Sunday, 11 February 2018

38 WPM


कुल शब्‍द 380
समय 10 मिनिट 01 सेकेंड

जीवन में पहली बार किसी नये अथवा जोखिम से भरे काम को बिना डरे और उत्‍साह के साथ करना ही रोमांच है। स्‍कूल में जब मेरा पहला दिन मेरे लिए रोमांच था जिसने मुझे कभी ना भूलने वाला अनुभव प्रदान किया। मुझे हमेशा वो दिन याद रहता है कि कैसे मैं सुबह को जल्‍दी उठने, तरोताजा होने, नहाने, नाश्‍ता करने और स्‍कूल जाने के लिए बहुत अधिक उतसाहित था। मेरी माताजी स्‍कूल में मेरे पहले दिन के लिए थोड़ी सी चिंचित भी थी। इसका कारण यही था कि मैं थोड़ा शरारती और आलसी था। उन्‍होंने मुझे सिखाया कि कैसे सभी चीजों को सही समय पर किया जाता है। रात को मैं जब अपने कमरे में आया और दरवाजा बंद कर लिया। मुझे आज भी याद है कि मैं पूरी रात सोया नहीं था। मैंने स्‍कूल के कपड़े, जूते पहनने शुरू किए और कंधो पर अपना स्‍कूल बैग टांग लिया। मैं सोचता रहा कि मैं स्‍कूल जाते समय कैसा लगूगा आदि। रात बीती और सुबह हो गई। आसमान में चिडि़यों के चहचहाने से उसका काम तमाम कर दिया। फिर उसने अपने सहायक लोमड़ी से कहा कि मेरे शिकार का ध्‍यान रखना, मैं जरा नहां लूं। उसके बाद इसे खाऊंगा। यह कहकर शेर तो नहाने चला गया लेकिन तभी लोमड़ी को लालच आ गया। शेर के आने से पहले गधे के शरीर का बेहतरीन हिस्‍सा यानी दिमाग निकाल कर खा गया। नहाकर जब शेर लौटा और गधे की ओर देखा तो उसने पाया कि गधे का दिमाग गायब था। लोमड़ी ने अपने सपने में भी नहीं सोचा था कि शेर का ध्‍यान गधे के गायब दिमाग की ओर चला जायेगा। लेकिन चालाक होने के कारण लोमड़ी ने फटाफट जबाब दिया, कि मालिक गधे का दिमाग होता ही नहीं है मैं क्‍या उसे तो कोई भी नहीं खा सकता। कोई बिना दिमाग वाला गधा ही तो शाही घराने में रिश्‍ते की बात सोच सकता है। शेर इस बात से सहमत हो गया और कहने लगा कि तुम्‍हारी बात बिलकुल सही है बस इतना कहकर शेर ने गधे का बचा हुआ मास खाकर अपनी भूख मिटाई। और गुफा में जाकर सो गया। इस कहानी से पता  चलता है कि हमें कभी भी किसी की बात पर बिना सोचे समझे भरोसा नहीं करना चाहिए। इसलिए सदा समझदारी से काम लेना चाहिए चाहे उसमें

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