Friday, 2 March 2018

Dictation Test Hindi 47 WPM - 45 WPM


कुल शब्‍द 470
समय 10 मिनिट


उच्‍चतम न्‍यायालय ने अभिनिर्धारित किया कि बिट्रने में लागू होने वाला नियम कि क्राऊन तब तक किसी कानून द्वारा बाध्‍य नहीं है जब तक स्‍पष्‍टत: अथवा आवश्‍यक विवक्षित तौर पर उस कानून ने उसे बाध्‍य ना किया हो। अभी भी भारत में लागू है। इसके परिवर्तन केवल यह है कि क्राऊन अथवा राज्‍य के स्‍थान पर हमारे संविधान के अनुसार राज्‍य की कार्यपालक सरकार का नाम लिया जायेगा। 

उच्‍चतम न्‍यायालय ने स्‍पष्‍ट किया कि राज्‍य कानून द्वारा बाध्‍य नहीं है जब तक कि ऐसा स्पष्‍टत: अथवा आवश्‍यक विवक्षित तौर पर दृष्टिगोचक ना हो। इस नियम को लागू करने में प्रत्‍यक्ष रूप से यह आवश्‍यक है कि न्‍यायालय विधायिका के आशय को ज्ञात करने का प्रयास कानून के सभी सुसंगत उपबंधों को साथ लेकर करे और केवल एक विशिष्‍ट उपबंध पर ही, इसके बारे में पक्षकारेां में विवाद हो, ध्‍यान ना केन्द्रित रखे। 

इस विवादास्‍पद प्रश्‍न पर विचार करते समय कभी-कभी यह जांच करना भी आवश्‍यक हो जाता है कि क्‍या यह निष्‍कर्ष, कि किसी कानून के विशिष्‍ट उपबंधों द्वारा राज्‍य बाध्‍य नहीं है। उस कानून ीक कार्यकुशलता पर रोक लगाएगा। अथवा इस असमान्‍यता स्थिति पर पहुचायेगा कि वह कानून अपनी उपयोगिता खो दे और यदि इन दोनों में से किसी प्रश्‍न का उत्‍तर यह दर्शाए कि उस कानून के द्वारा आरोपित दायित्‍व राज्‍य के विरूद्ध लागू किया जाना चाहिए, तो न्‍यायालय आवश्‍यक विवक्षित तौर पर यह निष्‍कर्ष निकालने के लिए राज्‍य कानून द्वारा बाध्‍य है। बल्कि यह है कि वह एक कानून का लाभ ले सकता है अथवा नहीं।

 तो अर्थान्‍वयन के उसी सिद्धांत को लागू किया जा सकता है। ऐसा आभास होता है कि उपर्युक्‍त मामले तक उच्‍चतम न्‍यायालय अंग्रेजी अवधारणा की राज्‍य किसी कानून द्वारा तब तक बाध्‍य नहीं होगा जब तक वह कानून स्‍पष्‍टत: अथवा आवश्‍यक विवक्षित तौर पर ऐसा ना कह दे, को मानता रहता है। परंतु निम्‍नलिखित मामलों में ऐसा दृष्टिगोचर होता है कि उच्‍चतम न्‍यायालय कि अभिवृक्ति में अचानक परिवर्तन आया और उस धारणा उपर्युक्‍त के विपरीत हो गई। 

उच्‍चतम न्‍यायालय का अब कथन यही है कि किसी कानून के द्वारा राज्‍य भी उतना ही बाध्‍य है जितना कि कोई और, केवल उस समय को छोड़कर जब कोई कानून स्‍वयं ही अथवा विवक्षित तौर पर यह स्‍पष्‍ट कर दे कि राज्‍य बाध्‍य नहीं है।

         पश्चिम बंगाल राज्‍य बनाम भारत संघ में उच्‍तम न्‍यायालय के बहुमत के न्‍यायाधीशों ने कहा कि यह नियम कि राज्‍य तब तक बाध्‍य नहीं है जब तक उस कानून में स्‍पष्‍टत: अथवा आवश्‍यक विवक्षित तौर पर ऐसा ना उल्लिखित हो, विधायिका द्वारा प्रयुक्‍त शब्‍दों अथवा अभिव्‍यक्तियों कें वास्‍तविक अर्थ को समझने के लिए कानून को संपूर्ण रूप से पढ़ते हुए उसके लक्ष्‍य, उद्देश्‍य और परिधि का ध्‍यान रखना आवश्‍यक है। 

न्‍यायालय को विधायिका का आशय ज्ञात करने के लिए अर्थान्‍वयन किए जाने वाले खण्‍डों की  तुलना करनी चाहिए।

No comments:

Post a Comment

70 WPM

चेयरमेन साहब मैं आपसे कहना चाहता हूँ कि हम लोग देख रहे है कि गरीबी सबके लिए नहीं है कुछ लोग तो देश में इस तरह से पनप रहे है‍ कि उनकी संपत...