अभियोजन
की कहानी संक्षेप में इस प्रकार है कि घटना दिनांक को शाम के करीब छह बजे अभियोगी
बकरी का दूध निकालने जा रही थी तो अभियुक्तगण ने अभियोगी को रोका और बोला कि तुम
बकरी का दूध नहीं निकालना। तब अभियोगी ने कहा कि वह उसकी बकरी है और अभियोगी दूध
निकालने जायेगी। इस बात पर तीनों आरोपीगण ने अभियोगी को नंगी-नंगी गालिया दी और जब
अभियोगी ने गालिया देने से मना किया तो अभियुक्तगण ने अभियोगी को डंडे व पत्थर
से मारा जिससे अभियोगी को दाहने हाथ के उपर पीठ में व दाहने पैर में चोट लगी।
तीनों आरोपीगण जाते जाते बोले कि अब दोबारा उनके बीच में आई तो जान से खत्म कर
देंगे। घटना अभियोगी के पति व आसपास के लोगों ने देखी व सुनी है। रात्रि अधिक होने
से अगले दिन अभियोगी ने उसके पति के साथ जाकर घटना की रिपोर्ट थाना गौतमपुरा पर की
जिस पर अपराध क्रमांक 162/12 अंतर्गत धारा 294 एवं 506 भारतीय दण्ड संहिता का
मामला पंजीबद्ध किया गया।
उक्त प्रकरण में विवेचना के दौरान घटना स्थल
का मौका नक्शा बनाया गया अभियुक्तगण को पकड़कर पंचनामा बनाया गया, आहत का चिकित्सकीय
परीक्षख कराकर चिकित्सकीय दस्तावेज अभिसाक्ष्य किए गए। जप्ती अनुसार जप्ती
पत्रक बनाया गया। साक्षीगण के कथन लेखबद्ध किए गए। तद्परान्त अभियोग पत्र न्यायालय
में पेश किया गया। अभियुक्तगण ने उस पर
आरोपित अपराध कारित करना अस्वीकार किया है। अभियुक्तगण ने घटना दिनांक को छह बजे
अभियोगी के घर के सामने गौतमपुरा में लोकस्थल पर अभियोगी को मां-बहन की अश्लील गांलिया
उच्चारित कर उसे एवं सुनने वालों को क्षोभ कारित किया। अभियोगी और अभियोजन साक्षी
01 का अभिकथन है कि वह आरोपीगण को पहचानती है क्योंकि आरोपीगण उस की रिश्तेदार
है।
मामले का परिक्षण दिनांक से लगभग 2-3 वर्ष
की पूर्व की होकर शाम के छह बजे की रामपुर की घटना है। इस साक्षी ने अपने मुख्य
परीक्षण में उसे मां’बहन की अश्लील गालिया दिए जाने और जान से मारने की धमकी दी
जानी तथा रास्ता रोके जाने के संबंध में कोई कथन नहीं किया है। परंतु अभियोजन
द्वारा पक्ष विरोधी घोषित कर किए गए प्रतिपरीक्षण के दौरान अभियुक्तगण ने उसे
मां-बहन की अश्लील गालियां दी थी बचाव पक्ष के प्रतिपरीक्षण के दौरान यह भी स्वीकार
किया है कि अभियोगी के मकान से अलग है पर दीवार एक ही है। जबकि अभियुक्त उसके साथ
ही रहती है। चरण क्रमांक 06 में यह भी स्वीकार किया है कि यहां विगत् 2-3 वर्षो
से उसका आना जाना नहीं है। बचाव पक्ष को अभियुक्तण द्वारा गाली-गलौच विगत् दो
वर्षो से अलग करना एक एक नहीं है इसलिए आवश्यकता केवल इस बात की है कि इस संबंध
में क्या उचित कार्यवाही होना चाहिए।
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