पार्ट – 270
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चलचित्र लोगों के समक्ष जीवन के ऐसे स्वरूप को पेश करते है जिससे यथार्थ
का बहुत कम संबंध होता है कुछ चलचित्रों में डकैती, चोरी और मारपीट की चमत्कारिक
विधिया भी दर्शायी जाती है। शान शौकत आकर्षक वेषभूषा चलचित्रों कें प्रमुख पक्ष
हेाते है इन सभी का सामान्य दर्शकों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। ब्लूमर और
मोजर के अनुसार, चलचित्रों द्वारा पुरूष अपराधी परोक्ष रूप से प्रभावित होते है।
आज के जीवन में रेडियों और दूरदर्शन का विशेष महत्व होता है। इनके माध्यम से हम
देश विदेश की गतिविधियों के सम्पर्क में रहते है। इनके द्वारा जहां हम एक ओर
विभिन्य घटनाओं के बारे में जानते है
वहीं दूसरी ओर अपराध संबंधी सूचनाएं तथा उन अपराधों में प्रयुक्त कौशल की जानकारी
भी दर्शकोंव श्रोताओं तक पहुचंती है। इनका प्रभाव बालकों पर सर्वाधिक पढ़ता है
बहुत से बालक चित्रपट या दूररर्शन पर दिखलाए गये कौशलों के अनुसार अपराध करते है
लेकिन यह आवश्यक नहीं कि चित्रपट या दूरदर्शन देखकर कर प्रत्यक बालक उपचार की ओर
अगसर हो।
अपराध संबंधी कौशलों और तकनीकों का
दर्शकों पर प्रभाव के संबंध में, ब्लूमर
तथा हाउसर ने अध्ययन किया और यह पाया कि अध्ययन किए गए अपराधियों में से 10
प्रतिशत पुरूष और 25 प्रतिशत महिला अपराधी चलचित्रों से प्रभावित थे। उनके अनुसार
आपराधिक तकनीकों का प्रदर्शन अपराध की प्रवित्ति को प्रोत्साहन देता है। इसी
प्रकार, प्रोफेसर टेप्ट में इंग्लैण्ड
में टेलीविजन के प्रभावों का अध्ययन किया और यह पाया कि आचरण के प्रतिमानों पर
टेलीविजन का प्रत्यक्ष प्रभाव पढ़ता है। अपराध शात्रियों ने युद्ध और अपराध के
बीच भी संबंध स्थापित किया है। स्वार्थ न्यूमेयर तथा रेकलेस आदि विद्धानों ने
अपने अध्ययनों द्वारा यह निष्कर्ष निकाला है कि युद्ध के समय बाल अपराधों की दर
बढ़ जाती है। प्रोफेसर सदर लैण्ड ने युद्ध तथा अपराध के बीच निम्न सहसंबंध
दर्शाये है। युद्ध के दिनों में बाल अपराध की दर बढ़ जाती है। इस बृद्धि के अनेक
कारण बतलाये गये है। प्रथम, युद्ध के दिनों में हिंसा का वातावरण रहता है जिससे
अपराधों में बृद्धि हेाती है। द्धितीय युद्ध
के दिनों में आर्थिक कठिनाईयां बढ़ जाती है अत: बाल अपराध भी बढ़ जाते है।
तृतीय युद्ध के दिनों में संवेदात्मक तनाव बढ़ जाता है जिससे बाल अपराध बढ़ते है।
चौथा युद्ध के दिनो में पारिवारिक और स्थानीय संस्थाओं में अनेक परिवर्तन होने
से बाल अपराध बढ़ जाते है। युद्ध के दौरान व्यस्क पुरूष अपराधियों की दर बढ़
जाती है इसके विपरीत स्त्रियों में अपराध की दर बढ़ जाती है इसका कारण यह है कि
पुरूष युद्ध में संलग्न रहते है और आर्थिक दबाव महिलाओं पर पढ़ता है प्रथम विश्व
युद्ध के समय आस्ट्रिया और जर्मनी में यह तथ्य स्पष्ट हुये थे। युद्ध के बाद,
गंभीर अपराधों की दर बढ़ जाती है युद्ध के फलस्वरूप उसमे संलग्न राष्ट्रो की
राजनीतिक आर्थिक और सामाजिक व्यवस्था विघटित हो जाती है फलस्व्रूप गंभीर अपराधों
की दर बढ़ जाती है।
प्रोफेसर सदर लेण्ड ने यह निष्कर्ष निकाला है कि युद्ध परोक्ष रूप से
अपराध की दर को प्रभावित करता है।
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