Monday, 12 March 2018

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वन परिक्षेत्राधिकारी की ओर से अपर लोक अभियोजन द्वारा आरोपीगण को जमानत ना दिए जाने के संबंध में आपत्ति आवेदन में दस्‍तावेज पेश किया, जिसकी प्रति अवादेकगण एवं आरोपीगढ के अधिवक्‍ता को दी गई, उनके द्वारा कोई जबाव ना दिया जाना व्‍यक्‍त किया गया तथा आरोपीगण की ओर से भी सूची मुताबिक दस्‍तावेज पेश किया गया। जिसकी प्रति अपर लोक अभियोजक कों दी गई।


         अपीलार्थी की ओर से यह भी तक दिया गया है कि उसका आरोपी के घर में आना जाना था और ऐसी स्थिति में गृह अतिचार नही माना जा सकता। अपने पक्ष समर्थन में एक न्‍याय दृष्‍टांत प्रस्‍तुत किया है जिसके अनुसार भारतीय दण्‍ड संहिता धारा 363, 452 के अपराध में अपीलार्थी का अभियोत्री के घर आना जाना होने  से वयपहर के संबंध में गृह अतिचार नहीं माना जा सकता। 


वर्तमान प्रकरण में घटना मध्‍य रात्रि के लगभग की है। फरियादी अपने मकान में खाना खा रहा था तब अपीलार्थी लाठी लेकर उसके घर के अंदर प्रवेश करता है। भारतीय दण्‍ड संहिता की धारा 452 के अनुसार, उपहति हमला या सदोष अवरोध की तैयारी के पश्‍चात गृह अतिचार के संबंध में गृह अतिचार का भारतीय दण्‍ड संहिता की धारा 442 में पारिभाषित किया गया है जिसके अनुसार जो कोई किसी निर्माण जो मानव निवास के रूप में उपयोग में आता है या किसी निर्माण में जो उपासना स्‍थल के रूप में या किसी सम्‍पत्ति के अभिरक्षा के स्‍थान के रूप में उपयोग में आता है, प्रवेश करके या उसमें बना रहकर आपराधिक अतिचार करता है, वह गृह अतिचार करता है, यह कहा जाता है।


         परिसीमा अधिनियम की धारा 5 के अंतर्गत प्रस्‍तुत आवेदन में यह तथ्‍य उल्‍लिखत किया है कि पुर्नरीक्षणकर्ता दिनांक तक की अविध में किसी घातक बीमारी से ग्रस्‍त  था इस कारण आदेश दिनांक से विहित नब्‍बे दिवस के भीतर अर्थात प्रकरण दिनांक को पुर्नरीक्षण प्रस्‍तुत नहीं की जा सकी। आवेदन के समर्थन में स्‍वयं का सपथ पत्र प्रस्‍तुत किया है साथ ही डॉक्‍टर का इस आशय का प्रमाण पत्र प्रस्‍तुत किया है कि पुर्नरीक्षणकर्ता दिनांक की अवधि में किसी घातक बीमारी से पीडि़त था। 


आवेदन में उल्लिखित कारण समाधानप्रद होने से धारा 05 परिसीमा अधिनियम का आवेदन स्‍वीकार किया जाता है और विलंब को उल्लिखित किया जाता है। आवेदक के विरूद्ध आरक्षी केन्‍द्र धारा 302 भारतीय दण्‍ड संहिता के अंतर्गत्‍ अपराध पंजीबद्ध कर पूर्ण अन्‍वेषण उपरांत अभियोग पत्र प्रस्‍तुत किया गया, जो विवेचना उपरांत इस न्‍यायालय को प्राप्‍त हुआ तथा प्रकरण के रूप में दर्ज होकर  इस न्‍यायायलय में विचाराधीन है। आवेदक मृतिका का पति है। मृतिका के पति के द्वारा उसे जान से मारने  की नियत से मृतिका पर मिटटी का तेल डालकर माचिस से आग लगाकर गंभी रूप से घायल किया।

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