Tuesday, 6 March 2018

Hindi dictation Post 501


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गुटनिरपेक्षता उन गुट निरपेक्ष देशों की विदेश नीति का हिस्‍सा है जिन देशों ने तो पूंजीवादी भक्ति और ना ही समाजवादी शक्ति का साथ दिया इसका उद्देशय आपस में शांति स्‍वतंत्रता एवं सामूहिक सहभागिता है। गुटनिरपेक्ष आदोलन में भारत के पंडित जबाहर लाल नेहरू यूगोस्‍वाविया के मार्शल टीटी। मित्र कें गमाल अब्‍दुल नासिल इंडोनेशिया के सुकर्णो तथा घाना के क्‍वामेकूमा की भूमिका प्रमुख थी। इन सब के प्रयासों से 1961 में 25 सदस्‍यीय गुटनिरपेक्ष राष्‍ट्रो का पहला शिखर सम्‍मेलन यूगोस्‍लाविया की राजधानी बेलग्रेड में आयोजित किया गया था।
         गुटनिरपेक्ष का शिखर सम्‍मेलन प्रत्‍येक तीन वर्ष पर आयोजित किया जाता है। प्रारंभ में गुटनिरपेक्ष राष्‍ट्रो की कुल जलसंख्‍या विश्‍व जनसंख्‍या की लगभग 1 तिहाई थी। इसलिए इन्‍हें द्वितीय शक्ति की संज्ञा दी गई थी। प्रारंभ में जहां इसके सदस्‍यों की संख्‍या 25 थी वहीं इस समय 118 गुटनिरपेक्ष राष्‍ट्रो की कुल जनसंख्‍या विश्‍व जनसंख्‍या का 51 प्रतिशत है। एवं गुटनिरपेक्ष आंदोलन संयुक्‍त राष्‍ट्रसंघ के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा अंतराष्‍ट्रीय मंच है।
         गुटनिरपेक्ष आदोलन की शुरूआत विश्‍व के दो महाशक्तियों से अलग रह कर अपने हितों की रक्षा करने के दृष्टिकोण से दुनिया के नये नये स्‍वतंत्र हुए राष्‍ट्रों द्वारा किया गया था। दिसम्‍बर 1991 में सोवियत रूस के विघटन के बाद शीत युद्ध समाप्‍त हो गया था तब से गुटनिरपेक्ष आंदोलन की प्रासंगिता पर सवाल उठाये जा रहे है। क्‍योंकि जिन परिस्थितयों में इसकी  शुरूआत की गई थी। अ‍भी वैसी ही परिस्थितियां नहीं रही। लेकिन पिछले कुछ वर्षो में आयोजित इसके शिखर सम्‍मेलनों के विषयों पर गौर किया जाये तो इसकी प्रांसगिकता स्‍पष्‍ट हो जाती है। इसका उद्देश्‍य शीत युद्ध एवं सैनिक गठबंधन से अलग रहने के अतिरिक्‍त आपसी संबंधों के द्वारा प्रगति भी था। 

आतंकबाद एवं पर्यावरण संकट जैसी वैश्विक समस्‍याओं के समाधान में इसकी भूमिका अहम हो सकती है और इस दिशा में प्रयास भी किए जा रहे है। विश्‍व शांति एवं सहअस्तित्‍व भी गुट निरपेक्ष आंदोलन के उद्देश्‍यों में शामिल था जिसके लिए गुटनिरपेक्ष राष्‍ट्रों को साथ मिलकर काम करना ही होगा।

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