Monday 12 March 2018

Post - 146


420
समय 10 मिनिट

पुनरीक्षणकर्तागण की ओर से प्रस्‍तुत आपराधिक पुनरीक्षण याचिका द्वारा मुख्‍यत: आधार व तर्क लिए है कि फरियादी द्वारा उसे सीने व बायीं पैर में चोर पहुंचाने के कारण अस्थिभंग होना बताया गया। आरक्षी केन्‍द्र ने फरियादी से साठ गांठ कर उक्‍त पुनरीक्षकर्तागण के विरूद्ध अपराध पंजीबद्ध किया गया है। अत: आरोपी के द्वारा सीने में लाथी और आरोपी के द्वारा बांये घुटने में लाथी मारना बताया गया। जबकि मेडिकल बोर्ड द्वारा दोनों ही चोटे होना नहीं पाया गया। ऐसी स्थिति में प्रथमदृष्‍टयां आरोपी के विरूद्ध धारा 323, 504 भारतीय दण्‍ड संहिता के तहत आरोप के तथ्‍य भी गठित नहीं होते है। 


विद्यवान विचारण न्‍यायालय ने उक्‍त कथन की ओर ध्‍यान नहीं देते हुए पुनरीक्षकर्तागण के विरूद्ध धारा 323, अथवा 323 सहपठित धारा 34 एवं धारा 504 भारतीय दण्‍ड संहिता के तहत आरोप विरचित करने में गंभीर भूल की है। विचारण न्‍यायालय द्वारा घोषित निर्णय दिनांक 8 जनवरी 2016 के परिशीलन से भी विदित है कि वादी का वाद निर्णय की कंडिका 12 के अनुसार खारिज किया गया है तथा इस न्‍यायालय द्वारा नियमित व्‍यवहार अपील में घोषित निर्णय की कंडिका  02 में भी वादी का वाद निरस्‍त किए जाने का उल्‍लेख किया गया है। लेकिन निर्णय की कंडिका 18 में लिपीकीय त्रुटिवश, वाद आंशिक रूप से स्‍वीकार किया गया है, लेख हो गया है जो लिपीकीय एवं मामूली त्रुटि है जिसे दण्‍ड प्रक्रिया संहिता की धारा 152 में प्रदत्‍त शक्तितयों का अनुसरण करते हुए सुधार कर निर्णय की कंडिका  18 में लिपीकीय त्रुटिवश लेख, वाद आंशिक रूप से स्‍वीकार किया गया है, के स्‍थान पर वाद अस्‍वीकार किया गया है, अभिलिखित किए जाने का आदेश दिया जाता है।


उपरोक्‍तानुसार आवेदन स्‍वीकार किया जाता है। निर्णय की कंडिका 18 में लाल स्‍याही से सुधार किया जाये एवं सुधार आदेश पत्रिका की प्रति निर्णय के साथ कम्‍प्‍यूटर में अपलोड की जावे।


मामला संक्षेप में यह है कि प्रत्‍यर्थी के द्वारा अधीनस्‍थ विचारण न्‍यायालय के समक्ष अपीलार्थी की स्‍वयं को विवाहिता पत्नि बताते हुए अपीलार्थी द्वारा उसका परित्‍याग कर दिए जाने के आधार पर एक आवेदन अंतर्गत धारा 125 दण्‍ड प्रक्रिया संहिता पेश कर अनावेदक से 7000 रूपए प्रतिमाह भरण-पोषण की राशि वाद व्‍यय सहित दिलाई जाने की प्रार्थना की गई। 


अनावेदक साक्ष्‍य की अंतिम स्थिति पर अपीलार्थी की ओर से एक आवेदन आवेदिका के मेडीकल परीक्षण कराये जाने बावत् पेश किया गया, जिसके जबाव हेतु प्रकरण नियत होता रहा और आदेश दिनांक को अधीनस्‍थ विचारण न्‍यायालय ने अपने आदेश में आवेदिका के अधिवक्‍ता की उपस्थिति तथा अनावेदक की अनुपस्थिति दर्ज करते हुए प्रकरण को निरस्‍त किया है।

No comments:

Post a Comment

70 WPM

चेयरमेन साहब मैं आपसे कहना चाहता हूँ कि हम लोग देख रहे है कि गरीबी सबके लिए नहीं है कुछ लोग तो देश में इस तरह से पनप रहे है‍ कि उनकी संपत...