पार्ट - 107
शब्द 482
बौद्धिक सम्पदा का केन्द्र बिंदु मतिष्क् का उत्पाद होता है यह
मूलत: मानव निर्मित सम्पदा हाती है जो भौतिक रूप सेपूर्णत: या अधिकांशत: अदृश
होती है इसे देखने समझने तथा उसका मूल्यांकन करने के लिए भी विशेष बौद्धिक दृष्टि
की जरूरतर होती है। हमारे देनिक जीवन में बौद्धिक सम्पदा किसी ना किसी रूप में
विद्यमान रहती है। उदारानार्थ हम जिस कम्प्यूटर
पर काम कर रहे है वह जिस तकनीक से बनया गया है वह पेटेंटेड है उसका जो ब्रांड नाम
है वह उसका व्यापार चिन्ह है, उसका प्रारूप औद्योगिक डिजायन के रूप में
संरक्ष्तिा है और उसका साफ्टवेयर जो हम उपयोग कर रहे हे उसका प्रतिलिप्याधिकार
हमारे पास है।
बौद्धिक सप्पदा दो
शाखाओं तथा औद्योगिक सम्पति तथा प्रतिलिप्याधिकयार यानी कॉपी राईट से मिलकर बनती
है। विश्व व्यापार बौद्धिक सम्पदा अधिकार संगठन के अनुसार बौद्धिक सम्पदा अपने
अंतर्गत निम्नलिखित संबंध अधिकारों को सम्मिलित करता है साहित्यक कलात्मक और वैज्ञानिक कार्य में,
कलाकरों के कलाओं का प्रर्दशन, सुरबद्ध कार्य तथा उनका प्रसारण अधिकारों में,
मानवीय प्रयास से कारित किए गए सभी अविष्कारों में, वैज्ञानिक खोजों में,
औद्योगिक रूपांकनों ,व्यापार चिन्हों सेवा चिन्हों एवं व्यापार नामों में,।
मुख्यत: अविष्कार, व्यापार
चिन्ह और औद्योगिक रूपाकनों केा औद्योगिक सम्पत्ति तथा साहित्यक संगीत्मक
कलात्मक, चित्रण तथा श्रव्य कार्यो को प्रतिलिप्याधिकार कहा जाता है।
कभी कभी औद्योगिक सम्पत्ति
पद का अर्थ औद्योगिक उत्पादन के रूप मे समझ लिया जाता है जो उपयुक्त नहीं है।
औद्योगिक सम्पत्ति एक तरह की बौद्धिक सम्पदा होती है क्योंकि यह मानवीय
बौद्धिकता की उपज होती है। औद्योगिक सम्पत्ति की उत्पत्ति पैरिस सम्मेलन
से हुई है जो औद्योगिक सम्पत्ति के सरंक्षण से जुड़ा है । कोई भी अंतराष्ट्रीय
संधि इन अवधाराणो की सर्वस्वीकृत परिभाषा नहीं दे पाई है तथा भिन्य भिन्य राष्ट्रो
की विधियां इन अवधारणाओं की कुछ मूल बिदुओ पर भिन्यता दर्शाती है।
़ तकनीकि समस्या का नया हल
सामान्यत: अविष्कार कहलाता है जो मानवीय
मन से उत्पन्न हेाता है तथा औद्योगिक
सम्पदा के रूप में औद्योगिक उत्पाद कहलाता है। पैरिस अधिसम्मेलन के
अनुच्छेद 1 क अनुसार औद्योगिक सम्पदा के संरक्षण के निम्न लिखित उद्देश्य होते
है पहला पेटेंटों का संरक्षण, दूसरा उपयोग स्वरूप यानी यूटीलिटी मॉडल का सरक्षण,
तीसरा औद्योगिक रूपकानों का संरक्षण, चौथ व्यापार चिन्हों का संरक्षण, पांचवा
सेवा चिनहों का संरक्षण, छठवा व्यापार नामेां का संरक्षण, सातवां श्रोतों के उपदर्शन
का संरक्षण आठवां उत्पत्ित के स्थानों का सरंक्षण नौवा अनुचित प्रतिस्पधाओं का
संरक्षण।
डॉक्टर रघुनाथ अनंत
मासलेकर के अनुसार बौद्धिक सम्प्दा तीन प्रकार की हो सकती है। उ्योग संबंधीा इस
प्रकार की बौद्धिक सम्पदाए उद्योग एवं व्यापार में अधिक उपयोगी हेाती है इसके
अंतर्गत निम्नलिखित पांच प्रकार की भौतिक सप्दाए आती है। पेटेंट के में रजिसटर्ड होने वाले उपयोगी मॉडल तकनीकि
मॉडल के हल आदि। उत्पाद या सवाओं के व्यापार चिन्ह तीसरा औद्योगिक डिजायन या
औद्योगिक उत्पादों के बाह्रय स्वरूप चौथा भागौलिक स्वरूप के पहचान जो किसी उत्पद
के मूल को दर्शाता है उदाहरार्थ लखनवीं
चिकन देहरादूनी चावल आधुनिक युग मे वह उपयोगी इंटीग्रेटेड
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