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पार्ट 114
गरीब देशों को सस्ती दवाएं उपलब्ध होने से महामारी के फैलने की
आशंका कम हो जाती है और अमीर देशों द्वारा किया जाने वाला वह खर्च बच जाता है। इसे
ऐसे समझिए कि अमेरिकी कंपनी यदि एड्स कीदवा सस्ती उपलब्ध करा देती है तो अमेरिका
द्वारा एड्स नियंत्रण के लिए दी जाने वाली राशि मे बचत होती है। इस लाभ हानि का
गहरा आकलन मेने नहीं देखा ळै परंतु अनुमान है कि यह अमीर देशेा के लिए फायदे का
सौदा है। अमीर देशो में बड़ी चतुराई के साथ विकाशील देशों की भ्रमित कर दिया है
विकासशील देश उन मांगो पर अड़े हुए है जो अंतत: अमीर देशों के लिए लाभ कारी है। इस
समस्या से उबरने के लिए एक बात फिर डब्ल्यूटीओं में मूल चरित्र को समझना होगा।
अस्सी एवं नब्बे के दशक में अमीर देशेां की अर्थव्यवसथाए गहरे दबाव में थी। माल
का अधिकारिक उत्पादन विकासशील देशो में होने लगा था, जैसे थाईलेण्ड में बनी
कारों तथा भारत में बने स्टील का अमीर देशों में भारी मात्रा में आयात होने लगा
था। अमीर देशा स्पष्टत: उनके द्वारा किए गये नेय आविष्कारों को हमारी कंपनिया
दूसरी प्रक्रिया से बना लेती थी और विश्व बाजार में बहुत सस्ता बेंच देती थीथ्।
इस समस्या से उबरने के लिए डंकन ने उरूग्वे चक्र की व्यापार समझौते में पेटेंट
कानून को सम्मिलित करने की पेशकश की।
नतीजा यह हुआ कि विकासशील देशों की कंपनियों कें नये माल को दूसरी प्रक्रिया से बनाकर बेंचने की
छूट समाप्त हो गई और अमीर देशों का विश्व बाजार पर एकाधिकार स्थापित हो गया। इस
एकाधिकार के बल पर उनकी कंपनिया अपने विण्डोज सॉफ्टवेयर जेसे माल को मंहगा बेचकर
भारी लाभ कमा रही है फलस्वरूप अमीर देश और अमीर हो रहे है तथा वैश्विक असमानता
बढ़ती जा रही है। तात्पर्य यह है कि डब्ल्यूटीओ के चरित्र के केन्द में ट्रिप्स
समझौता है इसके परिणाम स्वरूप हमारे नेय माल की नकल करने की स्वतंत्रता बाधित
होती चली जा रही है।
दरअसल अमीर देशों ने
चतुराई से ट्रिप्स पर बार्ता से हमें भटका दिया है। ट्रिप्स का मुद्दा यदि
विकासशील देशों द्वारा उठाया भी जाता है तेा केवल जनस्वास्थय के लिए आवश्यक
दबावों के संदर्भ में जो कि वास्तव में अमीर देशेां के हित में ही है। विकाशील
देशों की यदि गरीबी एवं असमानता के दुष्चक्र से निकलना है तो ट्रिप्स समझौते को
निरस्त करने की मांग उठानी चाहिए। ट्रिप्स समझौते का आधार यह है कि अन्वेषक
कंपनियों को एकाधिकार देने से उपभोक्ता को माल के तत्काल ऊंचे दाम देने होगे,
परंतु इस एकाधिकार के सुरक्षित होने से
रिसर्च केा बढ़ावा मिलेगा, नये माल का इजाद होगा और अगले चक्र में उपभोक्ता को
लाभ होगा। यह आधार संदिग्ध है बिट्रिश सरकार द्वारा 2002 में गठित बौद्धिक सम्पदा
आयोग की रपट मे बताया गया था कि 20 वर्ष की लंबी अवधि में पेटेंट के कारण नये माल
का
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