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Hindi Dictation for High Court, SSC, CRPF, Railways, LDC Exam Post- Legal Matter 289
कुल शब्द 435
समय 10 मिनिट 40 सेंकेंड
यह धारा व्यावृत्ति
स्वरूप की है। जिसमें यह बताया गया है कि इस संहिता के कोई उच्चतम न्यायालय को संविधान एवं ततसंबंधी नियमों एवं अन्य उपबंधों
पर निर्मित नियम जो तत्कालीन प्रभावशील हो और जिनके अंतर्गत उच्चतम न्यायालय
में अपील प्रस्तुत की जाकर उसको संचालन किया जाता हो या दाण्डिक क्षेत्राधिकार या
नावधिकरण या उपनावधिकारण के क्षेत्रााधिकार के सम्बन्ध में विषय को अथवा न्यायालय
की डिकियों को आदेशों के विरूद्ध की गई अपीलों को किसी प्रकार से बाधक नहीं होगे।
उच्चतम न्यायालय को किसी प्रकार के
अतिरिक्त अधिकार प्रदान नहीं करते है, किंतु जो अधिकार संविधान के द्वारा प्रापत
हुए है उनको कायम रखती है। इस संबंध में निर्मित अधिनियमों का भी अवलोकन किया जाये
जिससे अपील प्रस्तुत की जाने संबंधी उच्च न्यायालय द्वारा प्रमाण पत्र नहीं दिए
जाने एवं स्वयं अपील स्वीकार कर प्रस्तुत की जाने सम्बन्धी उच्च न्यायालय
द्वारा प्रमाण पत्र नहीं दिए जाने एवं स्वयं अपील स्वीकार कर उस पर पुर्न विचार
करती है कि क्या वह अपील ग्राहय की जा सकती है? अथवा नियमों के अधीन प्रतिभू की
रकम जमा करने मे कालावधि समाप्त हेाने पर अवधि बढाई जा सकती है अथवा उक्त राशि
जमा की जाने हेतु अधिक समय लिए जाने के अधिकार समाविष्ट है।
यह नयायालय के विवेक पर आधारित है कि इस
धारा के अधीन कोई अपील स्वीकार की जाये अथवा उसे अस्वीकार किया जाये, अथवा उसे
अन्तिमता प्रदान की जाये। इसी प्रकार इसी मामले का पुर्नअवलोकन की शक्तिा को इसी
प्रकार से हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता।
यह बात विचारणीय है कि उच्चतम न्यायालय द्वारा निषेधाज्ञा के अधीन जब अपील
ग्राहय की जाती है जब उस अपील से संबंधित कार्यवाही से ही स्थगन स्वयं/स्वमेव
नहीं हो जाता, उस सबंध में विलख कार्यवाही किया जाना आवश्यक है।
उस शर्ता परीसीमाआअें के अधिन रहते हुए जो
विहित की जाये, कोई भी न्यायालय मामले का कथन करके उसे राय के लिए निर्देशित कर
सकेगा और उस पर ऐसा आदेश कर सकेगा जो वह ठीक समझे (परंजु जहां न्यायालय का समाधान
हो जाता कि उसके समक्ष् लंबित) मामले के किसी अधिनियम या विनियम अथवा किसी
अधिनियम में अंर्तविष्ट किसी मान्यता के बारे में ऐसा प्रश्न अंर्तवलित हैजिसका
उस अवधारणा उस मामले को निपटाने के लिए अत्यावश्यक है और उसकी यह राय है कि ऐसा अधिनियम,
अध्यादेश या विनियम या उपबंध अवधिमान्य या अप्रवर्तनशील है किंतु जिसके द्वारा
वह न्यायालय अधीनस्थ है या इस प्रकार घोषित नहीं किया गया है किंतु जिसके द्वारा
वह न्यायालय अधीनस्थ है वहां उसके कारणों को उपवर्णित करते हुए मामले का कथन
करेगा।
न्यायालय में किसी स्थिति में उच्च न्यायालय
से निर्देश प्रापत कर सकने के लिए सक्षम है। इसकी प्रक्रिया संहिता के आदेश
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