506
समय 11 मिनिट 20
सेकेंड
प्रकरण प्रतिवादी
के आवेदन अंतर्गत आदेश 8 नियम 1 व्यवहार प्रक्रिया संहिता के जबाव हेतु नियत है।
उक्त आवेदन का जबाव वादी अधिवक्ता द्वारा दिया गया। उक्त आवेदन के जबाव की
प्रति प्रतिवादी अधिवक्ता को दी गई। उक्त आवेदन पत्र पर उभय पक्ष के तर्क सुने
गये। प्रतिवादी ने उक्त आवेदन इस आधार पर प्रस्तुत किया गया है कि वहां प्रकरण
में विवादित भूमि से संबंधित खसरे की नकल वर्ष 1962 लगायत 1968 की सत्य प्रतिलिपी
प्रस्तुत करना चाहता है। और प्रकरण में अभिसाक्ष्य प्रारंभ नहीं हुई है। अत: उक्त
दस्तावेज रिकॉर्ड पर ले लिए जाए। उक्त आवेदन के समर्थन में प्रतिवादी द्वारा सपथ
पत्र ही प्रस्तुत किया गया है। वादी द्वारा उक्त आवेदन का विरोध किया गया है। और
निवेदन किया गया है कि उक्त दस्तावेज प्रकरण में ग्राहय करने योग्य नहीं है अत:
वादी द्वारा प्रतिवादी के आवेदन को अस्वीकार कर निरस्त करने का निवेदन किया गया
है।
परिणामत: उक्त तथ्यों को दृष्टिगत रखते
हुए उक्त् जप्तशुदा वाहन को आवेदक को सुपुर्दगी पर दिया जाना समीचीन प्रतीत
होता है। अत: आवेदन का उक्त आवेदन स्वीकार किया जाकर आदेशित किया जाता है कि
आवेदक उक्त वाहन को किसी को विक्री दान बंधक नहीं रखेगा। जब भी उक्त वाहन की
आवश्यकता होगी अपने व्यय पर पेश करेगा तथा वाहन के स्वामित्व के संबंध में
विवाद उत्पन्न होने पर उसकी राशि न्यायालय में जमा करेगा कि शर्त के साथ पांच
लाख रूपए का सुपुर्दगीनाम पेश करने पर उसे सुपुर्दगी पर दिया जावे।
प्रकरण में आरोपी की ओर से प्रस्तुत आवेदन की प्रति एडीपीओं को दी गई। उभय पक्ष के तर्क श्रवण किए गए। श्री वृजेश कुमाश शर्मा अधिवक्ता ने उक्त आवेदन में निवेदन किया है कि आरोपी को उक्त प्रकरण में जूझा फंसाया गया है, उसका कोई पूर्व आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है। आवेदक ग्राम जमुनियां तहसील सोहागपुर का स्थाई निवासी है, जहां उसकें पास पर्याप्त मात्रा में चल-अचल सम्पत्त्ि है, जिससे उसे जमानत पर रिहाय किए जाने के पश्चात उसके कहीं भाग जाने या फरार होने की कोई संभावना नहीं है। वहा जमानत की शर्तो का पालन करने को तैयार है अत: उसे जमानत पर रिहाय किया जाने का निवेदन किया गया। एडीपीओं द्वारा उक्त आवेदन का मौखिक विरोध किया गया है। केस डायरी का अवलोकन किया गया।
केस डायरी के अवलोकन से विदित होता है कि आरोपी के विरूद्ध दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 379, 411 भारतीय दण्ड विधान के अंतर्गत आरक्षी केन्द्र में अपराध पंजीबद्ध है। अभियोजन के अनुसार मामले में आरोपी सीताराम को इस आधार पर हिरासत में लिया गया है कि जिसकें द्वारा चोरी गई सम्पत्ति खरीदी गई। प्रकरण में आरोपी के विरूद्ध पूछताछ के दौरान कार्यवाही हुई। प्रकरण में चोरी गई सम्पत्ति आरोपी सीताराम से जप्ती पत्रक अनुसार जप्त होना प्रकट होता है। प्रकरण में यह भी उल्लेखनीय है कि आरोपी सीताराम से एक अन्य प्रकरण में भी चोरी गई सम्पत्ति जप्त की है। इस प्रकार यह स्पष्ट है कि आरोपी का आपराधिक रिकॉर्ड तथा माला गंभीर प्रकृति का है और आरोपी को जमानत पर रिहाय किया गया तो इसका प्रतिकूल प्रभाव मामले की विवेचना पर पड़ने की संभावना है।
प्रकरण में आरोपी की ओर से प्रस्तुत आवेदन की प्रति एडीपीओं को दी गई। उभय पक्ष के तर्क श्रवण किए गए। श्री वृजेश कुमाश शर्मा अधिवक्ता ने उक्त आवेदन में निवेदन किया है कि आरोपी को उक्त प्रकरण में जूझा फंसाया गया है, उसका कोई पूर्व आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है। आवेदक ग्राम जमुनियां तहसील सोहागपुर का स्थाई निवासी है, जहां उसकें पास पर्याप्त मात्रा में चल-अचल सम्पत्त्ि है, जिससे उसे जमानत पर रिहाय किए जाने के पश्चात उसके कहीं भाग जाने या फरार होने की कोई संभावना नहीं है। वहा जमानत की शर्तो का पालन करने को तैयार है अत: उसे जमानत पर रिहाय किया जाने का निवेदन किया गया। एडीपीओं द्वारा उक्त आवेदन का मौखिक विरोध किया गया है। केस डायरी का अवलोकन किया गया।
केस डायरी के अवलोकन से विदित होता है कि आरोपी के विरूद्ध दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 379, 411 भारतीय दण्ड विधान के अंतर्गत आरक्षी केन्द्र में अपराध पंजीबद्ध है। अभियोजन के अनुसार मामले में आरोपी सीताराम को इस आधार पर हिरासत में लिया गया है कि जिसकें द्वारा चोरी गई सम्पत्ति खरीदी गई। प्रकरण में आरोपी के विरूद्ध पूछताछ के दौरान कार्यवाही हुई। प्रकरण में चोरी गई सम्पत्ति आरोपी सीताराम से जप्ती पत्रक अनुसार जप्त होना प्रकट होता है। प्रकरण में यह भी उल्लेखनीय है कि आरोपी सीताराम से एक अन्य प्रकरण में भी चोरी गई सम्पत्ति जप्त की है। इस प्रकार यह स्पष्ट है कि आरोपी का आपराधिक रिकॉर्ड तथा माला गंभीर प्रकृति का है और आरोपी को जमानत पर रिहाय किया गया तो इसका प्रतिकूल प्रभाव मामले की विवेचना पर पड़ने की संभावना है।
No comments:
Post a Comment