Tuesday, 6 March 2018

Hindi Dictation Post 502

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जब कभी ऐसे गांधीवादी व्‍यक्ति का नाम लेने को कहा जाये जो आवश्‍यकता पढ़ने  पर क्रांति का मार्ग अपनाने में भी पीछे ना हटा हो तो जुवां पर केवल एक महान आत्‍मा, जय प्रकाश नारायण का नाम आता है जो अपनी जुझारू प्रवित्ति व अ‍भूतपूर्व नेतृत्‍व क्षमता के कारण अपने समकालीन युवा वर्ग ही नहीं बल्कि पूरे जनमानस के लोकप्रिय नेता बनकर उभरे और जनता ने उनहें लोकनायक के सम्‍बोधन से विभूषित किया।

         लोकनारायण जय प्रकाश नारायण का जन्‍म बिहार प्रांत में छपरा जिले में सिताब दियारा नामक गांव में 11 अक्‍टूबर 1902 ईसवीं को हुआ था। इनके पिता का नाम श्री हरषू दयाल तथा माता का नाम श्रीमति फुलरानी देवी था। इनकी माता एक धर्म परायण महिला था। तीन भाई और तीन बहनों  में जय प्रकाश जी अपने माता पिता की चौथी संतान थे। इनसे बढ़े एक भाई और एक बहिन की मृत्‍यु हो जाने के कारण इनके माता पिता इनसे अपार स्‍नेह रखते थे। अपने गांव सिताब दियारा में प्रारंभिक शिक्षा प्राप्‍त करने के पश्‍चात जय प्रकाश जी आगे की पढ़ाई के लिए पटना चले गये। 16 मई सन 1920 ईसवी को बिहार के प्रसिद्ध जनसेवी श्री बृज किशोर बाबू की सुपुत्री प्रभावती से जय प्रकाश जी का विवाह हुआ। सन 1921 ईसवी में गांधी जी के असहयोग आंदोलन में सक्रिय भाग लेने के लिए उन्‍होंने सराकारी कॉलेज की पढ़ाई छोड़कर राजेन्‍द्र बाबू के नेतृत्‍व में चल रहे बिहार विद्यापीठ में चले गये।

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