पार्ट - 269
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राजकीय तथा तथा सामाजिक संस्थाएं परोक्ष रूप से अपराध की दर को प्रभावित
करती है। विधि के प्रवर्तन मे शिथिलता अपराध का एक कारण है। यदि राजकीय संस्थानों
द्वारा विधि का परिचालन कठोरता से किया जाये, तो अपराध उन्हें की गर गिर जाती है।
इसे विपरती यदि विधि के क्रियान्वयन में शिथिलता आ जाये तो अपराध की दर बढ़ जाती
है। राजनीतिक संस्थाए कुछ इस प्रकार से अपराध की दर को प्रभावित करती है।
राजनीतिक संस्थाए, उच्च आर्थिक स्थिति के ऐस व्यक्तियों द्वारा प्रभावित रहती
है जो अनुचित तरीकों से धन कमाते है यथा मुनाफाखोरी, टेक्सों से बचाव, श्रमिकों
का शोषण आदि ऐसे व्यक्ति राजनीतिक संस्थाओं की आड़ में सुरक्षित रहते है।
राजनीतिक संस्थाए
पुलिस पर भी प्रभाव डालती है। फलस्वरूप राजनीतिक संस्थाओं से संबद्ध अपराधी,
कानून की पकड़ से वंचित रहते है। अधिकांश श्वेत बसंत यानी यानी वाईट कॉलर क्राईम
राजनेतिक संस्थाओं की आड़ में संभव होते है। ऐसे अपराधी राजनीतिक संस्थाओं की
आर्थिक सहायता देते है और अनुचित तरीकों से धन एकत्र करते है, इसी प्रकार सामाजिक
संस्थाए भी जिनमें धर्म रीति, रिवाज आदि मुख्य है। अपराध के दर को प्रभावित करते
है। अपराध की दर को धर्म तथा रीति रिवाज कुछ इस प्रकार पभावित करते है।
धार्मिक संस्थाए
अपने अनुदार रूप में अनुयायी को धर्मांत रूप में बना देती है उनमें अन्य धर्मो के
प्रति, शहनशीलता और आदर की भावना समाप्त हो जाती है। फलस्वरूप धार्मिक मतभेद
स्रांपदायिक विवादों में बृद्धि करते है। उग्र रूप में धार्मिक मतभेद, हिंसा का रूप
धारण करते है फलस्वरूप अपराध की दर बढ़ती है। किसी प्रकार अनेक समाजों में ऐसे
रीति रिवाज प्रचलित रहते है जिनमें हत्या को शौर्य का प्रतीक माना जाता है।
उदाहरण के लिए अनेक आदिवासी समाजों में शिरोच्छेदन यानी हीट हंटिंग की प्रथा प्रचलित
है इस प्रकार के रीति रिवाज अपराध में बृद्धि करते है। समाचार पत्र भी कुछ इस
प्रकार से अपराध के प्रसार में योग देते है। समाचार पत्रों में अपराध संबंधी
सूचनाए प्रकाशित होती है। यथा चोरी डकैती और हत्या की घटनाएं। इस प्रकार की
घटनाओं से अपराधी प्रकृति के लोगों में, अपराध के प्रति झुकाव बढ़ता है।
अपराध संबंधी सूचनाओं
के प्रसार से, अपराध लोगों को एक सामान्य व्यवहार की भांति प्रतीत होने लगता है
यदि न्यायालयों द्वारा अपराधियों केा मिलने वालादण्ड की सूचना प्रकाशित हो तो
लोग अपराधी व्यवहार को भय की दृष्टि से देखते है। समाचार पत्र विख्यात अपराधियों
को पकड़ने से संबंधित योजनाओं का भी विवरण प्रकाशित करते है इससे अन्य अपराधी सजग
हो जाते है और अपने बचाव की तैयारी कर लेते है।
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