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Dictation for High Court, SSC, CRPF, Railways, LDC Exam Post-278 Mater Link
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सामाजिक व्याधकी की अवधारणा को जीव शास्त्र से ग्रहण किया गया है।
जिस प्रकार जीव शास्त्र में, मेडिकल पेथोलॉजी वनस्पति शास्त्र में प्लांट
पैथोलॉजी शब्द का प्रयोग होता है उसी प्रकार समाज विज्ञान में, साामजिक विधियों
के लिए शोसल पेथोलॉजी शब्द का प्रयोग होता है यह अवधारण इसविचार पर आधारित है कि
जिस प्रकार शरीर में अनेक रोग होते है, उसी प्रकार मानव समाज भी शरीर की भांति ही
अनेक रोगों से प्रभावित होता है। मानव शरीर जिस प्रकार एक संगठित संरचना है उसी
प्रकार समाज की भी अपनी सामाजिक संरचना है। शारीरिक संरचना की भांति ही, समाज भी
व्याधियों से पभावित होता है। मेडिकल पेथोलॉजी शारीरिक व्याधियों से अध्ययन
करती है प्लांट पैथोलॉजी में वनस्पति सम्बंधी रोगों का अध्ययन किया जाता है।
इसी प्रकार सामाजिक व्याधिकी में सामाजिक रोगों का अध्ययन किया जाता है। शारीरिक
व्याधियां जिस प्रकार विभिन्य रूपों में व्यक्त होती है उसी प्रकार सामाजिक व्याधियों
की अभिव्यक्ति भी अनेक रूप है। यथा मानसिक दुर्बलता अपराध, जुआं, विवाह विच्छेद,
पारिवारिक तनाव आदि। सामाजिक व्याधियां ऐसी दशाओं को उत्पन्न करती है जो अपराध
के अनुकूल होती है। इसी कारण अपराध शास्त्र कें संदर्भ में सामाजिक व्याधिकी का
भी अध्ययन किया जाता है।
प्राय: सामाजिक विघटन
और सामाजिक व्याधिकी को एक दूसरे का पर्यायवाची माना जाता है। किंतु इन दोनों
अवधारणाओं में सूक्ष्म अंतर है। सामाजिक विघटन द्वारा इस प्रक्रिया या दशा का बोध
होता है जिसमे एक समूह के सदस्येां के सम्बन्ध टूट जाते है। सांस्कृतिक
प्रतिमान के विभिन्य पक्षों का आपसी संतुलन विगड़ जाता है। फलस्वरूप, समाज की
विभिन्य संस्थाए अपने विघटन मानव संबंधों के संचालन में पड़ने वाला विघ्न है
रूढियों और संस्थाओं में संघर्ष कार्यों का एक समूह से दूसरे समूह को हस्तांतरण
व्यक्तिकरण, सामाजिक संरचना में परिवर्तन, सामाजिक मूल्यों में परिवर्तन आदि
सामाजिक विघटन की प्रमुख विशेषताएं है। इसके विपरीत सामाजिक व्याधिकी, सामाजिक विकारों
का रोगी हो जाता है। उसी प्रकार मानव भी अपने विकारों से रोग ग्रस्त होता है।
विघटन त्रुटिपूर्ण अनुकूलन तथा सामाजिक समस्याएं आदि ऐसे ही सामाजिक विचार है
जिनका सामाजिक व्याधिकी के अंतर्गत अध्ययन किया जाता है। कोई भी समाज तभी संगठित
रह सकता है जबकि उसकी विविध समाज की अंत: क्रियाओं और अंतर संबंधों के बीच
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