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समय 10 मिनिट 30
सेकेंड
वारंट की तरह समन
मामले का विचारण भी अभियुक्त के मजिस्ट्रेट
के समक्ष उपस्थित होने पर आरंभ होता है। जब अभियुक्त न्यायाधीश के समक्ष उपस्थित
होता है या प्रस्तुत किया जाता है तो सर्वप्रथम न्यायाधीश अभियुक्त को उस अपराध
की विशिष्टयों से अवगत करायेगा जिसका उस पर अभियोग लगाया गया है। तत्पश्चात वह
पूछेगा कि क्या वह अपने आप को दोषी होना स्वीकार करता है इस धारा के प्रावधान
आदेश के अनुसार है, अर्थात समन मामलों का विचारण आरंभ करने के पूर्व न्यायाधीश का
यह कर्तव्य है कि वह अभियुक्त को अपराध की उन विशिष्टयों से अवगत करा दें,
जिनका उस पर अभियोग है।
आवेदक, सुसंगत अधिनियम के अधीन पुरानी बकाया
की ऐसी राशि के संबंध में ऐसे किसी प्राधिकारी या मंच के समक्ष या किसी लंबित
अपील, पुनरीक्षण या किसी याचिका के बारे में प्रकट करेगा और यदि किसी प्राधिकारी या
मंच के समक्ष या कथन करते हुए एक वचन पत्र प्रस्तुत किया जायेगा कि इस नियम के अधीन
समाधान उठाने की दशा में वह कानूनी आदेश के विरूद्ध याचिका को वह तत्काल
प्रदर्शित करेगा एवं समाधान आदेश प्रापत करने के 7 दिवस के भीतर सक्षम प्राधिकारी
के समक्ष ऐसा करने का युक्तियुक्त् साक्ष्य प्रस्तुत करेगा जिसमें असफल होने
पर सक्षम प्राधिकारी द्वारा आवेदक को सुनवाहीं का युक्तियुक्त् अवसर देने के पश्चात
उसका समाधान आदेश रद्ध किए जाने का उत्तरदायी होगी।
आज दिनांक को प्रकरण के प्रस्तावित
पक्षकार गीताबाई एवं रेखाबाई सहित उनके अधिकवक्ता द्वारा उपस्थित होकर अपना
बकालतनामा प्रस्तुत किया गया और साथ ही वादी के आवेदन पत्र अंतर्गत आदेश 1 नियम
10 का लिखित जबाव प्रस्तुत किया गया। अपने जबाव में प्रस्तावित पक्षकारगण का
निवेदन है कि वे प्रकरण में आवश्यक पक्षकार है। वादी ने भी उक्त पक्षकारों को
प्रकरण का आवश्यक पक्षकार बताया है अत: उक्त आवेदन के जबाव के आलोक में वादी का
उक्त आवेदन वाद विचार स्वीकार किया जाता है तथा नवीन पक्षकारों पर प्रतिवादी के
रूप में जोड़े जाने की अनुमति प्रदान की जाती है। इस संबंध में वादी की ओर से एक
आवेदन पत्र अंतर्गत आदेश 6 नियम 17 व्यवहार प्रक्रिया संहिता प्रस्तुत किया गया।
उक्त आवेदन पत्र वाद विचार स्वीकार किया जाता है तथा वादी को निर्देशित किया
जाता है कि वह अपने वाद पत्र में उक्त संशोधन आज ही कर न्यायालय द्वारा प्रमाणित
करावे। वादी द्वारा उक्त आदेश के पालन मे
उक्त संशोधन किया गया जिसे न्यायालय
द्वारा प्रमाणित किया गया। उभय पक्ष द्वारा एक राजीनामा आवेदन पत्र अंतर्गत आदेश
23 नियम 3 व्यवहार प्रकिया संहिता प्रस्तुत किया गया। उक्त आवेदन के संदर्भ में
वादी एवं प्रतिवादीगण के राजीनाम कथन अंकित किए गए। वादी की पहचान श्री शतीश
श्रीवास्तव अधिवक्ता द्वारा की गई एवं
प्रतिवादी की पहचान श्री योगेन्द्र द्वारा की गई।
प्रतिवादी साक्षी क्रमांक 3 वीरसिंह की
साक्ष्य अंकित की गई एवं उसको वाल
प्रतिपरीक्षण उनमुक्त किया गया। प्रतिवादी द्वारा अपनी साक्ष्य समाप्त घोषित की
गई। प्रकरण में वादी की ओर से एक आवेदन पत्र अंतर्गत आदेश 18 नियम 17 व्यवहार
प्रक्रिया संहिता प्रस्तुत किया गया। उक्त आवेदन की प्रति प्रतिवादी के अधिवक्ता
को प्रदान की गई। आवेदन पत्र पर उभय पक्ष के तर्क सुने गये।
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