Tuesday, 6 February 2018

पार्ट – 95

कुल शब्‍द 388
समय 10 मिनिट 40 सेंकेंड
पार्ट – 95


          केन्‍द्र सरकारों पर राज्‍यापालों/उपराज्‍यपालों का अपने हित साधने के लिए उपयोग करने के आरोप लगते रहे है। स्‍वस्‍थय लोकतांत्रिक व्‍यवस्‍था में ऐसा होना गलत है। देश की राजधानी दिल्‍ली में अरविंद केजरीवाल के नेतृत्‍व वाली आम आदमी पार्टी सरकार और उपराज्‍यपाल अनिल पर सुप्रीम कोर्ट की संविधानिक पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि उपराज्‍यपाल प्रशासन के किसी निर्णय की फाइल को बेवजह नहीं रोक सकते। यह भी कहा कि उपराज्‍यपाल को अपनी शक्तियों का उपयोग समूचित समय और उचित कारणों के साथ ही करना चाहिए। जब से  केजरीवाल की सरकार दिल्‍ली पर काबिज हुई है, उपराज्‍यपालों से विभिन्‍य मुद्दों पर विवाद भी चलता आ रहा है। पहले तत्‍कालीन उपराज्‍यपाल नजीब जंग और अब वर्तमान अनिल बैजल से। केजरीवाल सरकार का आरोप है कि केन्‍द्र सरकार उपराज्‍यपाल के जरिए उन्‍हें दिन प्र‍ि‍तदिन के प्रशासनिक कार्य नहीं करने दे रही। वह विधानसभा या प्रशासनिक स्‍तर पर जो भी निर्णय करते है उनमें केन्‍द्र सरकार रोढ़ा पैदा कर देती है। उपराज्‍यपाल ने ऐसी स्थिति बना दी है कि कोई भी अधिकारी किसी मंत्री यहां तक कि मुख्‍य मंत्री अरविंद केजरीवाल के निर्देशों की पालना नहीं करता। इस पर संविधान पीठ के न्‍यायाधीश डीबाई चंद्रचूढ ने मौखिक रूप से टिप्‍पणी की है कि, उपराज्‍यपाल को किसी भी फाइल केा ज्‍यादा समय तक नहीं रोकना चाहिए। वे समुचित समय पर निर्णय करे और उन्‍हे अपने निर्णय के पीछे के कारण भी बताने चाहिए। हालांकि पुलिस और भूमि संबंधी मामलो पर सर्वोच्‍य अधिकार उपराज्‍यपाल के पास ही रहेंगे। जब से देश आजाद हुआ और लोकतंत्र की स्‍थापना हुई, विभिन्‍य राज्‍यों में स्‍थानीय सरकारों और राज्‍यपालों/उपराज्‍यपालों में टकराव सामने आए है विशेष रूप से ऐसे प्रदेशों में जहां राज्‍य सरकार एक दल की और केन्‍द्र में सरकार दूसरे दल की होती है। केन्‍द्र सरकारों पर राज्‍यपालों/उपराज्‍यपालों का अपने हित साधने के लिए उपयोग करने के भी आरोप लगते रहे है। स्‍वस्‍थ लोकतांत्रिक व्‍यवस्‍था में ऐसा होना गलत है। चयनित सरकार एवं संविधानिक पदसत्‍ता की दो धुरी है। इनमे बेहतर समन्‍वय के बिना शासन आरोप भी लगते रहे है। स्‍वस्‍थय लोकतांत्रिक व्‍यवस्‍था में ऐसा होना गलत है। चयनित सरकार एवं संविधानिक पदसत्‍त के दो धुरी है इनमे बेहतर समन्‍वय के बिना शासन भली भांति चलाना बहुत मुश्किल होता है। राज्‍यपाल/उपराज्‍यपाल की मर्यादाओं और अधिकारों का सम्‍मान होना चाहिए। लेकिन इनका निहित स्‍वार्थो के लिए दुर्पयोग भी लोकतंत्र की 

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