430
समय 10
मिनिट
विद्यवान
विचारण न्यायालय द्वारा माननीय सर्वोच्य न्यायालय के न्याय दृष्टांत में
अपीलार्थी के विरूद्ध न्याय दृष्टांत का उचित रूप से संदर्भ लेते हुए उभय पक्ष
के मध्य व्यवहार प्रकृति का विवाद होना पाया है। उक्त आदेश विधि सम्मत, औचित्य
पूर्ण तथ्यों कें अनुरूप पारित किया गया है, जिसमें हस्तक्षेप किए जाने का कोई
आधार दर्शित नहीं होता है, अत: विद्यवान विचारण न्यायालय का आदेश दिनांक 21
अप्रैल 2015 की पुष्टि की जाती है तथा पुनरीक्षकर्ता की ओर से प्रस्तुत पुनरीक्षण
याचिका प्रमाण के अभाव में निरस्त की जाती है।
अभियुक्त के विरूद्ध धारा 7 एवं
13 सहपठित धारा 13 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 के अंतर्गत आरोप है कि उसने
दिनांक 30 दिसम्बर 2013 के पूर्व से नायब तहसीलदार न्यायालय में सहायक ग्रेड तीन
जो कि लोक सेवक का पद है, पर पदस्थ रहते हुए प्रार्थी व अन्य के नाम से खरीदी गई
कृषि भूमि के नामांतरण कराने के एवज में अपनी पद्धीय कर्तव्य के दौरान वैध पारिश्रमिक
से भिन्य अवैध पारितोषण के रूप में तीन हजार रूपए की मांग की एवं दिनांक 30 जनवरी
2013 को प्रार्थी एवं अभियोगी से वैध पारिश्रमिक से भिन्न अवैध पारितोषण की राशि
रूपए 2000 प्राप्त किए तथा लोकसेवक के पद पर पदस्थ रहते हुए भ्रष्ट या अवैध
साधनों से अपने पद का दुर्पयोग करते हुए दिनांक 30 जनवरी 2013 को अभियोगी से 2000
रूपए स्वयं के लिए वैध पारिश्रमिक से
भिनन राशि प्राप्त कर आपराधिक अवचार का अपराध कारित किया।
आवेदक की
ओर से यह तर्क किया गया है कि यह उसका प्रथम नियमित जमानत आवेदन पत्र है इसके
अतिरिक्त अन्य कोई आवेदन माननीय उच्च न्यायालय खण्डपीठ ग्वालियर के समक्ष ना
तो लंबित है और ना ही निराकृत किया गया है वह दिनांक 4 जनवरी 2017 से न्यायिक
निरोध में है वह निर्दोष है उसे प्रकरण में मिथ्या आलिप्त किया गया है।
प्रकरण
के निराकरण में समय लगने की संभावना है। अभियुक्त शिवपुरी जिले का स्थाई निवासी
है। उसके भागने एवं । फरार होने की कोई संभावना नहीं है। अभियुक्त् अन्वेषण में
पूर्ण सहयोग करेगा तथा अभियोजन साक्षियों को प्रभावित भी नहीं करेगा वह जमानत की
शर्तो का पूरी तरह से पालन करेगा। अभियुक्त्
ने अपनी आवेदन के समर्थन में अपनेभाई सुनील सींग का सपथ पत्र प्रस्तुत किया है।
किसी
प्रकरण में यदि कोई साक्ष्य अपीलार्थी की ओर से पेश किया गया है और उस साक्ष्य
पर किसी भी अभियोजन साक्षी के द्वारा कोई विरोध नहीं करता है तो ऐसी
स्थिति में न्यायाधीश उस मामले में गंभीरता से विचार विमर्श करेगा और तब अपने
अंतिम निर्णय को अभिलिखत करेगा।
विद्यवान
विचारण न्यायालय द्वारा माननीय सर्वोच्य न्यायालय के
No comments:
Post a Comment