पार्ट-
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शब्द 435
समय 10 मिनिट 35 सेंकेंड
एक ताजा जानकारी के अनुसार दुनिया भर में तकरीबन 915 करोड रेडक्रास
कार्यकर्ता मानव सेवा में जुटे है कुछ खास नियमों के अनसार इस संस्था काप्रमुख
उद्देश्य जातीयता राष्ट्रीयता राजनीतिक भेदभाव के बना पीडि़त मानव की सच्ची
सेवा करना है। यह बात अलग है, यह युद्ध में घायल लोगों के अतिरिक्त विविध
प्राकृतिक आपदाओं के शिकार लोगों के पुर्नवास स्वास्थ्य एवं पोषण की व्यवस्था
भी करती है। वैसे कुछ मुल्कों में इसके उद्देश्य वृक्षारोपण करना भी है जहां
अकाल पड़ता है वहां खाने पीने की विशेष चीजों का प्रबंध भी करती है मूक
पशुपक्षियों के प्रति भी यह अपनी विशेष सेवा करती है। कई मुल्कां में इस संस्था
द्वारा घायल पशु पक्षियों का इलाज किया जाता है ।हमारे मुल्क में इस संस्था ने
आज से तकरीबन 7 दशक पूर्व अपनी नीवं रखी रखी थी मगध यानी बिहार में कुछ प्राकृतिक
आपदाओं कें शिकार होते हुए लोगों के प्रति वशेष सेवा जारी की थी। इसके बाद 1065
में भारत व पाकिस्तान युद्ध बंदियों की विशेष सहायता प्रदान की थी। यह संस्था
देश विदेश में समय-समय पर अपनी कई बेमिशाल सेवाएं भी प्रदान करती है। हमारे देश
में इस संस्था का राष्ट्रीय मुख्यालय नई दिल्ली में है। यह सच है, तन मन व धन
से मानव की सेवा करने वाली यह संस्था दुनिया भर में कई तरह के सम्मान भी लिए हुए
है। हमारे पौराणिक ग्रंथ ‘गीता’ में तो कहा है भी है कि मानव सेवा तो सबसे बड़ा
धर्म है।‘ भूखा या सूखा खाकर आसन पर तपस्यालीन रहना और मनोकुलता के विपरीत आचरण
पर श्राप देने का युग अब तक नहीं रहा। ना वह तपस्या रहीं और न वे श्राप आज तो यदि आप आयुवेदाचार्य है तो आपको या
बंदुकाचार्य होना भी आवश्यक है वरन आपके औषधालय से कोई भी शीशीयां उठाकर भाग सकता
है या रूपयों का गल्ला। तात्पर्य यह है कि हमारे व्यक्तिगत जीवन या राष्ट्रीय
जीवन के लिए जितना बौद्धिक बल आवश्यक है उतना ही शारीरिक बल भी जितना शील आवश्यक
है उतनी ही शक्ति ही व्यक्गित आवश्यकताओं से उपर राष्ट्रीय आवश्यकताएं होती
है। राष्ट्र के नागरिक यदि शरीर से दुर्बल है या राष्ट्र के सबल सैनिक नहीं है
तो कोई भी दूसरा राष्ट्र आकर उसे कभी भी दबा सकता है और अपनी मनमानी करा सकता है।
शत्रु का मुंह तोड़ उत्तर देने के लिए यह आवश्यक है कि राष्ट्र के पास पर्याप्त
शक्ति सम्पन्न सेना हो। दूसरे देश के नवयुवकों को स्वस्थ और चरित्रवान बनाने
के लिए व्यायाम आदि शारीरिक प्रशिक्षण आवश्यक है। आवश्यकता पड़ने पर ये ही नवयुवक देश की सेना
में भरती होकर देश की शत्रुओं से रक्षा करने में समर्थ होते है।
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