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एफआईआर एक वाद पत्र के समान नहीं है। साक्षियों की सूची को इसके साथ
संलग्न किया जाना आपेक्षित नहीं है। यह संभव है कि एफआई कर्ता को सभी साक्षियों
की जानकारी ना हो, और उनके बारे मे पता अन्वेषण पर चले।
उपरोक्त उच्चतम न्यायालय
की नाजीर का अनुसरण निम्न नजीरों, योगेन्द्र सिंह बनाम राजस्थान राज्य, 1980
क्रिमनल लॉ जनरल 113, यूपी राज्य बनाम क्रिमनल लॉ जनरल, 559 एफआईआर
1988 एससी 368 में भी किया गया है।
इस प्रकार यह भी
बताया गया है कि एफआईआर में चस्मदीद गवाहों के नामों का लोप उनके साक्षात्मक
मूल्य को प्रभावित नहीं करेगा और इसके आधार पर परिसाक्ष्य को अस्वीकार नहीं
किया जा सकता है।
पहलाद बनाम महाराष्ट्र
राज्य, 1981 क्रिमिनल लॉ जनरल 752, 1981 निर्णय सार 155, में बताया गया है कि यदि
रिपोर्ट करने वाला व्यक्ति चस्मदीद गवाह ना हो और उसमें चस्मदीद गवाहों के नाम
न बताये हो तो एफआईआर में उनके नाम ना होना उनकी गवाहीं को ना मानने का कारण नहीं
हो सकता है।
रमन कालिया बनाम
गुजरात राज्य, में 1980 एससीसी (क्रिमनल 153- 1979 क्रिमनल लॉ जर्नल 1074- एआईआर
1979 एससी 1261, में यह अभिनिर्धारित हुआ है कि यदि वादी घटना का चस्मदीद गवाह है
और उसने एफआईआर में कुछ अभियुक्तों के बारे में कुछ आवश्यक तथ्यों को नहीं दिया
है। यह तथ्य ऐन अभियुक्तों का मामलें में हाथ होने पर कोई संदेह पैदा करता है।
यदि एफआईआर चस्मदीद
गवाह ने लिखाई है तो इसमें महत्वपूर्ण तथ्यों का लोप अभियोजन के लिए घातक है।
जब लूट का अपराध दिन
में हुआ है। परिवादी एफआईआर में अभियुक्त्
के विशिष्ट शिनाख्त चिन्ह लिखाने में अस्मर्थ रहा है। यहां तक कि उसने अभियुक्त्
के कद, बनावट तथा अनय शारीरिक पहचान भी नहीं लिखाई है तब अभियुक्त ऐसे गवाह के
अभियुक्त को पहली बार पहचानने के आधार पर दोष सिद्धी नहीं किया जा सकता। यही
विचार नजीर राजस्थान राज्य बनाम बद्री, 1975 क्रिमनल लॉ जर्नल 1454, में व्यक्त
किया गया है। किंतु , सस्ती राम बनाम राज्य, 1977 क्रिमनल लॉ जर्नल 123, में यह
अभिनिर्धारित किया गया है कि अभियुक्त का अपराध के करने में स्पष्ट व प्रकट
कृत्य ना बताना स्वयं में अभियोजन के लिए घातक नहीं है। विशेषकर जब अभियुक्तो
की संख्या अधिक है।
यदि एफआईआर में यदि
कुछ तथ्य नहीं भी है और तुरंत ही उनका अतिरिक्त् कथन द्वारा बता दिया गया है तब
कुछ तथ्यों के अभाव में एफआईआर अविश्वनीय नहीं मानी जायेगी।
जब
सब-परीक्षा-रिपोर्ट के अनुसार जब हत्या गला दबाकर की गई है किंतु
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