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अपीलार्थी
से जलाऊ लकड़ी जप्त होना पाया गया है। अपीलार्थी के विरूद्ध कोई पूर्व दोषसिद्धी
प्रकरण में दर्शित नहीं होती है। अपीलार्थी विचारण के दौरान ने दिनांक 17/02/07 से
30/03/07 तक कुल14 दिन न्यायिक निरोध में रहा है। अत: अपीलार्थी के विरूद्ध अपराध
की प्रकिति को देखते हुए पुन: जेल भेजा जाना उचित प्रतीत नहीं होता है और मात्र
अर्थदण्ड में बृद्धि किया जाना उचित प्रतीत होता है। और उसे यह अर्थदण्ड 6 माह
में भुगतान करना होगा।
अगर कोई हमारे विरूद्ध झूठी गवाही देता
है तो उससे हमें अपना भारी नुकसान हुआ मालूम होता है। इसी तरह अगर असत्य भाषण में
से मैं दूसरों की हानि करू तो क्या वह उसे अच्छा लगेगा? ऐसा विचार करके मनुष्य
को असत्य भाषण का परित्याग कर देना चाहिए और दूसरों को भी सत्य बोलने का उपदेश
करना चाहिए। सदा ईमानदारी की सराहना करनी चाहिए। जिस तरह खुशबु वाले सुंदर फूल का
जीन सार्थक है, उसी तरह जो जैसा करता है वह वैसा भरता है।
एक ऋषि दोपहर का भोजन करने बैठे तभी एक
भिक्षुक अपने हाथ में भिक्षा पात्र लिये उनके पास आया और बोला – हे ऋषिवर में कई
दिनों से भूखा हूं। कृपा करके मुझे भी भोजन दे दीजिए, भिखारी की बात सुनकर ऋषि ने
उसे घूर कर देखा और बोला हमारे पास यही भोजन है , यदि हम अपने भोजन में से तुझे भी
भोजन दे देंगे तो हमारा पेट कैसे भरेगा। उनकी ऐसी बाते सुनकर उस भिखारी ने कहा हे
ऋषिवर आप लोग तो ज्ञानी है।
प्रस्तुत अपील दण्डोदश के विंदु पर
आशिंक रूप से स्वीकार की जाकर अधीनस्थ न्यायालय द्वारा अपीलार्थी को दिए गए
कारावासीय दण्डादेश को अपास्थ करते हुए धारा 29 के अपराध हेतु प्रत्येक धारा
अंतर्गत
क्रमश:
2000-2000 रूपए के अर्थदण्ड से दंडित
किया जाता है अर्थदण्ड की राशि अदा ना करने पर
अपीलार्थी को प्रत्येक अर्थदण्ड हेतु एक माह का सश्रम कारावास भुगताया
जावेगा। अपीलार्थी द्वारा अधीनस्थ न्यायालय के समक्ष जमा की गई अर्थदण्ड की
राशि इस प्रकरण में समायोजित की जाये।
22 जुलाई 2008 को जब संसद में नोटों की
गड्डिया लहरायी गई थी, तब उस देश के संसदीय इतिहास का काला दिवस लाया गया था। उस
खबर को पहले पन्ने पर छापते हुए नई दुनिया में एक तस्वीर को पूरा काला छापा गया
था, क्योंकि जो हुआ वो संसद और उसकी गरिमा पर एक स्याही का धब्बा था। वो काली तस्वीर
इसलिए थी कि हम शर्मसार हो जिन्होंने किया वो इस कालिख का अर्थ समझे और आगे ऐसा
ना होने दे।
प्रस्तुत अपील दण्दादेश के बिंदु पर
आशिंक रूप से स्वीकार की जाकर अधीनस्थ न्यायालय द्वारा अपीलार्थी को दिए गऐ
कारावासीय दण्डादेश को अपास्थ करते हुए धारा 29 के अपराध हेतु प्रत्येक धारा
अंतर्गत क्रमश: 2-2 रूपए के अर्थदण्ड
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