Sunday, 4 February 2018

45 WPM Hindi Dictation for High Court, SSC, CRPF, Railways, LDC Exam Post-281 With Mater

पार्ट – 281
शब्‍द – 459

मुगल काल में औरगजेब ने इसका बहुत विरोध किया था। जहांगीर भी मध्‍यपान की छूट केवल रात्रि के समय देता था। हालांकिे वहस्‍वयं शराबी था।‍ बिट्रिश काल में ना कोई प्रगति हुई ना ध्‍यान ही दिया गया। इसका मुख्‍य कारण शराब से बहुत बड़ी आमदनी का होना था। सन 1905 के के आबकारी नीति से स्‍पष्‍ट है कि ब्रिट्रिश शासन नशा निषेध के पक्ष मं नही था। ‘भारत सरकार की काई इच्‍छा नहीं थी कि वह उन व्‍यक्त्यिों की जो कि अल्‍प मात्रा में शराब को सेवन करते है हस्‍तक्षेप करे उसके लिए समुचित व्‍यवस्‍था करे ताकि प्रलोभन कम हो और राजस्‍व दर इस तरह से निश्चित की जाये ताकि गैर कानूनी मद्ध का उपयोग कम हो यह भी महत्‍वपूर्ण है कि बेची जाने वाली शराब की किस्‍म अच्‍छी हो और यह अनिवार्यत: स्‍वास्‍थ के लिए हानिकारक ना हो’।
         मद्ध निषेध आंदोलन इस प्रकार सामाजिक संस्‍थानों और संगठनों तक ही सीमित रहा जो धर्म का सहारा लेकर इसके उन्‍मूलन के लिए प्रयास करते रहे सन 1929 में अखिल भारतीय कांग्रेस ने, शराब तथा अन्‍य नशीले द्रव्‍यों की दुकानों की बंदी को अपने कार्यक्रम का अंग बनाया। सन् 1930 में भारतीय समस्‍या में समाधान के लिए जो मांगे रखी गई उनमें से मद्ध निषेध भी एक थी। सन 1918 से 19 के लगभग 1 या 2 प्रांतों में स्‍थानीय विकल्‍प का सूत्रपात था। इसके अंतर्गत स्‍थानीय संस्‍थाओं को अधिकार था कि वे अपने अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत शराब की ब्रिकी को बंद रखे सन 1935 में केन्द्रीय असेम्‍बली में एक प्रस्‍ताव पास किया गया जिसमें आबकारी नीति का लक्ष्‍य घोषत किया गया सन् 1937 में 7 प्रांतों में कांग्रेसी मंत्रिमंडल स्‍थापित होने पर उन्‍होंने चुने हुए क्षेत्रों में नशा‍ निवारण के कार्य को आरंभ किया।         

         मद्रास ने इस दिशा में पहला कदम उठाया। 1 अक्‍टूबर सन 1939 को सलेय जिले में मद्ध निषेध घोषित किया गया और एक साल बाद उसे चित्‍तूर और कुडडपा जिलों तक तथा अगले साल तक उत्‍त्‍री अरकाट तक विस्‍तृत कर दिया गया। बंबई प्रांत में जुलाई सन् 1938 में अहमदाबाद मे औद्योगिक क्षेत्र में तथा बाद में बंबई तथा आसपास के अन्‍य जिलो में मद्ध निषेध लागू किया गया। संयुक्‍त प्रांत यूपी में सन 1930 में से 2 जिलों में तथा अगले साल 4 अन्‍य जिलों में मद्ध निषेध लागू किया गया। सन 1939 तक सारे मद्ध प्रांत की योजना यह थी कि प्रांत के 115 हिस्‍से में मद्ध निषेध लागू हो जाये, पर दुर्भाग्‍यबस कांग्रेस मंत्रि मण्‍डल भंग हो गया। सन 1947 में देश स्‍वतंत्र हुआ तब देश के नेताओं ने इस तरफ पुन: ध्‍यान दिया अत: भारतीय संविधान के अनुच्‍छेद 47 में उल्ल्खित है चिकित्‍सा के उद्देश्‍य के अतिरिक्‍त्‍ राज्‍य स्‍वास्‍थय के लिए हानिकारक नशीले पेय और बूटियों के निषेध के लिए।

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