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समय 10
मिनिट
जीवन में
पहली बार किसी नये अथवा जोखिम से भरे काम को बिना डरे और उत्साह के साथ करना
ही रोमांच है स्कूल में जब मेरा पहला दिन
मेरे लिए रोमांच था जिसने मुझे कभी ना भूलने वाला अनुभव प्रदान किया। मुझे हमेशा
वो दिन याद रहता है कि कैसे मैं सुबह को जल्दी उठने, तरो ताजा होने, नहाने, नाश्ता
करने और स्कूल जाने के लिए बहुत अधिक उत्साहित था।
मेरी माताजी स्कूल में मेरे
पहले दिन के लिए थोड़ी से चितिंत भी थी। इसका कारण यही था कि में थोड़ा शरारती और आलसी था। उन्होनें मुझे सिखाया कि कैसे सभी
चीजों को सही समय पर किया जाता है। रात को
मैं जब अपने कमरे में आया और दरवाजा बंद कर लिया और मुझे आज भी याद है कि मैा पूरी
रात सोया नहीं था। मैंने स्कूल के कपड़े, जूते पहनने शुरू किए और कंधो पर अपना स्कूल
बैग टांग लिया। मैं सोचता रहा कि मै स्कूल
जाते समय कैसा लगूगा।
रात बीती
और सुबह हो गई। आसमान चिडि़यों के चहचहाने की मधुर ध्वनि आने लगी। सूरज चमक रहा
था और मुझपर खिड़की से सूर्य का प्रकाश पड़ रहा था मेरी माता जी कमरे में आई और
उन्होंने मुझे अपनी प्यारी बोली में
उठाने की कोशिश की। तभी में अपनी ढकी हुई चादर से बाहर आ गया और अपनी माताजी को
चकित कर दिया। मैं स्कूल बस में अपनी
माताजी के साथ स्कूल गया और अपने मित्रों एवं अध्यापकों से मिला। मुझे मेरी
कक्षा अध्यापक कक्षा में ले गई और मेरी माताजी ने बाहर बगीचे में अन्य माताओं की
तरह इंतजार किया। मैं अपनी कक्षा में बहुत ही शांत था, पर मैंने बहुत से बच्चों
को अपनी माताओं के लिए रोते हुए सुना।
जब मेरी
कक्षा अध्यापक का आगमन हुआ तो उनहोंने दरवाजा बंद कर दिया और स्मार्ट बोर्ड पर
हमें कुछ बेहद रोचक कहानियों के बारे में बताया। यह ही नहीं हमने कई नई बाते भी
सीखी।इससे सभी खुश हो गए। तब अध्यापिका
ने हमसे हमारे बारे में पूछा और हमें अपना नाम भी बताया उन्होंने हमसे कहा
कि हम अच्छे बच्चे है और हमें नियमित रूप से अपनी माताओं को याद किए बिना आना
पढ़ेगा। वो बहुत ही प्यार से बोल रही थी और सभी के साथ बहुत अच्छे से व्यवहार
कर रही थी। उन्होंने हमसे कहा कि यदि हम
स्कूल प्रतिदिन आऐगे तो वो हमें कहानी
सुनाया करेगी। हम सभी अपनी अपनी मातओं के साथ
फिर घर आ गए।
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