कुल शब्दा 420
समय 10 मिनिट
पार्ट 297
नोटबंदी की वजह बताई गयी की
कालाधन, भ्रष्टाचार, नकली मुद्रा और आतंकारियों के वित्य पोषण पर अंकुश लगाने के
लिए वह जरूरी है। 8 नवम्बर 2016 भारत को काई नौजबान, बृद्ध अमीर गरीब, स्त्री
पुरूष इस दिन को नहीं भूल सकता। अर्थ व्यवस्था को और जन मानस को झकझोरने वाला एक
फैसला बीते साल इसी दिन हुआ था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्र के नाम
संदेश में अचानक घोषणा की 500 और 1000 के नोट चलन से बाहर हो जायेगे। देश की 86% मुद्रा एक झटके में अवैध
घोषित कर दी गई। बजह बताई गई कालधान, भ्रष्टाचार नकली मुद्रा और आतंकारियों के वित्य पोषण पर अंकुश लगाने के लिए यह जरूरी
है। नोट बदलने को समय इतना कम था कि अगले
दिन से ही पूरा देश जैसे बैंक की लाइन में खड़ा था। एनडीए सरकार इसे एतिहासिक
फैसला और अर्थव्यवस्था में बड़ा सुधारात्मक कदम बता रही है और काले धन के खिलाफ विजय दिवस मनाने का
एलान कर चुकी है। वहीं विपक्ष का आरोप है कि इसने अर्थव्यवस्था को गर्त में डाल
दिया और इसे केन्द्र सरकार की संगठित लूट करार दिया। विपक्ष नोटबंदी की वर्षगांठ
पर काला दिवस मनाएगा। सत्ता और विपक्ष के दावे अपनी जगह है। देखते है नोटबंदी को
ऑकड़ो की नजर में। 9 नवम्बर 2016 को
जितनी मुद्रा चलन में थी उसमे 86 फीसदी 500 और 1000 नोट के रूप में थी। रिजर्व
बैंक में करीब 97 प्रतिशत (अंतिम ऑकड़े
अभी बाकी है ) नोट जमा कराए जा चुके है। जीडीपी दो साल पहले ग्यारह प्रतिशत
से ज्यादा थी वह 5.7 प्रतिशत पर आ गई।
जीपीएफ खातों में 35 प्रतिशत की कमी हो गई। रोजगार 20 से 30 फीसदी रह गये मंहगाई बढ गई। आयात में 23
फीसदी की बृद्धि और विदेशी मुद्रा कोश में भारी गिरावट बैंको की क्रेडिट ग्रोथ
11.7 फीसदी से 5.5 फीसदी पर आ गिरी। सबसे
ज्यादा भार मध्यम और निम्मन वर्ग पर
पढ़ा स्टॉक एक्सचेंज के बढने से अमीर खुश है। गरीबो के जनधन खातों में पांच लाख
करोड़ जमा हुये वे भी आनंद में है हो
सकता है ऐसा हो लेकिन देश की 60 फीसदी से ज्यादा आबादी
निम्न और मध्यम वर्ग से है। उसे क्या लाभ हुआ। अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए
सरकार को कदम उठाने चाहिए लेकिन भव्ष्यि
की चिंता में वर्तमान को विगाड़ना किसी अर्थशास्त्र में नहीं लिखा है। सरकार
वर्तमान को सुनहरा बनाने की सोचे। भविष्य अपने आप स्वर्णिम हो जायेगा। अर्थव्यवस्था
में सुधार के लिए सरकार को कदम उठाने चाहिए लेकिन भव्ष्यि की चिंता में वर्तमान को
बिगाड़ना किसी।
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