पार्ट – 296
शब्द – 336
वादिनीगण आवेदन
पत्र अंतर्गत आदेश 39 नियम 1 व 2 व्यवहार प्रक्रिया संहिता के आवेदन-पत्र पर लिखित
बहस प्रस्तुत कर प्रार्थना करता है।
यह कि वादिनीगण की प्रतिवादिनी क्रमांक 1
भागवती बाई मां है। भागवती के नाम से मौजा मुकारमपुर पटवारी हलका नम्बर 24 तहसील
व जिला सागर में भूमि खसरा नम्बर 645 रकवा 1.11 हेक्टेयर खसरा नम्बर 655 रकवा
1.34 है, मे से 0.50 है, खसरा नम्बर 646 रकवा 0.49 है, 0.24 है। कुल रकबा 1.85
हेक्टेयर भमि में है। यह भूमि सहयुक्त हिंदु परिवार की पैत्रिक खानदानी सम्पत्ति
है। जिसका बटवारा प्रतिवादिनी क्रमांक 1 तथा वादीगण के मध्य नहीं हुआ है। इस भूमि
को प्रतिवादी क्रमांक 2 शिवराज सिंह तथा प्रतिवादी क्रमांक 3 क्षमा ने आपस ने
दुरभि संधि करके प्रतिवादिनी क्रमांक 1 को बिना मुआबजा राशि दिए कपट पूर्वक दिनांक
11/02/2013 को विक्रय पत्र सम्पादित करा लिया है।
यह कि, प्रतिवादिनी क्रमांक 1 भागवती बाई
अनपढ़ व 90 वर्षीय महिला थी। संयुक्त हिंदु परिवार को पैसों की कोई आवश्यकता
नहीं थी। प्रतिवादी क्रमांक 2 व तीन ने धोखे से विक्रय पत्र सम्पादित कराया है
इसी विक्रय पत्र को शून्य घोषित करा पाने हेतु दावा वादीगण ने सम्मानीय न्यायालय
के समक्ष वादी गण ने प्रस्तुत किया है।
आवेदन पत्र अंतर्गत आदेश 39 नियम 1 व 2
व्यवहार प्रक्रिया संहिता के निराकरण के लिए तीन बिदुओं का निराकरण किया जाना
है। मुआबजा राशि भी प्रतिवादिनी क्रमांक 1
को अदा नहीं की गई है। विक्रय पत्र क्रमांक 11/02/20213 में मुआबजा राशि के संबंध
में लेख है किे 22 लाख 46 हजार रूपया विक्रेता ने आप क्रेता से नगद पा लिये है
मुआबजा राशि रजिस्ट्रार महोदय के समक्ष अदा नहीं की गईहै। इस संबंध में सम्मानीय
उच्च न्यायालय का न्यायिक दृष्टांत जो मध्यप्रदेश वीकली नोट 1994 भाग 2 नोट
नम्बर 187 का अवलोकनीय है जिसमें स्पष्ट लेख है कि सम्पत्ति अंतरण अधिनियम 1882
धारा 55 विक्रय विलेख प्रतिफल का संदाय रजिस्ट्रार के समक्ष नहीं किया गया –
संदेह उत्पन्न होता है। उपरोक्त परिस्थितियों से यह विधिवत् प्रमाणित है कि
सुविधा का संतुलन वादीगण के
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