Sunday, 4 February 2018

टाइपिंग अथवा डिक्‍टेशन हेतु मैटर (शब्‍द 400)

टाइपिंग अथवा डिक्‍टेशन हेतु मैटर (शब्‍द 400) अपीलार्थी का जिला सेना न्‍यायालय में विचारण किया गया था। साक्षियों की परीक्षा की गई थी और जिला सेना न्‍यायालय ने विचारण के पश्‍चात्‍ा यह निष्‍कर्ष निकाला कि आरोप संख्‍या 1 साबित नहीं हुआ है किन्‍तु यह अभिनिर्धारित किया कि आरोप संख्‍या 2 साबित हो गया है। इस प्रकार अभिलिखित निष्‍कर्षों के परिणामस्‍वरूप, अपीलार्थी के विरुद्ध 3 मास का निरोध और दण्‍ड अधिनिर्णीत किया गया था। वायु सेना अधिनियम, 1950 के उपबंधों के अनुसार उपर्युक्‍त निष्‍कर्ष तथा दण्‍ड पुष्टि प्राधिकारी द्वारा पुष्टि के अध्‍यधीन थे, परिणामस्‍वरूप, अभिलेख पुष्टि प्राधिकारी के समक्ष रखे गए थे जिसने उक्‍त निष्‍कर्षों की पुष्टि कर दी किन्‍तु तारीख 7 अगस्‍त, 1980 के आदेश द्वारा तीन मास के निरोध के दण्‍डादेश को सेवा से पदच्‍युति के दण्‍डादेश में परिवर्तित कर दिया। अपीलार्थी ने उपर्युक्‍त आदेश से व्‍यथित होकर इलाहाबाद उच्‍च न्‍यायालय के समक्ष 1980 की रिट याचिका संख्‍या 8251 फाइल की जिसके द्वारा तारीख 7 अगस्‍त, 1980 के आदेश को चुनौती दी गई। उक्‍त रिट याचिका उच्‍च न्‍यायालय द्वारा तारीख 21 फरवरी, 1985 के निर्णय और आदेश द्वारा खारिज कर दी गई थी। तथापि, उक्‍त निर्णय और आदेश को इस न्‍यायालय के समक्ष चुनौती दी गई थी जिसे 1989 की दांडिक अपील संख्‍या 421 के रूप में दर्ज किया गया था। इस न्‍यायालय ने तारीख 10 जुलाई, 1989 के अपने आदेश द्वारा मामला निम्‍नलिखित मताभिव्‍यक्तियों के साथ पुष्टि प्राधिकारी को प्रतिप्रेषित कर दिया। मामले के तथ्‍यों और उसकी परिस्थितियों को ध्‍यान में रखते हुए तारीख 7 अगस्‍त, 1980 का वह आदेश अपास्‍त किया जाता है जिसके द्वारा सेना न्‍यायालय के निष्‍कर्षों और दंडादेश की पुष्टि की गई थी। मामला विधि के अनुसार पुनर्विचार और पुष्टि के लिए पुष्टि प्राधिकारी के पास वापस जाना चाहिए। इस न्‍यायालय द्वारा अभिलिखित उपर्युक्‍त निष्‍कर्षों और निदेशों को ध्‍यान में रखते हुए, मामला फिर से पुष्टि प्राधिकारी के समक्ष रखा गया था जिसने मामले पर पुनर्विचार किया। पुष्टि प्राधिकारी द्वारा इस प्रकार पुनर्विचार करने के पश्‍चात्‍ा तारीख 30 अक्‍टूबर, 1989 को एक पुनरीक्षित पुष्‍टीकरण आदेश पारित किया गया था जिसके द्वारा जिला सेना न्‍यायालय द्वारा अधिनिर्णीत निष्‍कर्ष तथा दंडादेश की पुष्टि की गई थी। तथापि, पुष्टि प्राधिकारी ने 3 मास के निरोध के दंडादेश को सेवा से पदच्‍युति के दंडादेश में परिवर्तित कर दिया। अपीलार्थी द्वारा इलाहबाद उच्‍च न्‍यायालय के विद्वान्‍ा एकल न्‍यायाधीश के समक्ष 1990 की रिट याचिका संख्‍या 2341 फाइल करके उक्‍त आदेश को चुनौती दी गई थी जो कि तारीख 26 जुलाई, 2000 के आदेश द्वारा खारिज कर दी गई थी।

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