्‍द्र अहिरवार को किनारे पर शंकर दयाल त्रिपाठी को उम्‍मीदवार घोषित किया गया था। संघ के दबाव में भले ही प्रदेश भाजपा ने उसे स्‍वीकार कर लिया हो, लेकिन स्‍थानीय स्‍तर पर पार्टी कार्यकर्ताओं ने त्रिपाठी की स्‍वीकारिता नहीं दिखाई। तभी तो प्रदेश सरकार के 15 से ज्‍यादा मंत्री, एक केन्‍द्रीय मंत्री खुद मुख्‍य मंत्री पूरी पार्टी और उसके बाद उत्‍तर प्रदेश, मध्‍यप्रदेश सबने मिलकर चुनाव लड़ा लेकिन हाथ में हार ही आई। एक सवाल यही पर है कि क्‍या चुनाव मेनेजमेंट के भ्रम में भाजपा वोटरों की भावनाओं को नहीं समझ पाई। या कहे कि भाजपा संगठन या सरकार अपनी गलतियों को स्‍वीकार किए बिना ही चुनाव जीतने के दावे कर रहा था। यह सवाल इसलिए खड़े हो रहे है क्‍योंकि चित्रकूट मध्‍यप्रदेश के सबसे ज्‍यादा पिछड़े क्षेत्रों में आता है। ऐसे मे चुनाव आए तो सरकार को यहां के विकास की याद आई। कई पै‍कैज दिए गए। कई योजनाओं की घोषणा की गई । लेकिन सवाल यह है कि इन योजनाओं और पैकेज का ध्‍यान चुनाव के पहले क्‍यों नहीं आया।भावांतर के भंवर से किसान जूझ रहा है। सड़क बिजली और पानी के हालातों से हर कोई वाकिफ है। ऐसे में अगर यह कहा जाये कि चित्रकूट के वोटर ने एक आईना दिखाया है तो गलत ना होगा। हालांकि सवाल फिर वही है कि क्‍या सरकार और संगठन आईने की हकीकत को स्‍वीकारनें को तैयार है।
         नर्मदा की निचली लहरों पर सवार होकर भाजपा चित्रकूट को जीतने निकली थी। लेकिन मंदाकनी के भंवर में उलझकर रह गई। ऐसा भंवर कि उसे हार ही नसीब हुई। यहां से आगे चंबल का रास्‍ता है। मुंगावली और कोलारस इंतजार कर रहे है। उम्‍मीद की जानी चाहिए कि भाजपा अपने चुनाव मेनेजमेंट को किनारे रख जमीनी हकीकत को देखकर बात  करेगी। इस हार का सबक लेगी और कुछ योजनाओं का कागजी वर्णन बंद करेगी, जो हकीकत में वैसी नहीं है जेसी बताई जा रही है।
         बड़े उत्‍साह के साथ भाजपा के भीतर चित्रकूट सीट के जीतने पर जश्‍न की तैयारी हो रही थी, लेकिन उसके बाद जो कुछ हुआ,

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